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अतिक्रमण विरोधी मुहिम अधर में, बंद हो गई या फिर आगे चलेगी, अधिकारी नहीं दे पा रहे स्पष्ट जवाब

अतिक्रमण विरोधी मुहिम अधर में, बंद हो गई या फिर आगे चलेगी, अधिकारी नहीं दे पा रहे स्पष्ट जवाब दुकानदार बोले, हमने तो पहले ही कहा था, इस तरह की मुहिम हर साल चलती हैं लेकिन ज्यादा दिन नहीं चल पाती

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अतिक्रमण विरोधी मुहिम अधर में, बंद हो गई या फिर आगे चलेगी, अधिकारी नहीं दे पा रहे स्पष्ट जवाब

अतिक्रमण विरोधी मुहिम अधर में, बंद हो गई या फिर आगे चलेगी, अधिकारी नहीं दे पा रहे स्पष्ट जवाब

गुना . शहर में 8 जनवरी से शुरू हुई अतिक्रमण विरोधी मुहिम अधर में लटक गई है। यह आगे चलेगी या नहीं इसे लेकर नगर पालिका से लेकर प्रशासनिक अधिकारी स्पष्ट रूप से जवाब देने बच रहे हैं। पहले दिन से लेकर अब तक चली कार्रवाई के दौरान अधिकारियों के रवैए को देखकर शहरवासी व दुकानदार भी असमंजस में हैं। जिससे उन दुकानदारों ने खुद ही अतिक्रमण हटाना भी बंद कर दिया है, जिन्हें प्रशासन ने मुहिम के दौरान चिन्हित कर लाल निशान लगाए थे। दुकानदारों का कहना है कि उन्हें पहले ही आशंका थी कि यह मुहिम हर साल की तरह इस बार भी ज्यादा दिन नहीं चल पाएगी। प्रशासन सिर्फ दुकानों के आगे टीनशेड हटवाएगा और पक्के चबूतरों को तुड़वाएगा। यही कार्य अब तक मुहिम के दौरान हुए हैं।

शासन के निर्देश पर जोर-शोर से शुरू की गई अतिक्रमण विरोधी मुहिम कमजोर क्यों पड़ गई हैं इसकी पत्रिका ने अलग-अलग स्तर पर पड़ताल की। जिसमें सामने आया कि प्रशासन ने बिना प्लानिंग इस मुहिम को शुरू किया था। अतिक्रमण हटाते समय क्या-क्या परेशानियां आएंगी, उनसे कैसे निपटना है, इसे लेकर कोई व्यवस्था नहीं की गई। यही नहीं कार्रवाई में शामिल होने वाले विभागों के बीच कोई समन्वय भी नहीं बन पाया। सबसे बड़ी कमी मुहिम शुरू करने से पहले बैठक न करना रहा। जिसमें शहर के व्यापारी वर्ग से लेकर दुकानदार तथा प्रशासनिक व यातायात विभाग के अधिकारियों को शामिल होना चाहिए था। बैठक में प्राप्त सुझावों को ध्यान में रखते हुए मुहिम को आगे बढ़ाना था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

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हर दिन कार्रवाई में बदलते रहे अधिकारी

अतिक्रमण विरोधी मुहिम के कमजोर पड़ने की कई वजह सामने आई हैं। इनमें से एक है हर दिन अधिकारियों का बदलना। शुरूआती कार्रवाई में एसडीएम दिनेश सावले मौजूद नहीं थे। बाद में वे जब शामिल हुए तो सीएमओ नहीं थे। यहां तक कि नपा का कोई जिम्मेदार अधिकारी मौजूद नहीं था। टीम के साथ सिर्फ अतिक्रमण दस्ते में शामिल नपा का अमला था। जिसे तो सिर्फ अधिकारियों के आदेश का पालन करना था। मुहिम में आगे यातायात विभाग को भी शामिल कर लिया गया। एसडीएम और तहसीलदार ने मुहिम को लीड किया। पैदल ही मार्गों का भ्रमण कर अतिक्रमणकारियों को चेतावनी देने के साथ ही नोटिस देने की बात तो कही। लेकिन आगे कार्रवाई नहीं हुई। इसी बीच केंद्रीय मंत्री की एक सभा हुई। इस दौरान जो घटनाक्रम हुआ उसे जोड़कर कहा जाने लगा कि अब यह मुहिम आगे नहीं चल पाएगी। नपा ने भी बाजार में कोई मुनादी नहीं की, जिससे इसे बल मिलता चला गया।

