
Collector or ADM has the authority to issue succession certificate: Court
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (सक्सेशन सर्टिफिकेट) को लेकर स्पष्ट किया है कि कलेक्टर या फिर अपर अपर को सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार है। जब किसी शासकीय कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है। उसका कोई नॉमिनी नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी किया जाता है, जिससे कर्मचारी के आश्रितों को पेंशन, ग्रेच्युटी सहित अन्य लाभ के लिए परेशान न होना पड़े।
दरअसल नरेंद्र माहौर के बड़े भाई की राजेंद्र का 8 अप्रैल 2015 को निधन हो गया था। इनके निधन के बाद उत्तराधिकार को लेकर विवाद हो गया। नरेंद्र का तर्क था कि वह अपने बड़े भाई की देखभाल करते थे। उन्होंने 28 मार्च को 2015 को एक वसीयत की, जिसमें उन्हें उत्तराधिकारी घोषित किया। उन्होंने खुद को उत्तराधिकारी घोषित करने के लिए अपर कलेक्टर के यहां आवेदन लगाया। अपर कलेक्टर ने उसका आवेदन खारिज कर दिया। नरेंद्र ने अपर कलेक्टर के 26 जून 2016 के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। उनकी ओर से दिया कि बड़े भाई का विवाह कविता से हुआ था, लेकिन दोनों 2008 में अलग हो गए थे। इसके बाद उन्होंने 10 सितंबर 2008 को गंगो बाई से दूसरा विवाह किया, लेकिन कलेक्टर गंगोबाई को वेतन भत्तों के लिए उत्तराधिकारी माना है, जबकि बड़े भाई उसके साथ रहते थे और उनकी सेवा भी करते थे। बड़े भाई ने उनके वसीयत भी की, लेकिन अपर कलेक्टर ने नॉमिनी घोषित करने के लिए उस वसीयत को नहीं माना है। आवेदन खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता व शासन के तर्क सुनने के बाद माना कि वर्ष 2001 में जारी सर्कुलर के आधार पर कलेक्टर के द्वारा जारी सर्टिफिकेट को सही ठहराया। जिस वसीयत के आधार पर याचिकाकर्ता दावा कर रहा है, उसे किसी भी सिविल कोर्ट ने मान्य नहीं किया है। ज्ञात है कि राजेंद्र आबकारी विभाग में भृत्य पद पर थे।
Published on:
09 Mar 2024 11:21 am
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