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दिव्यांगों के आक्रोश व समर्थन ने बढ़ा दी सरकार की चिंता

स्वाभिमान यात्रा: जज्जी बस स्टैंड पहुंचकर आज बसों का करेंगे निरीक्षण

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दिव्यांगों के आक्रोश व समर्थन ने बढ़ा दी सरकार की चिंता

दिव्यांगों के आक्रोश व समर्थन ने बढ़ा दी सरकार की चिंता

गुना. जिले के राघौगढ़ से शुरू हुई दिव्यांग स्वाभिमान यात्रा को लोगों व अलग-अलग संगठनों से मिल रहे समर्थन और दिव्यांगजनों के आक्रोश ने मप्र सरकार के माथे पर पसीना ला दिया है। सूत्रों के मुताबिक, इस आंदोलन से चुनावी साल के चलते सरकार की चिंता बढ़ गई है। सरकार और जिले के आला अफसर ये सोचने पर मजबूर हैं कि इस आंदोजन से कैसे निपटा जाए।

दिव्यांग वर्ग समाज का सबसे प्रताड़ित व शोषित हिस्सा है। दिव्यांगों का साफ कहना है कि दिव्यांग हितैषी 16 सूत्रीय मांग पत्र पर समयबद्ध ठोस सहमति पश्चात ही यह अनोखा आंदोलन समाप्त होगा। वहीं पदयात्रा के सह संयोजक कालूराम सेन, जो दो दिन पहले दुर्घटना के शिकार हो चुके थे। उनका उपचार शहर की निजी हॉस्पिटल में चल रहा है। कालूराम सेन के सिर में गहरी चोट आई है और पैर फैक्चर है। जिसका ऑपरेशन कल हुआ है। इसके साथ ही देशराज राजपूत, गजब बाई, राजू, नरेंद्र, शांति भिलाला, संतोष बुनकर, पवन अहीरवाल, हेमराज मीना, रूपवती अहिरवार, इत्यादि दिव्यांग बीमार हो चुके हैं। अन्य दिव्यांगों के स्वास्थ्य में भी लगातार गिरावट आ रही है। दिव्यांगों की शारीरिक क्षमता अब पहले जितनी नहीं रही। अच्छी बात यह है कि जिले में संचालित दिव्यांग स्वाभिमान पदयात्रा में समाजसेवियों के द्वारा दिव्यांगों के लिए चाय नाश्ता एवं भोजन की संपूर्ण व्यवस्था की जा रही है। जिसमें प्रमोद भार्गव, राजेन्द्र तिवारी, रुठियाई से इलाक खान के द्वारा विशेष योगदान दिया जा रहा है।

समाजसेवी प्रमोद भार्गव के द्वारा पिछले 10 दिनों से दिव्यांग स्वाभिमान पदयात्रा में सम्मिलित दिव्यांगों के लिए भोजन की व्यवस्था की जा रही है। अन्य समाजसेवियों एवं संगठनों की ओर से भी दिव्यांग जनों के लिए भोजन इत्यादि की व्यवस्था की जा रही है।

बुधवार को दिव्यांग जज्जी बस स्टैंड पहुंचकर सभी बसों का निरीक्षण करेंगे। जिसमें विशेष रूप से यह देखा जाएगा कि बसों में दिव्यांगों के लिए 5 सीटें आरक्षित है या नहीं या संबंधित बस संचालक दिव्यांगों से पूरा किराया तो नहीं ले रहे हैं क्योंकि जिले में लगातार दिव्यांगों से पूरा किराया वसूल किया जा रहा है जिसमें गुना आरटीओ की बहुत बड़ी लापरवाही है।