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पत्रिका मेगा स्टोरी :  तीन साल में करोड़ों का बजट खर्च फिर भी मूलभूत सुविधाओं से महरूम यात्री

न शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है और न बैठने के लिए पर्याप्त उचित जगह पूरे परिसर में गंदगी और जलजमाव, कीचड़ में खड़ी होती है बसें यात्रियों के लिए अलग से टॉयलेट की व्यवस्था भी नहीं खास-खासलाखों खर्च कर बनाया पार्क भी उपयोगहीन, पौधे और फूल की बजाय उग रही खरपतवारअसामाजिक तत्वों की शरण स्थली के रूप में उपयोग हो रहा पार्कअमृत योजना के तहत 2018 में प्रधानमंत्री ने इंदौर से किया था ई लोकार्पण

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पत्रिका मेगा स्टोरी :  तीन साल में करोड़ों का बजट खर्च फिर भी मूलभूत सुविधाओं से महरूम यात्री

पत्रिका मेगा स्टोरी :  तीन साल में करोड़ों का बजट खर्च फिर भी मूलभूत सुविधाओं से महरूम यात्री

गुना. अमृत योजना के अंतर्गत शहरी लोक परिवहन परियोजना के तहत 23 जून 2018 को गुना के जज्जी बस स्टंैड का ई-लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंदौर से किया था। इसके बाद जिले वासियों को उम्मीद बंधी थी कि कम से कम गुना में अब एक मॉडल बस स्टैंड बनकर तैयार हो जाएका। जिसका फायदा केवल गुना जिले के ही नहीं बल्कि हर यात्री को मिलेगा, जो इस बस स्टैंड से होकर कहीं भी जाएगा। लेकिन यह उम्मीद तीन साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। क्योंकि आज तक यहां न सिर्फ यात्रियों के लिए बल्कि बस ऑपरेटरों के लिए भी जरूरी सुविधाएं मुहैया नहीं हो सकी हैं। इसकी मुख्य वजह है प्रशासन का उदासीन रवैया। जिसके कारण तीन साल के दौरान यहां बस स्टैंड निर्माण के नाम पर करोड़ों रुपए का बजट तो ठिकाने लगा दिया गया है लेकिन व्यवस्थाओं में कोई खास इजाफा नहीं हो सका है। चिंता की बात तो यह है कि एक बार फिर से इस बस स्टैँड को सर्वसुविधायुक्त बनाने की बात कहकर पुराने निर्माण को ही जीणोद्धार कर बजट को ठिकाने लगाया जा रहा है। यह काम बीते एक साल से चल रहा है लेकिन लेकिन अब तक इस ओर न तो किसी अधिकारी ने ध्यान दिया है और न ही जप्रतिनिधि ने।
जानकारी के मुताबिक मेट्रो सिटी की तर्ज पर गुना के जज्जी बस स्टैंड को मॉडल बनाने के लिए 1.20 करोड सरकार ने उपलब्ध कराया है। इस राशि से संभाग का पहला मॉडल बस स्टैंड तैयार किया जाना है। जहां यात्रियों के लिए वातानुकूलित प्रतीक्षालय और खरीदारी के लिए शॉपिंग कॉप्लेक्स का भी निर्माण किया जाएगा। जो भी खाली जगह है उसका सही उपयोग हो सके इसके लिए इंदौर के आर्किटेक्ट ने इसका नक्शा तैयार किया है। यही नहीं यात्रियों की सुविधा के लिए हाइटेक तकनीक का भी उपयोग किया जाएगा। जिसके तहत बसस्टैंड पर बसों को नियंत्रित करने के लिए आईटीएमएस सेंटर बनाए जाएंगे। वहीं पार्कों का निर्माण भी किया जाना है।
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कैंटीन और रेस्टोरेंट की भी सुविधा होगी
सरकार ने जो भारी भरकम बजट उपलब्ध कराया है उसका भरपूर उपयोग करते हुए यहां यात्रियों के लिए कैंटीन से लेकर रेस्टोरेंट की सुविधा भी उपलब्ध कराई जानी है। इसके अलावा प्री-पेड टैक्सी स्टैंड भी तैयार किया जाना है। निजी बसों को भी रखने विशेष सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
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तीन एकड़ जमीन में विकसित होगा आधुनिक बसस्टैंड
