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एमपी के इस कलेक्टर को हाई कोर्ट की फटकार, कहा- ऐसे अधिकारी पर राज्य शासन को सोचना चाहिए

MP High Court Strict on Bhind Collector: एमपी हाई कोर्ट की एकल पीठ ने भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव की कार्य प्रणाली पर की गंभीर टिप्पणी, राज्य सरकार को कहा सोचने का समय है ऐसे अधिकारि को फील्ड में तैनात किया जाना चाहिए या नहीं...

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MP High court

MP High court Strict on Bhind Collector

MP High Court Strict on Bhind Collector: एमपी हाई कोर्ट की एकल पीठ ने भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव की कार्य प्रणाली पर गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि भिंड कलेक्टर पीडब्ल्यूडी के खिलाफ आरआरसी (रेवेन्यू रिकवरी सर्टिफिकेट) को निष्पादित करने में खुद को असहाय बता रहे हैं। राज्य शासन को सोचने का समय है कि ऐसे अधिकारी को फील्ड में तैनात किया जाना चाहिए या नहीं। कलेक्टर ने जो स्पष्टीकरण दिया है, वह चौकाने वाला है। कलेक्टर ने कोर्ट की एक और अवमानना की है। इसलिए संजीव श्रीवास्तव के खिलाफ एक और अवमानना अलग से दर्ज की जाए। इसके लिए प्रिंसिपल रजिस्ट्रार को निर्देशित किया है। साथ ही कर्मचारी बकाया भुगतान करने के लिए सात दिन का समय दिया है।

क्या है मामला

शिव पार्वती श्रीवास्तव पीडब्ल्यूडी में दैनिक वेतन भोगी पद पर कार्यरत थीं। उनका विभाग में नियमितिकरण किया गया। श्रम न्यायालय ने 12.10 लाख रुपए एरियर्स देने का आदेश दिया। विभाग ने एरियर्स का भुगतान नहीं किया तो शिवपार्वती ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने राशि का भुगतान करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद भी भुगतान नहीं किया तो शिव पार्वती ने अवमानना याचिका दायर की। कोर्ट ने आदेश का पालन नहीं होने पर भिंड कलेक्टर को तलब किया। कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव न्यायालय में उपस्थित हुए। उन्होंने शब्दों से कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की।

कलेक्टर ने कहा कि भिंड में पीडब्ल्यूडी की संपत्ति नहीं है। इसलिए कुर्क नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने सवाल किया कि ऑफिस कहां पर संचालित है। कलेक्टर ने कहा कि उस भवन पर शासन लिखा हुआ है।

कोर्ट के सवास सुनने के बाद फंसे कलेक्टर

कोर्ट (MP High Court) ने कहा कि कोई विभाग संपत्ति का मालिक नहीं होता है, उस पर मध्य प्रदेश शासन लिखा रहता है। कलेक्टर ऑफिस पर भी मध्य प्रदेश शासन लिखा जाता है। संपत्ति का मालिक कलेक्टर (Bhind Collector) नहीं होता है। कोर्ट के इन सवालों को सुनने के बाद कलेक्टर फंस गए और उन्होंने कहा कि दो दिन में संपत्ति कुर्क करके रिपोर्ट पेश करेंगे। कलेक्टर ने आदेश का पालन करने के लिए दो दिन का समय लिया।

इसलिए अलग से दर्ज किया अवमानना का केस

  • भिंड कलेक्टर ने खुद आदेश का पालन के लिए दो दिन का समय मांगा। दो दिन बाद कलेक्टर फिर से उपस्थित हुए तो उन्होंने पीडब्ल्यूडी के ऑफिस को कुर्क किए फैसले में हाईकोर्ट के आदेश का उल्लेख किया।
  • हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोर्ट किसी की संपत्ति को कुर्क करने में रुचि नहीं रखता है। न्यायालय केवल आरआरसी निष्पादन चाहता है। डेढ़ वर्ष का समय बीत चुका था। भिंड कलेक्टर इस मामले को दबाए बैठे हुए थे। बावजूद इसके न्यायालय को गुमराह करने की हद पार कर दी। भिंड जिले में पीडब्ल्यूडी की चल व अचल संपत्ति नहीं है। जब खुद को असमंजस में पाया तो एक बयान दिया। संपत्ति कुर्क करने के लिए एक दिन का समय दिया जाए।
  • कलेक्टर ने आदेश में लिखा कि कुर्की केवल उच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत है। कलेक्टर भिंड का स्वैच्छिक कार्य नहीं है। उन्होंने कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की है।

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