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भगवान को नहीं हैं 56 भोग की जरूरत : प्रेमभूषण महाराज

- मंशापूर्ण हनुमान मंदिर, रामबाग कॉलोनी में रामकथा का चौथा दिन

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भगवान को नहीं हैं 56 भोग की जरूरत : प्रेमभूषण महाराज

भगवान को नहीं हैं 56 भोग की जरूरत : प्रेमभूषण महाराज

ग्वालियर. हम भगवान को 56 भोग लगाते हैं। पूजा, अनुष्ठान और यज्ञ करते हैं, लेकिन भगवान को इन सब की जरूरत नहीं हैं। ये तो हम अपने सौभाग्य को सराहने के लिए करते हैं। हम ये जो भी करते हैं सिर्फ और सिर्फ अपने लिए करते हैं। पर जो करते हैं वो तो ठीक है, कुछ लोग तो कुछ करते भी नहीं हैं और करने वालों की निंदा करते हैं। ये उचित नहीं हैं। यह विचार प्रेमभूषण महाराज ने मंशापूर्ण हनुमान मंदिर रामबाग कॉलोनी में चल रही श्रीराम कथा के चौथे दिन बुधवार को व्यक्त किए। इस मौके पर खनेताधाम के रामभूषण महाराज प्रमुख रूप से मौजूद रहे। प्रेमभूषण महाराज ने श्रीरामकथा के रस की वर्षा करते हुए कहा कि कथा वक्ता से ज्यादा श्रोता को सावधानी रखने की जरूरत होती है, क्योंकि कथा श्रवण में बहुत बाधाएं आती हैं। साधक को सदा सत्कर्म कर के प्रभु के चरणों में अर्पित करते रहना चाहिए।

मन लगाकर सत्संग करिए
उन्होंने कहा कि सत्कर्म मन को नहीं भाता है। मन रूपी हाथी विषय रूपी अग्नि में जलता रहता है, जो अपने मन रूपी हाथी को शांत और नियंत्रित कर लेता है वही भजन कर पाता है। इसलिए मन लगाकर सत्संग करिए। अपने लिए और अपनों के लिए सत्संग में गतिमान रहिए। सत्संग विवेक को जागृत कर देता है। उन्होंने यह भी कहा कि आसुरी शक्तियों को अत्यधिक वर्धन हो जाना ही समस्या है।

शंकराचार्य ग्वालियर आए
श्रीरामकथा के श्रवण एवं मंशापूर्ण हनुमान रामबाग कॉलोनी में 6 अप्रेल को सुबह हनुमान जयंती महोत्सव में शिरकत करने के लिए द्वारिकापीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती बुधवार को दोपहर ग्वालियर आए। आगरा तक वे हवाईमार्ग से आए, जहां ग्वालियर से पहुंचे श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर उनकी अगवानी की। तत्पश्चात वे सडक़ मार्ग से ग्वालियर आए। यहां रामबाग कॉलोनी में उन्होंने मंशापूर्ण हनुमान के दर्शन करने के बाद उन्होंने विश्राम किया और रात्रि में श्रद्धालुओं को दर्शन दिए।