नगरपालिका कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक तीन एकड़ जमीन पर जज्जी बसस्टैंड विकसित किया जाएगा। यहां यात्रियों के बैठने के लिए इंदौर और भोपाल की तर्ज पर पार्क भी विकसित किए जाएंगे। साथ ही महिला यात्रियों के लिए वातानुकूलित फीडिंग रूम भी तैयार किया जाना है।
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यह व्यवस्था अब तक नहीं हो सकी चालू
पूरे परिसर को दो भागों में विभाजित किया गया है। तय किया गया कि एक हिस्से में सिर्फ सूत्र सेवा की बसें खड़ी होंगी और बाकी जगह निजी ऑपरेटरों की बसें। लेकिन यह व्यवस्था आज तक ठीक तरह से लागू नहीं हो सकी है। सूत्र सेवा के लिए तय की गई जगह पर निजी बसों ने कब्जा कर लिया है। इसके अलावा जिस जगह पर वर्षों से तांगा स्टैंड था, उसे खत्म कर वहां दुकानों का निर्माण कर दिया गया है।
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प्रतिदिन 200 से ज्यादा बसें व हजारों यात्री करते हैं सफर
जिस जज्जी बस स्टैंड पर लंबे समय से जरूरी सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। वहां से प्रतिदिन 200 से अधिक बसें जाती हैं। जिनमें हजारों यात्री सफर करते हैं। लेकिन यहां यात्रियों को पीने के लिए शुद्ध जल तक उपलब्ध नहीं है। पेयजल के नाम पर एक मात्र टोंटी है जिससे सभी यात्रियों को बारी-बारी से बॉटल भरना पड़ता है। वहीं यहां का वाटर कूलर अक्सर खराब या बंद ही रहता है। वहीं टंकी को भी समय-समय पर साफ नहीं किया जाता। इस पेयजल स्त्रोत की यह हालत देख ज्यादातर यात्री तो इससे पानी पीते ही नहीं है। जो सक्षम हैं वह बाजार से बॉटल खरीदकर पानी पीते हैं।
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पार्क निर्माण पर लाखों खर्च लेकिन उपयोग कुछ भी नहीं
आम जनता की पसीने की कमाई को कैसे बर्बाद किया जा रहा है, इसका जीता जागता उदाहरण है जज्जी बस स्टैंड परिसर में बना पार्क। जिसके निर्माण पर तीन साल पहले लाखों रुपए खर्च कर बाउंड्री वॉल बनवा दी गई। जिसके चारों तरफ लोहे की रैलिंग भी लगाई गई है। जो वर्तमान में कई जगह से चोरी हो चुकी है। पार्क के अंदर का नजारा देखकर हर कोई हैरान हो जाएगा। क्योंकि यहां सुंदर-सुंदर फूल व पौधे नहीं बल्कि ऊंची व घनी खरपतवार खड़ी हुई है। इसका स्थान का उपयोग असमाजिक तत्व अपनी अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कर रहे हंंै।
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शहर में 3 जगहों पर जाती हैं बसें, सुविधाएं कहीं भी नहीं
जज्जी बस स्टैंड : यहां से इंदौर, भोपाल, ग्वालियर के अलावा कुंभराज, राघौगढ़, आदि जगहों के लिए बसें जाती हैं। इनकी संख्या 100 के करीब है। सूत्र बस सेवा के शुरू होने के बाद यहां शेड जरूर बन गया है। जिसके जीर्णोद्धार का काम अभी जारी है। बाकी सुविधाएं अब भी यहां नहीं है। जो सुलभ शौचालय बनाया गया है, वह काफी दूर है। अधिकांश यात्रियों को यह नजर ही नहीं आता। इसका इस्तेमाल टैक्सी स्टाफ ज्यादा करता है।
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आरोन बस स्टैंड : यह बीजी रोड पर आरओबी के नीचे स्थित है। यहां से आरोन-सिरोंज रूट की 20 से 25 बसें चलती हैं। आरओबी के नीचे अनाधिकृत रूप से यह बस स्टेंड संचालित हो रहा है। यहां यात्रियों के लिए न तो टॉयलेट का इंतजाम है और न ही पेयजल की व्यवस्था।
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संजय स्टेडियम के पास : सिरसी रूट की बसें यहीं से चलती हैं। लेकिन यहां यात्रियों के लिए छाया तक की व्यवस्था नहीं हैं। शहर में जगह-जगह यात्री प्रतीक्षालय बनाए गए हैं लेकिन यहां कोई इंतजाम अभी तक नहीं किए गए हैं। बसें सड़क किनारे ही खड़ी रहती हैं।
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