
गणेश सिंह चौहान/गुरुग्राम. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के हटने के साथ ही हरियाणा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष पद से अशोक तंवर के हटाने की स्क्रिप्ट भी लिखी जा चुकी थी। हालांकि इसकी परिणति थोड़ी देरी और नाटकीय घटनाक्रम से हुई। असल में राहुल गांधी के हटते ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने पुराने साथियों से हाथ मिलाकर अभियान चलाया और इसमें वे कामयाब रहे। तंवर को पहले प्रदेशाध्यक्ष पद से हटवाया और फिर टिकट भी कटवा दिया। चुनाव से पहले हालात इतने गंभीर हो गए कि अशोक तंवर को राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिलने का समय तक नहीं लेने दिया गया। इससे तंवर अपनी ही पार्टी में कमजोर हो गए। नतीजतन तंवर को कांग्रेस में घेर लिया गया और आखिकार तंवर को कांग्रेस पार्टी छोडऩी ही पड़ी।
कांग्रेसी ही कर रहे 'कांग्रेस मुक्त' : अशोक तंवर
कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद अशोक तंवर ने आरोपों की झड़ी लगा दी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद की ओर इशारा करते हुए कहा कि कांग्रेस के अंदर के कुछ लोग कांग्रेस मुक्त कर रहे हैं। कुछ लोग पांच साल विदेश में बैठते हैं पैसा कमा लिया है और चुनाव में प्रकट हो जाते हैं, लेकिन इनके कर्म देवताओं वाले नहीं राक्षसी हैं। हमारे ऊपर हमला तक किया गया बावजूद इसके कोई सहयोग नहीं मिला।
राहुल के करीबियों की हत्या
तंवर ने कहा कि उनके सामने पार्टी छोडऩे के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था और वह फिलहाल भाजपा या किसी अन्य पार्टी में शामिल होने नहीं जा रहे हैं। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि राहुल गांधी के करीबियों की राजनीतिक हत्या की जा रही है। तंवर ने इस्तीफे में आरोप लगाया कि पार्टी को खत्म करने की साजिश रची जा रही है। कुछ दिन पहले ही उन्होंने राज्य विधानसभा चुनाव के लिए बनी विभिन्न समितियों से इस्तीफा दे दिया था।
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Published on:
05 Oct 2019 06:54 pm
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