
जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए मांग रहे 1984 के दस्तावेज
ग्वालियर. यदि आप ग्वालियर शहर या जिले के अंतर्गत किसी कस्बे व गांव में दूसरे जिले से आकर रहने लगे हैं तो आपके लिए जाति प्रमाण पत्र बनवाना आसान नहीं है। दरअसल पटवारी की अनुशंसा तभी होगी जब आपके पास 1984 या उसके पूर्व का कोई ऐसा राजस्व रिकॉर्ड होगा जो यह सिद्ध करे कि आप 40 साल से ग्वालियर जिले के ही निवासी हैं। ऐसा न होने पर आपका जाति प्रमाण पत्र नहीं बन सकेगा। जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए लोकसेवा केंद्र व अन्य सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे लोगों की मानें तो 2000 रुपए देकर दलाल बिना ऐसा कोई रिकॉर्ड मांगे आसानी से प्रमाण पत्र बनवाकर दे रहे हैं। हालांकि जाति प्रमाण पत्र के मामले में लोग दलालों पर भरोसा नहीं जता रहे हैं। दरअसल इसके पीछे वजह ये है कि यदि एनवक्त पर दलालों के माध्यम से बनवाए गए जाति प्रमाण पत्र को अमान्य बताया गया तो मुसीबत भी खड़ी हो सकती है। इसी डर से ज्यादातर लोग दलालों के जरिए जाति प्रमाण पत्र बनवाने के बजाए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं।
प्रति दिन 80 से 100 आवेदक पहुंच रहे
कलेक्ट्रेट कार्यालय में संचालित लोकसेवा केंद्र पर प्रति दिन 80 से 100 लोग जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पहुंच रहे हैं। लेकिन उनमें से 50 ये 55 फीसदी ऐसे आवेदक वापिस लौट रहे हैं जो ग्वालियर शहर तथा आसपास के कस्बाई व ग्रामीण क्षेत्र में आकर 15 या 20 वर्ष पूर्व ही आकर बसे हैं। ऐसे में उनके लिए जाति प्रमण पत्र बनवाना बड़ा संकट बन गया है।
ग्वालियर में नहीं बन रहा जाति प्रमाण पत्र
ढाई दशक पूर्व मुरैना जिले से आकर ग्वालियर में बस गए हैं। अब जाति प्रमण पत्र की जरूरत होने पर नहीं बन रहा है। 1984 के पूर्व के ऐसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं जो यहां का निवासी होना सिद्ध करें। ऐसे में बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
राज बहादुर सिंह गुर्जर, गोला का मंदिर के पास ग्वालियर
जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए लगा रहे चक्कर
ग्वालियर में करीब 19 वर्ष पूर्व आकर बसे हैं। इससे पहले दतिया जिले में रह रहे थे। जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए एक साल से चक्कर लगा रहे हैं लेकिन बनाया नहीं जा रहा है। 1950 के पूर्व का रिकॉर्ड मांगा जा रहा है। ऐसा रिकॉर्ड मौजूद नहीं होने पर पिछले एक साल से जाति प्रमण पत्र नहीं बन पा रहा है। ऐसे में नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे। इसके अलावा आरक्षण का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।
कमलेश कुमार जाटव, बहोड़ापुर ग्वालियर
जो दलाल बनवाकर देंगे, खामियाजा वे भुगतेंगे
शासन के ऐसे नियम हैं और एक्ट भी है जिसके तहत ही जाति प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं। अजा वर्ग को 1950 और पिछड़ा वर्ग को 1984 का रिकॉर्ड देना है। इसके लिए छानबीन समति भी गठित है। बिना रिकॉर्ड लिए जो भी दलाल जाति प्रमाण पत्र बनवाकर देंगे उसका खामियाजा वे भुगतेंगे।
अनिल बनवारिया, एसडीएम घाटीगांव ग्वालियर
Published on:
27 Apr 2023 06:21 pm
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