
असम NRC बनी शादियों में रोड़ा, नागरिकता नहीं होगी सिद्ध तो शादी भी नहीं...
(गुवाहाटी,राजीव कुमार): असम में अब शादियां राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) में नाम है या नहीं, यह देखकर की जा रही है। यदि नाम नहीं तो शादी नहीं। असम के सिलचर के एक गांव में ऐसा ही हुआ है। एक परिवार ने अपनी बेटी की शादी इसलिए होने नहीं दी क्योंकि भावी वर अपनी नागरिकता से संबंधित कागजात दिखा नहीं पाया।
शादी तय करने के बाद किया मना
सिलचर के नयाग्राम गांव के दिलवार हुसैन लश्कर (30) और रीमा (बदला हुआ नाम) में काफी समय से प्रेम संबंध थे। दोनों ने अपने परिवारवालों को इस बारे में बताया और उनसे आर्शीवाद मांगा। इनके परिवारवालों ने शादी के लिए तिथि तय की। एक महीने के बाद रीमा के परिवारवालों के पैर तले की जमीन खिसक गई जब उन्हें पता चला कि दिलवार का नाम एनआरसी के प्रारुप में नहीं है। रीमा के पिता कुतुबुद्दीन बरभुइयां ने कहा कि मैं अपनी लड़की की शादी ऐसे व्यक्ति के साथ नहीं कर सकता जिसकी नागरिकता पर ही सवालिया निशान लगा है। दिलवार के साथ-साथ मेरी बेटी की नागरिकता भी सवालों में घिर जाएगी।
40 लाख लोगों के नहीं हैं नाम
असम में चालीस लाख लोग ऐसे हैं जिनके नाम पिछले साल जुलाई में आए एनआरसी के प्रारुप में नहीं आए हैं। हां, 31 अगस्त को एनआरसी का अंतिम प्रकाशन होने जा रहा है। नाम न रहने वाले विदेशी न्यायाधिकरणों में कागजातों के साथ अपील कर सकेंगे। हो सकता है कि इनमें से कई के नाम इस अंतिम एनआरसी में शामिल हो जाए। पर कुतुबुद्दीन ने कोई मौका लेना नहीं चाहा।
अपहरण का मामला दर्ज करवाया
कुतुबुद्दीन ने पिछले हफ्ते दिलवार के साथ अपनी बेटी की शादी से इनकार किया था। दिलवार के परिवारवालों ने कुतुबुद्दीन को समझाने की कोशिश की थी। लेकिन कुतुबुद्दीन का दिल नहीं पसीजा। पर दिलवार और रीमा अपने प्यार पर अड़े रहे और शादी के लिए भाग गए। अब पूरा घटनाक्रम सिलचर थाने पहुंच चुका है। कुतुबुद्दीन ने सिलचर थाने में एक मामला दर्ज करा कहा है कि दिलवार ने उसकी बेटी का अपहरण किया है।
Published on:
20 Aug 2019 07:48 pm
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