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30 हजार युवाओं को रोजगार देने को स्थापित हुए प्लास्टिक पार्क में अब तक नहीं पहुंचा एक भी उद्योग

युवाओं को नई तकनीक और रोजगार देने के लिए स्थापित

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Not even a single industry has reached the plastic park

Not even a single industry has reached the plastic park set up to provide employment to 30 thousand youth

ग्वालियर। दो साल पहले बिलौआ-आंतरी क्षेत्र में भूमि का आरक्षित कर प्लास्टिक इंडस्ट्री हब बनाने की सरकारी योजना अभी तक परवान नहीं चढ़ सकी है। जून 2017 में हुए उदद्याटन के बाद से एमपी इंडस्ट्रियल डवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड (पूर्व में आईआईडीसी) ने यहां न तो संसाधन विकास पर ध्यान दिया और न ही किसी उद्यमी को प्लास्टिक सामान की इकाई स्थापित करने के लिए आकर्षित कर पाए हैं। परिणाम यह है कि उद्घाटन के समय मंत्रियों द्वारा अंचल के 30 हजार युवाओं को रोजगार देने का दावा भी पूरा नहीं हो पा रहा है। खास बात यह है कि प्लास्टिक इंडस्ट्रीज में माहिर बनने के लिए सीपेट से डिग्री-डिप्लोमा कर रहे छात्रों को भी प्रैक्टिकल जानकारी या इंटर्नशिप करने के लिए दूसरे शहरों की ओर रुख करना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में प्रतिवर्ष लगभग 80 से 90 करोड़ रुपए का प्लास्टिक व्यवसाय हो रहा है, स्थानीय थोक विक्रेता प्लास्टिक उत्पादों की आपूर्ति करने के लिए गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र की औद्यौगिक इकाइयों पर निर्भर हैं। अगर यहां उद्योग स्थापित होते तो शहर से बाहर जा रहे धन रुक सकता था। इसी तरह क्षेत्र में रोजगार पैदा करने के लिए स्थापित औद्यौगिक क्षेत्रों में भी हालात खराब हैं, जिसकी वजह से इकाइयां बंद होती जा रही हैं।

यह बोले थे मंत्री

-दो साल पहले फूलबाग मैदान पर हुए उद्घाटन समारोह में तत्कालीन पेट्रोलियम एवं रसायन मंत्री अनंत कुमार ने कहा था कि ग्वालियर को प्लास्टिक हब के रूप मेंं विकसित करेंगे। इससे 30 हजार युवाओं को रोजगार मिलेगा।
-केन्द्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा था कि क्षेत्रीय विकास के लिए यह आधार शिला रखी गई है।

पहले से ही बंद हैं यह उद्योग

-शहर और अंचल को रोजगार देने के मामले में अव्वल रहे ग्रासिम, जेसी मिल, सिमको स्टील फाउंड्री, एमपी आयरन, हॉटलाइन सीपीटी लिमिटेड, हॉटलाइन टेलीट्यूब कंपोनेंट, हॉटलाइन ग्लास, रोहिणी स्ट्रिप, रेशम पॉलीमर्स, एटलस साइकिल, लेनिनस राकूल उद्योग बंद हो चुके हैं। इसके अलावा बानमौर औद्यौगिक क्षेत्र में मैग्नम स्टील, स्पोर्ट इक्विपमेंट, एरोफि ल पेपर सहित अन्य औद्यौगिक इकाइयां भी बंद हो चुकी हैं।

इनको होता सीधा फायदा
वर्तमान में सीपेट द्वारा प्लास्टिक प्रोडक्ट एंड मोल्ड डिजाइनर, एडवांस प्लास्टिक मोल्ड मैन्युफैक्चरिंग असिस्टेंट, टैस्टिंग एंड क्वालिटी कंटोल फॉर प्लास्टिक मटैरियल एंड प्रोडक्ट टैक्नीशियन, मशीन ऑपरेटर प्लास्टिक प्रोसेसिंग, टेस्टिंग एंड क्वालिटी फॉर प्लास्टिक मटेरियल एंड प्रोडक्ट सुपरवाइजर, मशीन ऑपरेटर असिस्टेंट इंजेक्शन मोल्डिंग, मशीन ऑपरेटर असिसेंटेंट प्लास्टिक प्रोसेसिंग, प्लास्टिक मोल्ड मैन्युफेक्चरिंग असिस्टेंट, मशीन ऑपरेटर असिस्टेंट प्लास्टिक एक्सट्यूशन आदि पाठ्यक्रमों का संचालन हो रहा है। प्लास्टिक उद्योग स्थापित होने पर डिप्लोमा और डिग्री कर रहे छात्रों को इंटर्नशिप करने में आसानी होती और रोजगार भी आसानी से उपलब्ध हो सकता था।

