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ऐसा क्या हुआ कि महापौर को छोड़नी पड़ी गाड़ी, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

चाय नाश्ता कर चले जाते है पार्षद, विकास पर चर्चा ही नहीं करते, पढ़ें नीरज चतुर्वेदी की रिपोर्ट...

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नगर निगम की माली हालत खस्ताहाल है। यह सबको पता है। कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़े हुए हैं। शहर में कई जरूरी काम पैसों की कमी से अटके हुए हैं। इसके बावजूद भी हमारे चुने हुए जनप्रतिनिधि परिषद की एक बैठक में तीन लाख से ज्यादा रुपए बर्बाद कर रहे हैं। यू तो बैठक विकास कार्यो के लिए होती है, लेकिन अब यह बैठक सिर्फ चाय नाश्ता और हंगामा तक सीमित रह गई है। पिछली चार बैठकें हंगामे की भेंट चढ़ चुकी है। निगम के हालत इतने खराब हैं कि महापौर को अपनी गाड़ी तक छोडऩा पड़ी है। इसके बाद भी बैठकों में पैसों की बर्बादी की जा रही है।

ऐसे समझें परिषद में होने वाले खर्च को

- एक बैठक में पार्षद को 450 रुपए का भत्ता मिलता है।

- हर बैठक में 250 रुपए प्लेट नाश्ता, एक प्लेट की कीमत 90 रुपए।

- बैठक में 25 से अधिक अधिकारी काम छोड़ यहां मौजूद रहते हैं

- पार्षदों को हर महीने मानदेय के 12 हजार रुपए दिए जाते हैं

पार्षदों को गंभीरता से विचार करना चाहिए

अभियाचित बैठक स्थगित के बाद कोरम की आवश्यकता नहीं होती है। एजेंडा के स्थगित ङ्क्षबदु पर ही चर्चा हो सकती है, लेकिन अब पार्षद खुद ही नहीं चाह रहे हैं कि चर्चा न हो । इससे पैसों का दुरुपयोग हो रहा है।

-सुधीर गुप्ता, पूर्व नेता प्रतिपक्ष

पीठासीन अधिकारी को देना चाहिए ध्यान

बार- बार अभियाचित बैठक बुलाने से बैठक का महत्व कम हो जाता है। एजेंडे पर चर्चा होना चाहिए। इसके लिए पीठासीन अधिकारी को विशेष ध्यान देना चाहिए। इसके लिए महापौर और पार्षदों को भी सोचना चाहिए।

- विवेक शेजवलकर, पूर्व महापौर

अभियाचित बैठक पर चर्चा होनी चाहिए

अभियाचित बैठकों में चर्चा होना ही चाहिए। अगर नगर निगम आयुक्त नहीं आते हैं तो उनकी जगह अपर आयुक्त बैठते हैं। इसके बावजूद भी हंगामा करके कोरम के अभाव में भी बैठक स्थगित करना पड़ रही है।

- मनोज तोमर, सभापति

बैठक 29 तक स्थगित

नगर निगम परिषद का विशेष अभियाचित सम्मेलन दस मिनट में स्थगित कर दिया गया। विशेष अभियाचित सम्मेलन प्रारंभ में पूर्व नेता प्रतिपक्ष शम्मी शर्मा एवं परिषद कर्मचारी मुन्ना खान के आकस्मिक निधन पर शोक प्रस्ताव रखा गया। जिस पर सर्व सम्मत्ति से चर्चा की गई तथा शोक प्रस्ताव पर चर्चा उपरांत दिवंगत आत्मा की शांति के लिए 2 मिनट का मौन रखकर बैठक 29 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई।

चार बैठक में एकमात्र निर्णय

28 दिसंबर से शुरू हुई अभियाचित बैठक में 15 बिंदु शामिल थे। लेकिन अभी तक एक ही बिंदु पर निर्णय हो सका है। इसके बाद 4 जनवरी, 15 जनवरी, 24 जनवरी की बैठक में एक भी निर्णय नहीं हुआ। इसमें दो बैठकें हंगामे की भेंट चढ़ चुकी हैं।

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