
ग्वालियर. कोरोना का ओमीक्रोन वेरिएंट डेल्टा से ज्यादा खतरनाक है, इस डर को कैश करने का खेल भी चालू है। कोरोना से बचने के लिए सरकार ने कोविड गाइडलाइन जारी की है, लेकिन सिक्के के दूसरे पहलू में एंटीवॉडी बढ़ाने के नाम पर दवा और इंजेक्सन का कोरबार भी पनप रहा है। हालांकि चिकित्सक इसे थोथे दावे बता रहे हैं।
यह दवाएं और इंजेक्शन संक्रमण से नहीं बचा सकते। उसके लिए वैक्सीन, सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क सबसे सुरक्षित जरिया है। कोरोना की दूसरी लहर में भी इसी तरह लोगों के डर का फायदा उठा कर उन्हें ठगने वाले बाजार में आए थे। बिना वजह लोगों को प्लाजा और तमाम अंग्रेजी और आयुर्वेदिक दवाएं एंटीबॉडी बढ़ाने के नाम पर मुहैया करा कर ठगा था। लोगों को भरोसा दिलाया था इन उत्पादों का इस्तेमाल करने से कोरोना नहीं होगा। उनके धोखे में आने वालों ने पैसा गंवाया और संक्रमण की चपेट में आकर जान को भी खतरे में डाला था।
तीसरी लहर में कोरोना पीक पर आ रहा है तो इस तरह लोगों को ठगने फिर सक्रिय हो गए हैं। इनकी बातों परे दावों पर भरोसा करने की बजाय लोगों को कोविड गाइडलाइन और वैक्सीन पर भरोसा करना चाहिए। जेएएच सीनियर डॉक्टर डॉ. संजय धवले ने कहा कि एंटीबॉडी बढ़ाने वाली दवाएं लेना घातक हो सकता है। तीसरी लहर में कोरोना संक्रमण तेजी से फैला है। हर दिन दोगुनी के करीब संक्रमित सामने आ रहे हैं। संक्रमितों को उसका सही इलाज लेना चाहिए। अपने हिसाब से एंटीबॉडी बढ़ाने वाली दवाएं लेना घातक भी हो सकता है।
संक्रमण के साथ दवाओं में अंतर
दूसरी और तीसरी लहर के संक्रमण में अंतर है इसलिए उससे बचाव की दवाएं भी अलग हैं। चिकित्सकों का कहना है संक्रमण की आशंका में आने वाले चिकित्सक के पास आने से बचते हैं। उन्हें पता होता है कि डॉक्टर के पास जाने पर कोरोना टेस्ट कराना पड़ेगा, इसलिए मेडिकल स्टोर से दवाएं लेते हैं। ऐसे में उन्हें ठगा भी जाता है। संक्रमण का खतरा बताकर दवा बेचने वाले एंटीबॉडी बढ़ाने का हवाला देकर वह दवाएं बेच रहे हैं।
Published on:
17 Jan 2022 04:10 pm
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