
मकान टूटते देख महिला ने लगाई फांसी,कई लेट गईं जेसीबी के आगे, वीडियों में देखें निगम की कढ़ी कार्रवाही
ग्वालियर। सिटी सेंटर के पॉश एरिया महाराणा प्रताप नगर में नगर निगम ने शनिवार को कार्रवाई कर 25 से 27 साल पहले बने आलीशान मकानों को तोड़ दिया। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में की गई कार्रवाई के दौरान काफी हंगामा होता रहा। सुबह जब निगम के अधिकारी मकान तोडऩे पहुंचे तो एक महिला सुषमा भदौरिया ने गले में फंदा लगा लिया, इससे आस पास के लोग घबरा गए और उन्हें समझाइश देकर फंदे से अलग किया, एक अन्य महिला उमा खंडेलवाल मकान टूटता देख बेहोश हो गईं। घबराईं महिलाओं ने अधिकारियों के हाथ जोड़कर विनती की और कुछ समय देने को कहा, लेकिन अधिकारी नहीं माने। लगभग सात घंटे चली कार्रवाई के दौरान प्रशासन पर पक्षपात के भी आरोप लगे। निगम के अधिकारियों ने पूरी कार्रवाई उच्च न्यायालय के निर्देश पर होने की बात कही है, जबकि कुछ लोगों का कहना था कि 23 जुलाई को होने वाली सुनवाई में रहवासियों को न्यायालय में पक्ष रखना है, इसके बाद ही कोई कार्रवाई होनी चाहिए थी।
फिर बेहोश...
राजेन्द्र राजपूत के मकान पर कार्रवाई के लिए जेसीबी पहुंची तो महिलाएं विरोध करने लगीं। उनका कहना था कि वह किराए से रह रही हैं, उनको सामान हटाने समय दिया जाए। अधिकारी नहीं माने और जेसीबी चालक से दीवार तोडऩे के लिए कहा, तो महिलाएं जेसीबी के आगे लेट गईं। इस पर नायब तहसीलदार डॉ.मधुलिका तोमर ने महिलाओं को समझाइश दी।
कलेक्टर ने दी मोहलत
महिलाओं ने कलेक्टर बंगले पर जाकर घेराव किया और मोहलत मांगी, इसके बाद कलेक्टर ने सामान हटाने के लिए 4 घंटे की मोहलत दी, लेकिन निगम ने समय सीमा पूरी होने से पहले ही तुड़ाई शुरू कर दी। नेताओं की नहीं चली भाजपा नेता और पार्षद सतीश सिकरवार ने कार्रवाई का विरोध किया। कांग्रेस नेता मुन्नालाल गोयल ने अधिकारियों से लोगों को मोहलत देने का अनुरोध किया। लेकिन अधिकारियों ने किसी की नहीं सुनी।
70 पुलिस जवान तैनात
कार्रवाई के दौरान पुलिस के लगभग 70 जवान, एएसपी अमन सिंह राठौर, सीएसपी धर्मराज मीणा के नेतृत्व में डटे रहे। इसके अलावा एसडीएम नरोत्तम भार्गव और नायब तहसीलदार डॉ. मधुलिका तोमर मॉनीटरिंग करती रहीं।
इनके तोड़े जाने हैं मकान
दलवीर सिंह, कांती प्रकाश गोयल और मिथलेश शर्मा, गौरीशंकर, रमादेवी, रामलखन सिंह, शरद भदौरिय, पीके खंडेलवाल, सुयश शर्मा, राघवेन्द्र सिहं, मीना देवी, रविन्द्र सिंह भदौरिया, विवेक सिंह, राजेन्द्र राजपूत, उमा शमा, आरएस भदौरिया, माधव पवैया के मकान शामिल हैं। इनमें किसी का एक मंजिल तो किसी का चार मंजिल तक मकान बना था।
मंत्री से कराया फोन
स्थानीय लोगों ने बताया कि नगर प्रशासन मंत्री मायासिंह से निगमायुक्त को फोन कराया गया था। उन्होंने लोगों को समय देने के लिए कहा था, लेकिन निगमायुक्त ने कार्रवाई जारी रखी। कुछ रहवासियों का कहना था कि पांच मकानों को ज्यादा निशाना बनाया गया। मुख्य सड़क पर बने होटल और अन्य व्यावसायिक इमारतें भी डीआरडीओ की 200 मीटर की परिधि में बनी हैं, इसलिए उन सभी पर कार्रवाई होना चाहिए।
तोडफ़ोड़ रोकने के आवेदन पर सोमवार को सुनवाई
भवन तोड़े जाने की कार्रवाई पर रोक लगाने के आवेदन पर सुनवाई के लिए शनिवार को उच्च न्यायालय की विशेष पीठ का गठन नहीं हो सका। अब इस मामले में सोमवार को ही कार्रवाई होगी। महाराणा प्रताप नगर निवासी रमेश भदौरिया, शरद भदौरिया, गौरीशंकर खटीक, उमा शर्मा तथा बलवीर द्वारा पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी, डीपीएस भदौरिया, अवधेश सिंह तोमर तथा आरके सोनी के माध्यम से उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर के प्रिंसिपल रजिस्ट्रार को चीफ जस्टिस मध्यप्रदेश के नाम एक आवेदन दिया कि नगर निगम उनके भवन तोडऩे पर आमादा है।
इसलिए शनिवार को विशेष पीठ का गठन कर उनके मामले की सुनवाई कर तोडफ़ोड पर रोक लगाई जाए। यह फैक्स जबलपुर भेज दिया गया था। नगर निगम द्वारा इन लोगों को 31 मई को दिए गए नोटिस की प्रति इसमें लगाई गई थी, इसे देखते हुए विशेष पीठ के गठन की आवश्यकता न पाते हुए प्रकरण को सोमवार 23 जुलाई को ही सुनवाई के लिए रखा गया है।
यह की गई मांग
उनके भवनों को तोडऩे की कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाई जाए। यदि भवन तोड़े गए तो उन्हें बहुत बड़ा नुकसान होगा।
-नगर निगम अधिनियम के तहत उनके द्वारा समझौते के लिए जो आवेदन दिए गए हैं उन्हें स्वीकार कर उन्हें अनुमति दी जाए। वे इसके लिए जो नियम बनाए गए हैं उसके तहत राशि देने के लिए तैयार हैं।
जमा पूंजी लगा दी
1991 में जमीन लेकर मकान बनवाया है। इसमें अभी तक जमा पूंजी लगा दी। अब मकान छोडऩा पड़ रहा है। प्रशासन को सोचना चाहिए कि हम लोगों से किसी को क्या परेशानी हो सकती है।
सुधा सिकरवार, रहवासी
जिम्मेदारों पर हो कार्रवाई
इतने सालों से बिल्डिंग बन रही हैं, इसके बावजूद निगम अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। अभी जो कार्रवाई हुई है, उसमें भी निगम अधिकारियों ने होटल और कमर्शियल एक्टिविटीज वाले मकानों को छोड़ दिया है। जिन भवन अधिकारियों और अन्य अधिकारियों के समय में बिल्डिंग बनी हैं, उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।
अवधेश तोमर, एडवोकेट
कोर्ट का आदेश है
कोर्ट के निर्देश पर कार्रवाई हुई है, इसके लिए सूची बनाकर दी गई थी, जो मकान बिना परमिशन के बने हैं, उनको चिह्नित कर कार्रवाई की गई है।
एपीएस भदौरिया, उपायुक्त-नगर निगम
Updated on:
22 Jul 2018 12:07 pm
Published on:
22 Jul 2018 11:57 am
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