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पिता के लिए 14 साल के बेटे ने थामा था मंच पर माइक, तब अटल बिहारी वाजपेयी हार गए थे चुनाव

अटल बिहारी वाजपेयी ने इस हार का खुलासा 2005 में एक साहित्य सभा में किया था।

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jyotiraditya scindia

ग्वालियर. पूर्व केन्द्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया की आज ( 30 सितंबर ) को 18वीं पुण्यतिथि है। 18 साल पहले 2001 में एक विमान हादसे में माधव राव सिंधिया का निधन हो गया है। माधव राव सिंधिया की राजनीतिक विरासत को अब उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया संभाल रहे हैं। हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी सियासी पारी की शुरुआत अपने पिता के निधन के बाद 2002 में की थी। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहली बार 1984 में अपने पिता माधवराव सिंधिया के लिए चुनाव प्रचार किया था। इस चुनाव में माधव राव सिंधिया का मुकाबला भाजपा के कद्दावर नेता और राजनीति के अजात शत्रु अटल बिहारी वाजपेयी से था।

मां से साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया था प्रचार
1984 का लोकसभा चुनाव कई मायनों में अहम था। गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से चुनाव लड़ने वाले माधव राव सिंधिया को कांग्रेस ने 1984 में ग्वालियर संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। जबकि अटल बिहारी वाजपेयी इस सीट के लिए पहले ही अपना नामांकन दाखिल कर चुके थे। माधवराव सिंधिया के प्रचार के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी जनसभाएं की थीं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 1984 में अपनी मां माधवी राजे सिंधिया के साथ अपने पिता के लिए प्रचार किया था। तब ज्योतिरादित्य सिंधिया की उम्र मात्र 14 साल की थी।


माधवराव से हार गए थे अटल बिहारी वाजपेयी
1984 के लोकसभा चुनाव के जब परिणाम आये तो अटल बिहारी वाजपेयी माधवराव सिंधिया से करीब पौने दो लाख वोटों से अपना चुनाव हार गए थे। ऐसा कहा जा ता है कि गुना-शिवपुरी से चुनाव लड़ने वाले माधवराव सिंधिया ने 1984 में राजीव गांधी के कहने पर अपनी सीट बदल दी थी और गुना छोड़कर ग्वालियर आ गए थे। जब भाजपा को पता चला की माधवराव सिंधिया ग्वालियर से चुनाव लड़ने वाले हैं तो भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी को राजस्थान की कोटा या किसी अन्य सीट पर चुनाव लड़ने को कहा गया था, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था अब तो मैं सिर्फ़ ग्वालियर से ही चुनाव लड़ूंगा। अगर मैं कोटा से चुनाव लड़ा तो माधवराव सिंधिया के खिलाफ राजमाता ग्वालियर से चुनाव लड़ेगी और मैं नहीं चाहता कि किसी भी कीमत पर मां-बेटे का मनमुटाव सड़क पर आए।

मेरी हार में इतिहास छिपा है
2005 में जब अटल बिहारी ग्वालियर आए थे तब उनसे ग्वालियर लोकसभा चुनाव में हार के बारे में पूछा गया था। इस हार पर उन्होंने साहित्य सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि ग्वालियर में मेरी एक हार पर इतिहास छिपा हुआ है।