
फोटो सोर्स: पत्रिका
MP News: जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग (उपभोक्ता फोरम) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में डॉक्टर की लापरवाही साबित होने पर मरीज को एक लाख रुपए मुआवज़ा देने का आदेश दिया है। आयोग ने कहा कि इलाज के दौरान आवश्यक सतर्कता न बरतने और तथ्यों को छिपाने के कारण मरीज की आंख को स्थायी नुकसान पहुंचा, जिससे उसे शारीरिक, मानसिक और आर्थिक पीड़ा झेलनी पड़ी।
यह मामला चतुर्भुज गुप्ता, (77) निवासी थाटीपुर का है। उन्होंने कन्हैयालाल विनोद कुमार मेमोरियल आई हॉस्पिटल के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज की थी। गुप्ता ने 9 मार्च 2021 को अस्पताल में मोतियाबिंद ऑपरेशन कराया था। आरोप है कि ऑपरेशन के दौरान लैंस इप्लांट लगाते समय डॉक्टर ने लापरवाही बरती, जिससे आंख के अंदर पोस्टेरियर कैप्सूल रिप्चर हो गया।
बावजूद इसके, डॉक्टर ने यह तथ्य मरीज से छिपा लिया और उचित उपचार नहीं दिया। ऑपरेशन के 15 दिन बाद भी गुप्ता को साफ दिखाई नहीं दे रहा था। दूसरी जांच में पता चला कि लैंस के कुछ टुकड़े आंख के अंदर ही रह गए, जिससे स्थायी नुकसान हो गया। बाद में अन्य चिकित्सकों ने भी इस तथ्य की पुष्टि की।
-डॉक्टर को मरीज को 1,00,000 क्षतिपूर्ति 45 दिनों के भीतर देनी होगी।
-राशि देने में देरी पर 6% वार्षिक ब्याज देना होगा।
-मानसिक पीड़ा के लिए 5,000 और वाद व्यय के लिए 1,000 अतिरिक्त अदा करने होंगे।
डॉ. राकेश गुप्ता ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि ऑपरेशन चिकित्सकीय मानकों के अनुसार हुआ था। मोतियाबिंद सर्जरी में कभी-कभी जटिलताएं हो जाना स्वाभाविक होता है। उन्होंने इसे ‘मेडिकल प्रॉसेस का जोखिम’ बताया, न कि लापरवाही।
आयोग ने तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि डॉक्टर यह साबित नहीं कर सके कि मरीज को ऑपरेशन से पहले जोखिमों की जानकारी दी गई थी या उसकी सहमति ली गई थी। समय पर उपचार के लिए रेफर न करना।
Published on:
02 Nov 2025 11:15 am
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