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अनुराधा पौडवाल और अमजद अली के गानों से थिरके ग्वालियरवासी

गौरव दिवस पर देश के प्रख्यात कवियों ने पढ़ीं कविताएं

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ग्वालियर. ग्वालियर के हृदय स्थल महाराज बाड़ा पर आयोजित गौरव दिवस महोत्सव में विश्वविख्यात सरोद वादक पद्मविभूषण अमजद अली खान ने जहां सरोद के तारों से श्रोताओं को झंकृत कर दिया, वहीं भजन गायिका अनुराधा पौडवाल ने भजन की सुमधुर प्रस्तुति देकर सैकड़ों की संख्या में बैठी ऑडियंस को मंत्रमुग्ध कर दिया। अटल सम्मान से विभूषित हरिओम पंवार की अगुवाई में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन हुआ, जिसमें देर रात तक श्रोताओं ने खूब ठहाके लगाए। इस मौैके पर ऐतिहासिक इमारतों में खूबसरत लाइट लगाई गई। आतिशबाजी और चहुंओर रोशनी से माहौल उत्सवी बन गया। सैकड़ों की संख्या में शहरवासी इस उत्सव के साक्षी बने।

मन मेरा मंदिर शिव ही पूजा..

भजन गायिका अनुराधा पौडवाल ने शुरुआत अटलजी की एक कविता से की। इसके बाद उन्होंने मन मेरा मंदिर शिव ही पूजा... सुनाकर पूरा माहौल भक्तिमय बना दिया। अगली प्रस्तुति उनकी मां शेरे वाली की रही...। इसके बाद उन्होंने जिंदगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है..., धीरे-धीरे से मेरी जिंदगी में आना..., मेरे महबूब सुनाकर माहौल को खुशनुमा बना दिया। इस दौरान सारेगमप के कलाकारों ने भी प्रस्तुति दी।

महात्मा गांधी के भजन से की शुरुआत

कार्यक्रम की शुरुआत उस्ताद अमजद अली खान एवं उनके सुपुत्र अमान अली व अयान अली के सरोद वादन से हुई। उस्ताद ने महात्मा गांधी के भजन वैष्णव जन सब तेरे कहिए सुनाया। इसके बाद उन्होंने रघुपति राघव राजा राम की मधुर धुन निकालकर सभी को आनंदित किया। इससे पूर्व उस्ताद को सम्मानित किया गया। सम्मान लेते समय उस्ताद ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से अपनी पीड़ा व्यक्त की।

जो अपने प्राण देते हैं वो बेटे हैं किसानों के...
हास्य रस के प्रख्यात कवि डॉ. हरिओम पंवार ने श्रोताओं में देशभक्ति के जज्बे के साथ नया जोश भर दिया। उनकी कविता पैरों में अंगारे बांधे, सीने में तूफान भरे... जब सुनाया तो भारत माता की जय के नारे लगने शुरू हो गए। इसके बाद फरीदाबाद से आए कवि दिनेश रघुवंशी की कविता हमेशा तन गए आगे जो तोपों के दहानों के, कोई कीमत नहीं होती क्या प्राणों की जवानों के, बड़े लोगों की औलादें तो कैंडिल मार्च करती हैं, जो अपने प्राण देते हैं वो बेटे हैं किसानों के... सुनाकर माहौल को एक नई सोच दी।

अटल सम्मान से अंलकृत पंवार ने कहा...

प्रधानमंत्री मोदी की मेहनत बड़ी हो सकती है, लेकिन अटलजी का कद बड़ा थाअटल सम्मान से अंलकृत कवि हरियोम पंवार ने कहा कि अटलजी प्रधानमंत्री बनने के बाद भी हम कवियों को बहुत दुलार करते थे। प्रधानमंत्री मोदी की मेहनत बड़ी हो सकती है, लेकिन अटल बिहारी बाजपेयी का कद बड़ा था।

देर रात तक गूंजती रहीं तालियां

अलवर से आए विनीत चौहान ने अटलजी को अपनी कविता समर्पित करते हुए कहा कि तुम राजनीति के राजऋषि, तुम राष्ट्रवाद के उन्नायक, तुम तानसेन की नगरी में, भारत माता का सुरगायक...। उनकी कविता के दौरान बार-बार तालियों की आवाज गूंजती रही। कवि शशिकांत यादव ने सुनाया दुश्मन देश के बच्चे भी निकले देखो और तिरंगा भारत है सब पे भारी, तिरंगा है शान हमारी...। देर रात तक तालियों की आवाज गूंजती रहीं।