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women’s day 2018 : जीवन भर रही कुंवारी,संभाली पिता की जिम्मेदारी,ऐसी है इस महिला की कहानी

पहले कोर्ट में लड़ती थीं केस,अब खुद का संभाल रही है कारोबार

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women's day 2018

ग्वालियर/शिवपुरी। देश में महिलाएं आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं,चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो वह हर कदम पर एक पायदान में पहुंचकर हर दिन रोज एक नए कीर्तिमान गढ़ रही हैं। शहर में भी ऐसी कई महिलाएं है,जिन्होंने खुद तो संघर्ष किया ही,साथ ही अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए समाज के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बनीं। शिवपुरी शहर के गुरुद्वारा चौक पर स्थित वाहनों की बैटरी की दुकान का संचालन पिछले 11 साल से एक महिला कर रही है। पांच बहनों में शामिल प्रेमलता कपूर ने अपने पिता की मौत के बाद से परिवार की जिम्मेदारियों को संभालने के लिए शादी नहीं की।

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लॉ-ग्रेजुएट प्रेमलता पहले कोर्ट में केस लड़ती थीं और पिता के देहांत के बाद वे जीवन के संघर्षों से लड़ रही हैं। उनका कहना है कोमल है-कमजोर नहीं, नारी का नाम ही शक्ति है। शहर की आदर्श कॉलोनी में रहने वाली प्रेमलता कपूर गुरुद्वारा चौक पर स्थित अपने पिता स्व. नंदकिशोर कपूर की मौत के बाद वर्ष 2006 से दुकान का संचालन कर रही हैं। पे्रमलता की दो बड़ी व दो छोटी बहने हैं, जिनकी शादी हो चुकी है, लेकिन प्रेमलता ने शादी नहीं की। क्योंकि जब वो छोटी थीं, तब उन्होंने दादी व अपनी मां के बीच यह बातें सुनी थीं कि बेटा नहीं है,तो कैसे जीवन कटेगा। प्रेमलता कहती हैं कि यह बातें सुनने के बाद से ही मैंने यह सोच लिया था कि परिवार में बेटे की कमी को मैं कभी महसूस नहीं होने दूंगी। तभी से यह ठान लिया कि जैसे बेटा अपने परिवार की देखभाल करता है,ठीक वैसे ही मैं भी अपने परिवार का बेटा बनूंगीं। पिता का देहांत होने के बाद उनकी चिता को मुखाग्रि भी पे्रमलता ने दी थी।

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कोर्ट में प्रेक्टिस छोड़ किया दूसरा काम
पहले वे शिवपुरी कोर्ट में प्रेक्टिस किया करती थीं, लेकिन जैसे ही पिता का साया सिर से उठा तो वे मां की देखभाल व परिवार में बेटे का फर्ज निभाने के लिए कोर्ट की प्रेक्ट्सि को छोड़कर पिता की बैटरी की दुकान पर आ गईं। चूंकि उन्होंने कभी बैटरी के काम को न तो किया और न समझा,लेकिन उन्होंने दुकान पर काम करने वाले लोगों से इस काम को धीरे-धीरे समझा। अब वे खुद ही बैटरी निकालने से लेकर उन्हें चैक करके उसे लगाने का काम बिना की मदद से करती हैं।

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कोई कमी महसूस नहीं की
प्रेमलता का कहना हैकि मैं अपनी मां के साथ घर में रहती हूं। जब कभी अकेलापन महसूस होता है तो अपनी छोटी बहन के घर मां के साथ चली जाती हूं। वे पूरे विश्वास के साथ कहती हैं कि विवाह न करने के बाद भी जीवन के किसी मोड़ पर ऐसी कोई कमी महसूस नहीं होगी। पे्रमलता कहती हैं कि नारी की कोमलता को उसकी दुर्बलता न समझें। नारी जननी है और यह सृष्टि जो चल रही है,उसी से है। वे कहती हैं कि पिता की मौत के बाद जब दुकान संभाली,तो इतनी कारोबार में इतनी प्रतिद्वंदता नहीं थी, लेकिन अब आसपास ही बैटरी की दुकानें खुल गई हैं।