22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

2128 दिन की देरी पर जताई नाराजगी, कहा अधिकारियों पर कार्रवाई केवल दिखावा व भ्रामक

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने राज्य सरकार द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका 22 जुलाई 2019 को पारित आदेश को चुनौती देने के लिए लगाई गई थी। लेकिन इसमें 2128 दिन की देरी हुई और सरकार ने इसे जायज ठहराने के लिए जिन कारणों का हवाला दिया, उन्हें अदालत ने "दिखावा और भ्रामक प्रयास" करार दिया।

less than 1 minute read
Google source verification
gwalior high court

gwalior high court

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने राज्य सरकार द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका 22 जुलाई 2019 को पारित आदेश को चुनौती देने के लिए लगाई गई थी। लेकिन इसमें 2128 दिन की देरी हुई और सरकार ने इसे जायज ठहराने के लिए जिन कारणों का हवाला दिया, उन्हें अदालत ने "दिखावा और भ्रामक प्रयास" करार दिया। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार खुद ही अपने "घर को ठीक करने" में रुचि नहीं दिखा रही है और ऐसे अधिकारियों को प्रोत्साहित कर रही है, जिन्होंने अपनी लापरवाही से राज्य के हितों के विरुद्ध आदेश पारित होने दिया।

राज्य शासन ने याचिका में कहा था कि लापरवाही करने वाले 12 अधिकारियों को शो-कॉज़ नोटिस जारी किए गए हैं और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई पर विचार हो रहा है। अदालत ने साफ किया कि केवल नोटिस जारी करना पर्याप्त नहीं है, जब तक यह विभागीय जांच या दंडात्मक आदेश में परिणत न हो। कई बार समय दिए जाने के बावजूद सरकार संबंधित अधिकारियों पर चार्जशीट जारी करने और कार्रवाई करने में विफल रही। सरकार का यह रवैया दर्शाता है कि अधिकारियों पर कार्रवाई का दावा केवल अदालत को प्रभावित करने का "छलावा" था। राज्य सरकार को जो हानि हो रही है, उसकी भरपाई जिम्मेदार अधिकारी से की जानी चाहिए। ज्ञात है कि राज्य शासन ने सहायक शिक्षक लहार पुष्पा श्रीवास्तव के पक्ष में दिए आदेश पर पुनिर्विचार के लिए याचिका दायर की थी।