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शहरों की स्वच्छता रैंकिंग जारी: पिछली रैंकिंग भी नहीं बची, बड़ी दौड़ में एक सीढ़ी और पिछड़ा ग्वालियर

शहरों की स्वच्छता रैंकिंग जारी: पिछली रैंकिंग भी नहीं बची, बड़ी दौड़ में एक सीढ़ी और पिछड़ा ग्वालियर

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शहरों की स्वच्छता रैंकिंग जारी: पिछली रैंकिंग भी नहीं बची, बड़ी दौड़ में एक सीढ़ी और पिछड़ा ग्वालियर

ग्वालियर। शहरों की स्वच्छता सूची में नगर निगम पिछली रैंकिंग बचाने में भी असफल साबित हुआ है, जिसके कारण ग्वालियर देश में 28 वें पायदान पर खिसक गया है, जबकि पिछले वर्ष 27 वें स्थान पर था। नगर निगम के अफसरों के स्वच्छता के प्रति लापरवाहीपूर्ण रवैये के कारण शहर पिछले एक साल में टॉप 10 शहरों में शामिल होने की जगह और पिछड़ गया। शनिवार को इंदौर में आयोजित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम के दौरान शहरों की स्वच्छता रैंकिंग की सूची जारी की गई।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कई शहरों को अवार्ड दिए, लेकिन उक्त सूची में ग्वालियर का कहीं कोई नाम नहीं था, जिसके चलते निगम के प्रयासों पर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि सर्वे के दौरान निगम ने शहर में जिस तेजी से स्वच्छता अभियान चलाया, वह सर्वे टीम के जाते ही ठप हो गया। कर्मचारियों ने फील्ड में जाना बंद कर दिया और लोगों को फिर से गंदगी के हालातों से जूझना पड़ा। रैंकिंग में पिछडऩे के बावजूद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अफसरों को बधाई दी, क्योंकि इस बार 400 की जगह 4023 शहरों के सर्वे में निगम को 28 वीं रैंक हासिल हुई है। इंदौर अपनी रैंक बचाने में कामयाब रहा है।

पांचवां सर्वे जल्द : स्वच्छ भारत मिशन के तहत पांचवा सर्वे अक्टूबर तक शुरू होने के कयास लगाए जा रहे हैं। अगर निगम ने समय रहते आपसी तालमेल और उक्त बिंदुओं पर तेजी से काम नहीं किया तो अगली बार और पिछड़ सकते हैं

इन बिंदुओं पर भी पीछे
48अंक : कुल उत्पन्न कचरे में से गीले और सूखे मे पृथक किये गए कचरे का प्रतिशत?
32अंक: घर-घर से कचरा संग्रहण व्यवस्था के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों (वार्डों) का प्रतिशत
32 अंक: एक ही कार्य दिवस में निष्पादन हेतु प्रसंस्करण इकाई भेजे गए संग्रहित कचरे का प्रतिशत
40 अंक: जीपीएस / आरएफआइडी आधारित वाहन ट्रैकिंग, वाहन चालकों को सम्मान प्रोत्साहन आदि
28 अंक : शासकीय/सार्वजानिक विभागों द्वारा अनुरक्षित तथा उद्यान के कचरे से स्थलीय कम्पोस्टिंग करने वाले।


नोट-इसके अलावा नाइट स्वीपिंग मशीनों से सफाई न होना जैसे बिंदुओं पर निगम की क्षमताओं का विकास न होने से भी निगम के नंबर काटे गए हैं।

अभी भी सुध नहीं

स्वच्छता रैकिंग में पिछडऩे के बाद भी स्वच्छता का दावा करने वाली निगम सफाई के प्रति उदासीन है। शहर के कई ऐसे इलाके हैं जहां गंदगी का अभी भी साम्राज्य जमा रहा है ऐसा ही फोटो पड़़ाव क्षेत्र इलाके का। -पत्रिका

"इंदौर से एेसे पिछड़े हम "

































तय अंकविषयइंदौरग्वालियरइसमें पिछड़े हम
1400अंक सर्विस लेवल प्रोग्रेस में1359728631
1200अंक सीधे ऑब्जरेवशन में1189110485

नोट-इंदौर से हम सर्विस लेवल प्रोग्रेस और सीधे ऑब्जरेवश में करीब 716 अंकों से पिछड़ गए हैं।

इसके पीछे जहां निगम की क्षमताओं से रैंकिंग प्रभावित हुई है। वहीं निगम अफसरों में आपसी तालमेल भी नहीं होने से कई बिंदुओं पर निगम को अंक हासिल नहीं हो सके हैं।

हमारी क्षमता सीमित
स्वच्छता रैंकिंग के लिए निगम की क्षमताएं सीमित थीं। हम लैंडफिल साइट शुरू तेजी से शुरू करा रहे हैं, 100 प्रतिशत डोर टू डोर सूखा और गीला कचरा कलेक्शन किया जाएगा। हम देश में टॉप रैंक प्राप्त कर सकें।
विनोद शर्मा, आयुक्त नगर निगम