
जंगल कैंप से नक्सली और डकैतों से निपटने के तरीके सिखाए जा रहे
प्रदेश में नक्सलियों और अंचल डकैतों का लगभग सूपड़ा साफ हो चुका है। इन अपराधियों की कौम दोबारा खतरा नहीं बने, इसलिए पुलिस की नई पीढि़ इनके खात्मे के गुर सीख रही है। देव खोह(तिघरा) में 648 नव आरक्षकों की खेप को जंगल में रहने और इन अपराधियों से निपटने के लिए छल भेष, खुद को छिपाने और जंगल में तीर की तरह चलने के पैंतरों के अलावा गुरिल्ला वॉर से निपटने के तरीके सिखाए जा रहे हैं।
शहर अपराधियों से निपटने और कानून की पढाई के साथ पुलिस ट्रेनिंग स्कूल के नवआरक्षक अब नक्सली और डाकुओं से निपटना सीख रहे हैं। इसलिए इनकी सात दिन के लिए जंगल में डेरा डाले हैं। इन्हें ट्रेंड कर रहे ड्रिल निरीक्षक बलराम पाराशर कहते हैं यह बात सही है नक्सली और डकैत दोनों की आखिरी पीढि़ खत्म हो चुकी है लेकिन भविष्य में यह खतरा फिर सिर नहीं उठाए इसलिए इनसे निपटने के तरीके तो जिंदा रखना पड़ेंगे। इसलिए नव आरक्षकों को शहरी बदमाशों और अपराधियों से जूझने के साथ नक्सली और डकैतों को खत्म करने के गुर भी सिखाए जा रहे हैं।
यह पैंतरे सीख रही टोली
कैमोफ्लाइज (छलभेष, खुद को छिपाना): इसमें पेड़, पत्ती, टहनियों और मिट्टी के रंग से मेल खाती ड्रेस पहनाई जाती है। वर्दी पर पत्तियां, घास और टहनियों को जाल बनाकर बांधा जाता है। गडढे, घास और झाडिय़ों में खुद को छिपाना सिखाया जाता है।
आर फायर: कैंप पर रात के वक्त हमला होने पर बचाव का तरीका सिखाया जाता है। इसमें कैंप में मौजदू सभी जवानों की हद बांटी जाती है। उसी दायरे में रहकर दुश्मन का खात्मा करना सिखाया जाता है।
सिंगल फॉरमेशन फॉल: हथियार लेकर जंगल में चलना
ऐरो हैड: घने जंगल में कटीले पेड़ों के बीच तीर की तरह चलना
रिवर्स ऐरो हैड: जंगली हिस्से में उल्टे तीर की तरह चलना
स्ट्रेटर लाइन: इसमें एक कतार में चलना
डायमंड पोजीशन: इसमें जवानों की टोली गोला बनाकर चलतीऔर ग्रुप लीडर बीच में चलता है। इसके अलावा जंगल की बारीकि से तलाशी जिसमें दाएं और बाएं से पुलिस की पार्टी जंगल में घुसती है इन पर हमला होने पर रिजर्व पार्टी का दुश्मन पर अटैक का तरीका।
वाइलेंट और साइलेंट के साथ नवआरक्षकों को गुरिल्ला वॉर से निपटने और इसी तरह हमला करने का गुर भी बताया जा रहा है।
दस्यु प्रभावित रहा अंचल, माहिर हो रहे जवान
ग्वालियर और चंबल अंचल में लंबे अर्से तक दस्यु समस्या रही है, कुछ सालों से अंचल के जंगलों में डकैत गैंग का खात्मा हो चुका है। लेकिन पुलिस की आने वाली पीढि़ को इस खतरे से निपटने में माहिर करना जरुरी है। इसलिए उन्हें यह ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें सात दिन तक नव आरक्षकों को जंगल कैंप से नक्सली और डकैतों से निपटने के तरीके सिखाए जा रहे हैं।
अखिलेश रेनवाल पीटीएस एसपी ग्वालियर
Updated on:
18 Dec 2025 02:14 am
Published on:
18 Dec 2025 01:57 am
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