
दो सौ लाख रुपए की लागत से बना कृषक संगोष्ठी भवन हो रहा खंडहर
गुना. दो सौ लाख रुपए से अधिक की लागत लगाकर किसानों के लिए कृषक संगोष्ठी भवन बनाया गया था। जो देखरेख और उपयोग के अभाव में खंडहर में तबदील होता जा रहा है। आसामाजिक तत्व इसका उपयोग कर रहे हैं और अंदर लगा सामान चोरी हो चुका है। वहीं कृषक विश्राम गृह का लाभ भी किसानों को नहीं मिल पा रहा है।
मंडी परिसर में वर्ष २०१० में दो मंजिला कृषक संगोष्ठी भवन बनकर तैयार हुआ था। जिसकी लागत उस समय २०९. २९ लाख रुपए आई थी। भवन निर्माण का उद्देश्यों किसानों से संबंधित गतिविधियों के आयोजन के लिए किया गया था। इस दो मंजिला भवन में दो हॉल, कमरे व प्रसाधन की सुविधाएं मौजूद हैं। लेकिन अब इसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। जिससे मेन गेट पर बनी सीढिय़ां पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं और दूसरे गेट को कंटीली झाडिय़ों व खरपतवार ने बंद कर दिया है। आसपास गंदगी का आलम है और जगह-जगह शराब की खाली बोतलों के कांच पड़े हुए हैं।
पत्रिका टीम ने जब भवन पर पहुंचकर जायजा लिया तो हालात गंभीर मिले। अंदर जो पंखे, बल्ब व अन्य सामान लगाया गया था, वह चोरी हो चुका है। असामाजिक तत्वों ने बिजली फिटिंग को उखाड़कर तार भी चोरी कर लिया। फिटिंग सामग्री पूरे भवन में यहां वहां फैली हुई मिली। भवन के अंदर भी कचरे की भरमार है और धूल की परतें जमी हुई हैं। भवन जगह जगह से क्षतिग्रस्त हो रहा है। हालात यह है कि अब इसका उपयोग दोबारा करने के लिए मरम्मत करवानी पड़ेगी, जिसमें अतिरिक्त खर्च आएगा। चोरी की रिपोर्ट भी मंडी प्रशासन ने दर्ज करवा दी है, लेकिन अभी तक पुलिस चोरों तक नहीं पहुंच पाई है।
अनैतिक गतिविधियों का अड्डा बना भवन
भवन का उपयोग न होने से इसमें लगाई गई राशि तो व्यर्थ गई है, साथ ही यह अब अनैतिक गतिविधियों का अड्डा बन गया है। दूसरे चैनल गेट के पास एक जंगले को हटाकर असामाजिक तत्व अनैतिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं। एक गेट को तोड़कर दीवार पर टिका दिया गया है। ताकि चढऩे और उतरने में दिक्कत न हो। आसामाजिक तत्वों को रोकने के लिए मंडी प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
कृषक भवन भी छिना
कृषक संगोष्ठी भवन के अलावा मंडी में किसानों से कृषक भवन भी छिन गया है। कृषक भवन में राष्ट्रीय कृषि बाजार का ऑफिस संचालित हो रहा है। जिसके कारण किसानों को खुले में ही रातें गुजारनी पड़ रही हैं। कई बार अधिक आवक होने से किसानों को मंडी में रुकना पड़ता है। यदि कृषक भवन उनके लिए खुला रहे तो वे इसमें रुक सकते हैं।
किसानों के सम्मेलन के लिए दिया जाता था। लंबे समय से मरम्मत न होने से अभी उपयोगी नहीं है। इंजीनियर स्टीमेट बनाकर दे तो मरम्मत करवाकर उपयोग में लेंगे। सामान चोरी की रिपोर्ट करवा दी गई है।
रियाज अहमद, सचिव कृषि उपज मंडी समिति गुना।
Published on:
21 Jun 2018 04:15 pm
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