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फिर हुई गांधी के हत्यारे गोडसे की पूजा प्रशासन को नहीं लगी भनक

हिन्दू महासभा ने एक बार फिर प्रशासन को चुनौती देते हुए किया आयोजन, लगाए जिंदाबाद के नारे

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ग्वालियर. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को लेकर अक्सर ग्वालियर सुर्खियों में रहता है। एक बार हिंदू महासभा ने गोडसे का महिमामंडन करते हुए पार्टी कार्यालय में नाथूराम गोडसे और उनके साथी नारायण आप्टे का बलिदान दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया।

हिंदू महासभा के ऑफिस में नाथूराम गोडसे की मूर्ति की पूजा की गई और हिन्दू महासभा के नेताओं ने घोषणा की मेरठ की तरह पूरे देश में नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। दोनों की मूर्तियां जिला स्तर स्थापित करने के हिंदू महासभा काम कर रही है। सोमवार को हिन्दू महासभा ने शहर के दौलतगंज में पार्टी कार्यालय पर अम्बाला जेल से लायी गई मिट्टी से तिलक किया और नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे का 72 वां बलिदान दिवस मनाया।

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महात्मा गांधी की हत्या के बाद 15 नवम्बर को 1949 को नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को अम्बाला जेल में फांसी दी गई थी। नाथूराम गोडसे को बापू के हत्यारे के रूप में पहचाना जाता है लेकिन हिन्दू महासभा उन्हें अपना आदर्श मानती है। हिन्दू महासभा नाथूराम गोडसे और उनके साथी नारायण आप्टे की पूजा करती है। पार्टी ने मेरठ में दोनों की मूर्तियां स्थापित की है। पार्टी ने कि वो पूरे देश में दोनों की मूर्तियां स्थापित करेगी और देश को बताएगी कि नाथूराम गोडसे देशभक्त थे।

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जयवीर भरद्वाज ने एलान किया कि अभी नाथूराम गोडसे की मूर्ति बनकर आ गई है, नारायण आप्टे की मूर्ति आते ही दोनों की मूर्तियां कार्यालय में स्थापित कर देंगे। हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ जयवीर भाद्वाज ने कहा कि कांग्रेस के चलते देश का विभाजन हुआ था और इसकी वजह से लाखों हिन्दुओं की जान चली गई थी, इसकी वजह से ही नाथूराम गोडसे ने ये कदम उठाया। यही वजह है कि आज पूरे देश में हिंदू महासभा बलिदान दिवस मना रही है। अम्बाला जेल में नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी दी गई थी इसलिए अंबाला शहर की मिट्टी से दोनों के चित्र पर तिलक किया गया है। हिन्दू महासभा ने कहा कि पार्टी ने संवैधानिक अधिकारों के तहत पहले नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे की मूर्ति स्थापित करने के लिए अनुमति मांगी है। इसके लिए जिला प्रशासन पत्राचार किया है। दोनों की मूर्ति हिंदू महासभा के पार्टी कार्यालय में स्थापित की जाएगी। अब पार्टी प्रशासन से अनुमति मिलने का इंतजार कर रहे हैं।


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