रोजगार सृजन की यहां से है आस

प्लास्टिक पार्क

क्षेत्र-1
बिलौआ-आंतरी

-क्षेत्र की 43.643 हेक्टेयर जमीन पर 84 करोड़ 73 लाख रुपए की लागत से प्लास्टिक पार्क की स्थापना को वर्ष 2017 में मंजूरी दी गई थी। यहां 108 प्लास्टिक इकाइयों को स्थापित करने की योजना थी, अब 70 नई इंडस्ट्री लगाने की बात की जा रही है।
स्थिति

-औद्यौगिक क्षेत्र के लिए चिन्हित जगह पर अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है। चिन्हित जगह से हाईटैंशन लाइन निकली है, एक्सप्लोसिव रखने के लिए दो गोदाम यहां स्थापित हैं। प्लास्टिक इकाइयों की स्थापना के लिए अभी तक जमीनी धरातल पर काम नजर नहीं आ रहे हैं।

क्षेत्र-2

बानमोर - 1974 में बड़ी और छोटी औद्यौगिक इकाइयों की स्थापना के लिए 274 हेक्टेयर भूमि पर बानमौर औद्योगिक क्षेत्र तैयार किया गया। वर्तमान में यहां जेके टायर जैसी बड़ी यूनिट के साथ छोटी-बड़ी 130 फैक्टरी काम कर रही हैं।
स्थिति

-क्षेत्र में 70 से अधिक यूनिट बंद हैं, यहां काम करने वाले करीब ढाई हजार लोग बेरोजगार हो चुके हैं। संसाधनों की कमी और अव्यवस्थाओं के कारण नए उद्यमी निवेश करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।

क्षेत्र-3

मालनपुर

-मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र वर्ष 1989 में बड़ी औद्यौगिक इकाइयों के लिए 1327 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करके स्थापित किया गया था। अंचल के सबसे बड़े औद्यौगिक क्षेत्र के रूप में पहचान रखने वाले मालनपुर में फिलहाल 21 बड़ी यूनिट ही काम कर रही हैं।

स्थिति

-क्षेत्र के 543 भूखंड में से 331 खाली हैं। पूर्व में स्थापित हुईं नौ बड़ी इकाइयां बंद हो चुकी हैं। अंचल के तीन हजार से अधिक श्रमिकों का रोजगार छिन गया है।

क्षेत्र-4

सीतापुर

- मुरैना इंडस्ट्रियल कॉरीडोर के अंतर्गत 2016 में उद्योग स्थापना के प्रवेश द्वार के तौर पर चिन्हित करके 385 हैक्ट्रेयर भूमि पर सीतापुर औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जा रहा है। वर्तमान में यहां 25 एकड़ भूमि पर मयूर यूनिकार्टस लिमिटेड की इकाई का निर्माण किया जा रहा है।
स्थिति

-चार साल पुराने इस औद्यौगिक क्षेत्र में संसाधन विकास करने में विभागीय अधिकारियों अधिक रुचि नहीं ली है। क्षेत्रीय दबंगों के डर से बहुत से उद्यमी चाहकर भी यहां आने से बच रहे हैं।


क्षेत्र-5

रेडीमेड गारमेंट पार्क

- नगर निगम सीमा के गदाईपुरा क्षेत्र में 35 करोड़ रुपए की लागत से रेडीमेड पार्क में अधोसंरचनागत विकास किया गया था। 20 हैक्टेयर भ्ूामि पर वर्ष2012 में क्षेत्र की स्थापना की गई थी। शहर से नजदीक होने के कारण अनुमान था कि यहां उद्योग जल्दी स्थापित होंगे।

स्थिति

-शहर के कपड़ा से जुड़े उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के लिए विकसित इस क्षेत्र में 220 भूखंड हैं। इनमें से 154 अभी भी आवंटित नहीं हुए हैं। बीते 6 साल में एक भी उल्लेखनीय यूनिट स्थापित नहीं हुई है।