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अतिक्रामकों को पनाह दे रहा सरकारी अतिक्रमण

पत्रिका ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि शहर की मुख्य सड़कें हों या बाजार की गलियां। सभी जगह अतिक्रमण को पनाह देने के लिए सरकारी खंभे, डीपी और जमीन से काफी ऊपर तक बनाया गया ड्रेनेज सिस्टम है। जिसकी ओट लेकर अतिक्रामक कब्जा जमाए हुए हैं, जिसे नपा हटा भी नहीं रही है। बता दें कि एसडीएम और तहसीलदार द्वारा पैदल किए गए भ्रमण में भी यह बात सामने आ चुकी है। दल के सदस्यों ने भी इसे माना कि यदि इन्हें हटा दिया जाए तो न सिर्फ अतिक्रमण रुकेगा बल्कि वाहन पार्किंग के लिए जगह भी निकल आएगी। लेकिन इस काम को बिजली कंपनी की सहमति के बिना कर पाना संभव नहीं है। शहर से गुजरे एबी रोड, नानाखेड़ी रोड, कैंट रोड पर कई लोगों ने निजी उपयोग के लिए डीपी सरकारी जमीन पर रखवा दी है। जो अतिक्रमण की श्रेणी में आता है।

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जरा इनकी सुनो

प्रशासन के पास प्लानिंग और दृढ़ इच्छा शक्ति की कमी

शहर को अतिक्रमण विरोध मुहिम की सख्त जरूरत है। लेकिन इसे चलाने के लिए प्रशासन के पास ठोस प्लानिंग व दृढ इच्छा शक्ति नहीं है। इसी वजह से यह मुहिम हमेशा की तरह इस बार भी कमजोर पड़ गई। प्रशासन को चाहिए कि वह पहले यह तय करे कि इस मुहिम का उद्देश्य क्या है । यदि यातायात को सुगम बनाना है तो इसमें बाधक कौन बन रहा है। फिर चाहे सरकारी हो या निजी अतिक्रमण सभी को हटाया जाना चाहिए। ईमानदार कार्रवाई होगी तब ही लोग इसमें प्रशासन का साथ देंगे।

आशीष शिंदे, जागरुक नागरिक

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भेदभाव पूर्ण होना चाहिए कार्रवाई

शहर का हर नागरिक चाहता है अतिक्रमण मुक्त शहर हो। मुख्य मार्गों से लेकर बाजार के ऐसे अतिक्रमण हटाए जाने चाहिए जो यातायात में बाधक बन रहे हैं। लेकिन प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई भेदभाव पूर्ण और ईमानदारी से चलाई जानी चाहिए। इसमें न सिर्फ दुकानदार बल्कि हर व्यक्ति प्रशासन का साथ भी देगा और वह खुद भी अतिक्रमण हटा लेगा।

शेखर वशिष्ठ, नेता प्रतिपक्ष नपा

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प्रशासन द्वारा शुरू की गई अतिक्रमण विरोधी मुहिम बंद नहीं हुई है। इसे आगे कैसे चलाना है इसे लेकर सोमवार को ही एक बैठक बुलाई गई है। इसके बाद ही पता चलेगा यह मुहिम के तहत आगे क्या होगा।

गौरीशंकर बैरबा, तहसीलदार गुना

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अतिक्रमण विरोधी मुहिम बंद हो गई है या आगे भी चलेगी, इस बारे में अभी कुछ नहीं कह सकता। आप तहसीलदार साहब से बात कर लें।

तेज सिंह यादव, प्रभारी सीएमओ नपा गुना