
लंगर में काजू, बादाम, अखरोट की दी जा रही खास शरदाई
ग्वालियर. सिखों के धार्मिक तीर्थ स्थान के रूप में किला स्थित दाताबंदी छोड़ गुरुद्वारा बहुत विख्यात है. इस साल दाताबंदी छोड़ गुरुद्वारा का 400वां शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है. इस मौके पर तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जोकि सोमवार से शुरू हुआ। कार्यक्रम में शामिल होने यहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में सिख संगत पहुंची है।
तीन दिवसीय कार्यक्रमों के पहले दिन यानि सोमवार को सुबह गुरु ग्रंथ साहिब पाठ के साथ महोत्सव शुरू हुआ। दोपहर में सहज पाठ साहिब भोग चढ़ाया गया। महोत्सव में हजारों लोग शामिल हो रहे हैं. इसके लिए भोजन प्रसादी के सात लंगर 24 घंटे चल रहे हैं। हाल ये है कि यहां हर घंटे लगभग ढाई हजार रोटियां बनाई जा रही हैं।
रोटी के लिए खास तौर पर मक्के का आटा बुलाया गया है. इसे अमृतसर से लाया गया है। सातों लंगर में स्वप्रेरणा से लोग भोजन बनाने के काम में जुटे हुए हैं. यहां ८०० से ज्यादा लोग भोजन बना रहे हैं. यह काम लगातार चल रहा है. कार्यक्रम में सेवादार २४ घंटे काम ०३ शिफ्ट में काम कर रहे हैं. भोजन बनाने के काम में मुख्यत: महिलाएं लगी हुई हैं जोकि ५० -५० के समूह में काम कर रहीं हैं.
यह शरदाई है खास
गुरुद्वारे के बाहर निहंग सेना का लंगर है। प्रवेश द्वार पर शरदाई (पेय) की व्यवस्था है। यह आम शरदाई नहीं है बल्कि इसे खास तरीके से बनाया जा रहा है. इस शरदाई को सूखे मेवों से तैयार किया जाता है. सेवादारों के अनुसार शरदाई को काजू, बादाम, काली मिर्च, अखरोट की गिरी के साथ पानी में गलाने के बाद घोंटकर मलमल के कपड़े से छानकर तैयार किया जाता है।
Published on:
05 Oct 2021 09:16 am
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