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भागवत श्रवण से होती है पितृदोष की निवृत्ति : स्वामी विद्यानंद सरस्वती

- श्रीमद्भागवत कथा से पूर्व 108 यजमान सिर पर पोथी व महिलाएं सिर पर कलश धारण कर शोभा यात्रा में हुई शामिल

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भागवत श्रवण से होती है पितृदोष की निवृत्ति : स्वामी विद्यानंद सरस्वती

भागवत श्रवण से होती है पितृदोष की निवृत्ति : स्वामी विद्यानंद सरस्वती

ग्वालियर. एक सौ आठ यजमान सिर पर भागवत की पोथी एवं एक सौ आठ महिलाएं सिर पर कलश लेकर जब शोभायात्रा में निकली, तो ऐसा अद्भुत दृश्य बना कि, जिसे देखने के लिए श्रद्धालु सडक़ पर ठिठक गए। अवसर था स्वामी विद्यानंद की श्रीमद्भागवत कथा के शुभारंभ से पूर्व माधवनगर सिद्धेश्वर मंदिर से रंगमहल तक श्री भाव भावेश्वर सेवा समिति की ओर से निकाली गई शोभायात्रा का, जिसमें पीले वस्त्र धारण कर श्रद्धालु शामिल हुए। शोभायात्रा के बाद रंगमहल के भव्य पांडाल में श्रीमद्भागवत कथा का आरंभ करते हुए स्वामी विद्यानंद सरस्वती ने व्यासपीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि जब पितृ अनूकूल नहीं होते हैं तो अनेक समस्याओं का निर्माण हो जाता है। यही वजह है कि मैंने ग्वालियर की कथा के लिए पितृपक्ष का समय चुना है। श्रीकृष्ण तत्व को प्रत्यक्ष करने के लिए भागवत श्रवण सबसे उपयुक्त है, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए अनेक सीढिय़ां हैं। इसलिए जब भी अवसर मिले, जितने भी दिन अवसर मिले भागवत श्रवण अवश्य करना चाहिए, क्योंकि इससे पितृदोष की निवृत्ति हो जाती है।

भगवान के चरण कमल की खुशबू से महक जाएगा जीवन
स्वामी विद्य्रानंद ने कहा कि हम प्रयास तो आनंद पाने का करते हैं, लेकिन हमें मिलता दु:ख है, क्योंकि हम स्थान का चयन गलत करते हैं। प्रयत्न जहां होना चाहिए वहां नहीं करते हैं। भगवान के चरणों में आनंद पाने की कोशिश करेंगे तो तो उनके चरण कमल की खुशबू से आपका जीवन महक जाएगा। लेकिन यदि संसार में रमोगे तो अशांति की दुर्गंध से जीवन में दु:ख के सिवाय कुछ नहीं मिलेगा।

सच्चे मन से की गई भक्ति से मिलता अनंत फल
स्वामी विद्यानंद सरस्वती ने कहा कि जब हम थोड़ी देर भगवान के विग्रह के दर्शन करते हैं तो अद्भुत आनंद की अनुभूति होती है, लेकिन जब हम सदा के लिए खुद को उन्हें समर्पित कर देंगे तो जीवन कितना आनंदमयी होगा। ऐसा करने से दैहिक, दैविक, भौतिक तापों की निवृत्ति हो जाती है। उन्होंने आगे कहा कि इंसान से जाने-अनजाने में कई पाप हो जाते हैं। जब हम खुद को भगवान को समर्पित कर देते हैं तो भौतिक तापों से निवृत्ति हो जाती है। उन्होंने कहा कि भूमि में जब हम एक बीज डालते हैं तो पृथ्वी से अनंत दाने निकलते हैं। इसी तरह भगवान की सच्चे मन से की गई थोड़ी सी भक्ति से भी अनंत फल मिलता है। इसी तरह भगवान की चरणों की भक्ति का एक पुष्प आपके जीवन को खुशियों से भर देता है। भागवत कथा के श्रवण से भय की निवृत्ति होती है। यह मृत्यु के भय से मुक्त कर देती है। कलिकाल में इससे बेहतर मुक्ति का मार्ग नहीं है।

खुद को चुस्त-दुरुस्त रखें महिलाएं
स्वामी विद्यानंद ने महिलाओं से कहा कि जीवन की आपाधापी में खुद के लिए भी समय निकालो। अपने रूप यौवन को बनाए रखो। खुद को स्लिम रखो, क्योंकि जब आपके शरीर से बुढ़ापा झलकने लगता है तो घर में भी पूछपरख नहीं रहती है, हालांकि साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वृद्ध व्यक्ति के व्यवहार में शालीनता और विचार में स्थिरता आ जाती है। उन्होंने कहा कि कलयुग में अनेक दोष होने के बाद भी एक महान गुण हैं, कि सिर्फ नाम जप से ही व्यक्ति का कल्याण हो जाता है, ऐसा करने में कुछ खर्च भी नहीं होता है तो यह सुअवसर हम क्यों जाने दें।