
बेटी की पेटी को भूल गई पुलिस, नहीं खुलता ताला
ग्वालियर. महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस अलर्ट और तमाम इंतजाम बताती है, लेकिन युवतियों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए खुद के बनाए प्लान को भूल भी रही है। कुछ महीनों पहले पुलिस अफसरों ने शहर में पुलिस चौकियों, गल्र्स कॉलेज, स्कूल और कई जगहों पर पेटियां लटकवाई थीं। उन्हें बेटी की पेटी का नाम दिया था। यह दावा किया गया था कि इस पेटी का मकसद युवतिओं और महिलाओं के जरिए उन लोगों के बारे में जानकारी हासिल करना है जो उनके साथ छेडख़ानी या दीगर हरकतें करते हैं। पीडि़त होने वाली युवतियां और महिलाएं इन बदमाशों के खिलाफ सामने आकर शिकायत नहीं कर पाती। यह युवतियां और महिलाएं अपनी शिकायत को इस पेटी में डाल सकती हैं। पुलिस उसे पढ़कर उन्हें तंग करने वाले को शंट करेगी।
नए अफसर नए प्लान
पुलिसकर्मी कहते हैं कि महकमे में नए अफसरों के साथ उनका प्लान चलता है। पुराने अफसरों ने क्या किया। उनकी प्लानिंग को ज्यादा तबज्जो नहीं दी जाती है। ऐसी तमाम योजनाएं हैं जिन्हें चालू करने वाले अफसरों के तबादले के बाद महकमा बेमतलब की बात मान कर भूल जाता है। क्योंकि अफसर के बदलने पर नया अधिकारी अपने प्लान को संचालित और लागू कराता है। विभाग पुरानी प्लानिंग को भूलकर नए की बात को अमल में लाता है। यही थानों और चौकियों के अलावा शहर में तमाम जगहों पर लटकाई गईं बेटियों की पेटियों के साथ हुआ।
अफसर बदले, तालों पर लग गई जंग
महिलाओं की सुरक्षा के लिए पेटी का शुरूआत तत्कालीन आइजी ग्वालियर रेंज राजाबाबू सिंह और एसपी नवनीत भसीन ने की थी। तब पुलिस ने थानास्तर पर पेटी को तबज्जो दी थी। इस पेटी में कितनी शिकायत आई थीं। थाना प्रभारी उस समय पर खोल कर देखते और कार्रवाई करते थे, लेकिन इन अफसरों के तबादले के बाद इस पेटी से पुलिस ने नजर फेर लीं। ज्यादातर जगहों से यह पेटियां गायब हो गई हैं। जहां लटकी रह गई हैं उन्हें खोला नहीं जाता। इन पेटियों पर लटक रहे तालों पर जंग लग चुकी है।
Published on:
25 Apr 2021 08:14 pm
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