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MP Election 2023: सिंधिया बोले- भाजपा सरकार को लेकर एंटी इन्कंबेंसी नहीं है, वो सिर्फ 2003 में देखी गई, जब कांग्रेस 37 सीट पर सिमट गई थी

साक्षात्कार: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य ने कहा- चुनाव आसान नहीं होता, संघर्ष करना पड़ता है...

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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एक दिन में छह या इससे ज्यादा चुनावी सभाएं, रैलियां कर रहे हैं। भाजपा के अन्य नेता मैदान में डटे हैं। पीएम मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मध्यप्रदेश के चुनाव की सीधे मॉनिटरिंग कर रहे हैं। पत्रिका ने विशेष बातचीत में जब सिंधिया से पूछा कि क्या जनता के साथ भाजपा का तालमेल बिगड़ा है, एंटी इंकबेंसी चुनाव पर हावी है तो उन्होंने कहा, मुझे तो एंटी इंकबेंसी कहीं दिखाई नहीं देती। जनसभाओं में लोग आ रहे हैं। जो बातें हो रही हैं उनसे जमीनी हकीकत अलग है। एंटी इंकबेंसी का अनुभव तो 2003 में कांग्रेस ने किया था, जब उसे 230 में से सिर्फ 37 सीटें मिली थीं।

आप भी पढ़ें पत्रिका के सवाल और सिंधिया के जवाब...

1. क्या मध्यप्रदेश की जनता भाजपा से नाराज है?
- तीन दिसंबर को आप नतीजे देखेंगे, हम फिर बात करेंगे। भाजपा और मप्र की जनता में जबरदस्त एका है। 15 माह की सरकार में भ्रष्टाचार देखा है, ट्रांसफर उद्योग देखा है, वादाखिलाफी देखी है। भाजपा ने जनजीवन बदला है, लाड़ली लक्ष्मी, लाड़ली बहना योजना, किसान सम्मान निधि, आवास योजना और भी बहुत कुछ।

2. भाजपा में इतनी बगावत और नाराजगी क्यों दिखी?
- कोई नाराजगी नहीं है, भाजपा में किसी ने बगावत कर चुनाव नहीं लड़ा।

3. ग्वालियर-चंबल में ही कई सीटों पर बागी हैं?
- देखिए, टिकट एक होता है, दावेदार कई। टिकट तो एक को ही मिलेगा। किसी ने चुनाव लडऩे का मन बना ही लिया है
तो उसे कौन रोक सकता है।

4. भाजपा में जो इस बार देखा कभी नहीं हुआ?
मैं तो उल्टा कहूंगा। 230 सीट में से यह तीन या चार सीट पर है, कांग्रेस में देखिए कपड़े फट रहे हैं, कुर्ते फाड़े जा रहे हैं, पुतले फूंके जा रहे हैं, पॉवर ऑफ अटॉर्नी दी जा रही है कि आप मेरी जगह गालियां खाओगे। एक-एक व्यक्ति वहां कोस रहा है, गाली दे रहा है।

5. तोमर-सिंधिया हैं, सब ठीक है, फिर शाह क्यों आ रहे?
- शाह तो पूरे प्रदेश में जा रहे हैं। पहले ही कह चुका हूं, कोई चुनाव आसान नहीं होता। संघर्ष करना पड़ता है। आज स्थिति अच्छी है, कल बिगड़ जाएगी, परसों फिर संभल जाएगी। इसलिए सतर्क रहना पड़ता है।

- वो कह रहे सिलेंडर 500 रुपए का देंगे, हमने 450 कर दिया, वो लड़ली बहना को 1500 देंगे, हम 1250 दे रहे, जो 3000 तक हो जाएगा। बिजली हो या जो वो कह रहे हैं हम पहले ही कर चुके हैं।

6. राज्य में 20 साल, केंद्र में 10, फिर इतना संघर्ष क्यों?
किसी भी चुनाव को हल्के में नहीं लिया जा सकता। अगर आप समझते हैं कि आराम से चुनाव निकलोगे तो गलतफहमी है। कितना भी बड़ा व्यक्ति हो निकलना पड़ता है। मेहनत करनी पड़ेगी, धूल खानी पड़ेगी, पसीना निकालना पड़ेगा, तभी जन आशीर्वाद मिलेगा।

7. भाजपा को केंद्रीय मंत्रियों को क्यों उतारना पड़ा?
- रणनीति रही कि अपनी मजबूत सीट को मजबूत रखना, कांग्रेस की मजबूत सीटों पर प्रहार। सांसद-मंत्रियों की बात हो है, वो पहली-दूसरी सूची में आए। वहां कांग्रेस तीन या चार बार जीती है, उसमें सेंध लगाना है।

8. दिमनी भाजपा के गढ़ में सिंधिया ने सेंध लगाई थी? समर्थक गिर्राज दंडौतिया कांग्रेस से जीते थे?
- 200% विश्वास है कि नरेंद्र सिंह की बड़ी जीत होगी। उनका प्रभाव आसपास की सीटों पर भी होगा।

9. 15 महीने की जगह अब 2003 के पहले की बात क्यों?
कांग्रेस ने 15 महीने में जो जनता से विश्वासघात किया वो सबने देखा। अभी जो मतदाता हैं उनमें से 40त्न ऐसे हैं जिन्होंने 2003 से पहले के प्रदेश का हाल नहीं देखा। उन्हें याद दिलाना है, इसलिए बता रहा हूं।

10. इन वर्षों में साथ रहे तब यह बात क्यों नहीं की?
- मैं 1993 से राजनीति में नहीं था। 2002 में आया। दिग्विजय के साथ दस महीने का ही अनुभव था। जो वस्तुस्थिति थी, वो थी।

11. भाषायी मर्यादा क्यों छूटी, चोर-उचक्का कैसे?
- मेरे से मीडिया ने पूछा कि इनके बारे में जय-वीरू कहा जा रहा है तो उसका जवाब दिया। मैंने कभी चोर उचक्का शब्द नहीं कहा। यह मेरे परिवार का स्टाइल नहीं है। मैंने जिंदगी में कभी नाम लेकर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं, लेकिन हां, अगर नीति गलत है तो नहीं छोडूंगा।

12. बैर कांग्रेस से है या कमलनाथ-दिग्विजय से?
- किसी से कोई बैर नहीं। जब कमलनाथ का नाम आगे आया तब कहा बनाइए, मैं साथ हूं। वादाखिलाफी, टांग खिंचाई और जनता से धोखा हुआ तो कहा कि मैं जनता के साथ हूं।

13. सिंधिया का बेटा महानआर्यमन राजनीति में कब आएगा?
जब मैं रिटायर हो जाऊंगा... क्या आप मुझे रिटायर करना चाहते हैं। देखिए सिंधिया परिवार ने इस बात का हमेशा ख्याल रखा। कुनबे की बात छोड़ दें तो हमने तय किया है कि परिवार से सिर्फ एक ही राजनीति में होगा। जब पिता माधव राजनीति में थे तब मैं नहीं आया। मैं जब संन्यास लूंगा तभी मेरा बेटा राजनीति में आएगा।

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