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दिव्यांग प्रमाण पत्र से सरकारी नौकरी…मामले पर हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

MP High Court: हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सुनाया अहम आदेश, सरकारी नौकरी के लिए दिए जाने वाले दिव्यांग सर्टिफिकेट माने जाएंगे अमान्य, जानें क्या है मामला?

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MP High Court Gwalior

MP High Court Gwalior (फोटो सोर्स: सोशल मीडिया)

MP High Court: हाईकोर्ट की एकल पीठ ने अहम आदेश सुनाते हुए उन शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी, जिन्होंने फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल की थी। कहा कि एक वैध दिव्यांग प्रमाण-पत्र का अस्पताल के डिसेबिलिटी रजिस्टर में दर्ज होना अनिवार्य है। यदि दर्ज ही नहीं है तो वैधता संदिग्ध मानी जाएगी और ऐसे दस्तावेज पर मिली नियुक्ति टिक नहीं सकती।

हाईकोर्ट ने जताई गंभीर नाराजगी

कोर्ट (ग्वालियर)ने विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर नाराजगी जताई। कहा, दस्तावेजों का सत्यापन दो-दो बार हुआ। उसके बाद भी फर्जी प्रमाणप त्रों के आधार पर नियुक्ति दे दी गई। यह गंभीर लापरवाही है। इस कारण सैकड़ों उम्मीदवारों का कॅरियर दांव पर लग गया। भविष्य में इस तरह की स्थिति से बचने के लिए सरकार को कठोर कदम उठाने होंगे।

नतीजा बदलने वाला नहीं

कोर्ट (MP High Court) ने दलीलें खारिज कर कहा कि प्रमाण-पत्र पर सीरियल नंबर हैं। अस्पताल रजिस्टर में यह नंबर ही नहीं तो अर्थ है कि दस्तावेज फर्जी हैं। यह स्थिति प्रमाण-पत्र की प्रमाणिकता पर सवाल खड़े करती है। अदालत ने स्पष्ट किया कि सुनवाई का अवसर देने से भी नतीजा बदलने वाला नहीं था। आदेश में कोर्ट ने स्पष्ट किया, फर्जी दस्तावेजों पर मिली सरकारी नौकरी बचाना बेहद मुश्किल है।

ये है पूरा मामला

दरअसल, मुरैना में 77 उम्मीदवारों ने फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र (disability certificate) पर शासकीय माध्यमिक व प्राथमिक स्कूलों में नियुक्ति (Teachers Appointment) ली। जांच में प्रमाण-पत्र फर्जी मिले। विभाग ने इन्हें नौकरी से हटा दिया। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि उन्हें बिना सुनवाई का अवसर दिए हटा दिया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है। उनके प्रमाण-पत्र मेडिकल बोर्ड से जारी हुए। विभाग ने नियुक्ति से पहले दो बार जांच भी की थी। कुछ प्रमाण-पत्र ऑनलाइन पोर्टल पर भी उपलब्ध हैं। कोर्ट ने दोनों पक्ष सुनने के बाद नियुक्ति रद्द कर दी। ज्ञात रहे कि 26 शिक्षकों ने याचिका दायर की थी।