
ग्वालियर. समय के साथ चीजें बदल रही हैं। ऐसे में हर एक का डिजिटल से जुडऩा जरूरी है। इसके लिए नॉलेज के साथ-साथ टेक्नोफ्रेंडली होना भी जरूरी है। इस दिशा में प्रदेश के युवा काम कर रहे हैं। ग्वालियर के सुनील शर्मा ने कोरोना काल में आए चैलेंजेस में खासा बदलाव करते हुए डिजिटल पढ़ाई को आसान रूप दे दिया. उनके प्रयास के कारण लाखों बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं. खास बात यह है कि इसे भविष्य की पढ़ाई का रूप बताया जा रहा है.
प्रदेश के युवा ने तैयार किया प्लेटफॉर्म, कोरोना काल में काम आया
सुनील शर्मा ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिसकी मदद से स्टूडेंट्स और टीचर्स एक प्लेटफॉर्म पर आ चुके हैं। इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग बिहार सरकार कर भी रही है। इससे वहां के साढ़े तीन लाख स्टूडेंट्स वर्तमान समय में जुडकऱ शिक्षा ले रहे हैं। सुनील शर्मा बताते हैं कि कोरोना काल में बहुत सारे चैलेंजेस आए। ऐसे में बच्चों और युवाओं की शिक्षा का एक माध्यम डिजिटिल क्लासरूम ही नजर आया।
30 कॉलेज और 100 स्कूल कर रहे इनके बनाए डिजिटल क्लासरूम का उपयोग
इस पर हमने एक सॉफ्टवेयर तैयार किया, जिससे स्टूडेंट्स और टीचर्स को एक प्लेटफॉर्म पर लाए। इसमें टीचर्स के लिए अटेंडेंस, कोर्स से रिलेटेड कंटेंट डालने का ऑप्शन है। यह सॉफ्टवेयर बिहार के कई स्कूल और कालेज रन कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार बिहार के 30 कॉलेज और 100 स्कूलों में इस सॉफ्टवेयर की शिक्षा और अध्ययन में मदद ली जा रही है.
इसके लिए खर्च भी ज्यादा नहीं हो रहा है. इसपर स्टूडेंट्स से एक साल का महज 100 रुपए चार्ज किया जा रहा है। सॉफ्टवेयर को समय-समय पर अपडेट करने व स्मूथली रन करने के लिए भी लगातार काम किया जाता है. इसके लिए 11 लोगों की टीम अलग से काम कर रही है। सुनील शर्मा के अनुसार अन्य प्रदेशों में भी उनके इस सॉफ्टवेयर की डिमांड खासी बढ़ी है। सुविधाजनक होने से इस डिजिटल क्लासरूम का दायरा बढ़ता ही जा रहा है.
Published on:
10 Dec 2021 12:33 pm
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