
रविंद्र सिंह कुशवाह @ मुरैना/ग्वालियर। एक हजार फीट से ऊंची पहाड़ी पर विराजमान बाबा अलोपीशंकर के प्रचीन मन्दिर प्रदेश ही नहीं अन्य प्रदेशों में भी विख्यात है। जहां दूर-दूर से बाबा भोलेनाथ के भक्त महाशिवरात्रि पर कांवर चढ़ाने आते हैं। यहां हर सोमवार को विशेष अभिषेक व पूजा-अर्चना करने के लिए लोग भारी संख्या में पहुंचते है और बाबा अलोपीशंकर भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। 1000 फीट से ऊंची पहाड़ी पर विराजमान बाबा अलोपीशंकर पर श्रावण मास और महाशिवरात्रि पर अंचल के हजारों श्रद्धालुओं का तांता सुबह से लेकर देर शाम तक लगा रहता है। साथ ही प्रतिदिन भंडारा भी होता है।
मंदिर के पुजारी पप्पू ने बताया कि यहां 12 वर्ष से अखण्ड रामायण पाठ व अखण्ड दीपक अनवरत जल रहा है। इससे यह सिद्ध स्थल हो गया है।
यहां मांगी जाने वाली हर मनोकामना पूरी होती है। उन्होंने बताया कि 1000 वर्ष पूर्व सन्त बौद्ध गिरि ने यहां तपस्या की थी। तपस्या के प्रताप से वे यहीं अलोप हो गए और जहां संत अलोप हुए वहीं दो शिवलिंग प्रकट हो गए, इसीलिए इस मंदिर का नाम अलोपीशंकर हो गया।
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उन्होंने बताया कि मनोकामना पूरी करने वाले भगवान अलोपीशंकर की कैलारस कस्बे क अलावा पूरे जिले में विशेष कृपा मानी जाती है। ग्वालियर एवं राजस्थान अलावा दीगर प्रांतों के लोग भी भगवान शंकर के दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में आते हैं।
560 से अधिक सीढिय़ों के माध्यम से भक्त मन्दिर परिसर में पहुंचकर मनोकामना करते हैं तो पूरी होती है। श्रावण मास में श्रद्धालु कांवर से गंगाजल लाकर अर्पित करते हैं। मान्यता है कि मंदिर लाखा बंजारा ने बनवाया था जो कि प्राचीन पहाड़ी पर है और यहां दूर दराज से भक्त आते हैं।
Updated on:
09 Feb 2018 09:17 pm
Published on:
09 Feb 2018 08:32 pm
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