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सरकार ने दिया किसानों को बड़ा तोहफा,फिर भी इस जिले के किसानों को नहीं मिलेगा फायदा

सरकार ने दिया किसानों को बड़ा तोहफा,फिर भी इस जिले के किसानों को नहीं मिलेगा फायदा

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dhan  in sheopur

सरकार ने दिया किसानों को बड़ा तोहफा,फिर भी इस जिले के किसानों को नहीं मिलेगा फायदा

ग्वालियर। केंद्र की मोदी सरकार ने बुधवार को खरीफ की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा दिया है। जिससे देशभर और प्रदेश के किसानों को बड़ा तोहफा मिला है और किसानों के चेहरे पर खुशी भी देखी जा रही है। लेकिन प्रदेश का एक जिला ऐसा भी जिसके किसानों को इसका कोई फायद नहीं मिल सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि श्योपुर के किसान धान समर्थन मूल्य पर बेचने के बजाय राजस्थान की मंडियों में बेचते हैं,जहां दाम समर्थन मूल्य से दुगुने होते हैं।

विशेष बात यह भी है कि प्रदेश सरकार समर्थन मूल्य पर केवल मोटा धान खरीदती है,जबकि श्योपुर जिले में किसान बारीक धान (उच्च क्वालिटी का) करते हैं। जिसकी बाजार में कीमत समर्थन मूल्य से भी दुगुनी होती है। यही वजह है कि गत वर्ष 2017 में भी जब सरकार ने मार्कफेड के जरिए जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदा तो महज 2 किसानों से 118 क्ंिवटल धान बेचा था। वहीं 2016 में तीन किसानों ने धान बेचा था। उल्लेखनीय है कि बुधवार को केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों में धान का समर्थन मूल्य 1550 रुपए से 200 रुपए बढ़ाकर 1750 रुपए प्रति क्ंिवटल कर दिया है।

सरकार द्वारा बढ़ाए गए धान के समर्थन मूल्य को बीते एक दशक में सबसे बढ़ी बढ़ोत्तरी बताया जा रहा है, लेकिन श्योपुर जैसे छोटे जिले के धान उत्पादक किसानों को रत्तीभर भर भी फायदा नहीं है। जिले में पिछले कुछ वर्षों में धान के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा है। हालांकि अल्पवर्षा के चलते गत वर्ष धान का उत्पादन प्रभावित हुआ था, लेकिन गत वर्ष भी लगभग 19 हजार हेक्टेयर मेंं किसानों ने धान लगाया था।

ऐसे में इस वर्ष अच्छे मानसून की उम्मीद के बीच कृषि विभाग ने भी जिले में धान का रकबा 20 हजार 916 हेक्टेयर तय किया है। जिसके लिए किसानों ने तैयारियां शुरू कर दी है और धान की पौध तैयार की जा रही है।

कोटा-बारां जाते हैं श्योपुर के किसान
श्योपुर के धान उत्पादक किसान अपनी धान की उपज विक्रय करने के लिए श्योपुर के समर्थन मूल्य के केंद्र की बजाय राजस्थान के कोटा और बारां की मंडियों में जाते हैं। जहां गत वर्ष धान की कीमत 3000 से 4000 रुपए प्रति क्ंिवटल तक रही थी। चूंकि कोटा और बारां ले जाने में किसानों को काफी दिक्कते आती है, लिहाजा क्षेत्र के किसान पिछले काफी समय से श्योपुर मंडी में ही धान की खरीदी शुरू करवाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन श्योपुर मंडी में स्थानीय व्यापारी धान खरीदने में रुचि नहीं दिखाते।