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लिव इन में रहने वालों को तगड़ा झटका, ‘शपथ पत्र’ पर सख्त हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

MP High court on Live in Affidavit: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की युगल पीठ ने लिव इन रिलेशनशिप को लेकर दिए जाने वाले शपथ पत्रों पर की गंभीर टिप्पणी, शपथ पत्र को समाज और महिलाओं के अधिकारों के लिए माना खतरा, नोटरी की माफी ठुकराई, होगी कानूनी कार्रवाई...

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Big Shock to Live in relationship Partners by MP High Court Gwalior Serious Comment Order to Action on Notary

Big Shock to Live in relationship Partners by MP High Court Gwalior Serious Comment Order to Action on Notary(Image Source: social Media)

MP High Court on live in affidavit: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की युगल पीठ ने लिव इन रिलेशनशिप (Live in Relationship) को लेकर दिए जाने वाले शपथ पत्रों को लेकर गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा, इस तरह के शपथ पत्र समाज में परिवारों के गौरव और सम्मान को प्रभावित करते हैं। साथ ही, इससे युवतियों में यह धारणा बनती है कि वे कानूनी रूप से किसी के साथ रह रही हैं, जिससे उनके अधिकार खतरे में पड़ सकते हैं। मामले पर हाईकोर्ट सख्त नजर आया।

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ये है मामला

कोर्ट ने सबलगढ़ (मुरैना) के नोटरी राघवेंद्र शर्मा द्वारा लिव इन रिलेशनशिप का शपथ पत्र सत्यापित करने को गैर जिम्मेदाराना बताते हुए इसे क्षमा योग्य नहीं माना। कोर्ट ने विधि विधायी विभाग के प्रमुख सचिव को उनके आचरण की जांच कर तीन माह में निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट का यह आदेश शपथ पत्र के जरिए लिव इन रिलेशन की वैधता (legality of live in relationship) को लेकर अहम है। संभवत: अपने आप में यह पहला ऐसा मामला सामने आया है।

नोटरी की माफी भी नहीं हुई स्वीकार

याचिकाकर्ता ललित रजक ने कहा था कि साथी युवती उसके साथ लिव इन में थी और उससे चार माह का बच्चा भी है, लेकिन अपर कलेक्टर ने उसे सुधार गृह भेज दिया। उसे रिहा नहीं कर रहे। शपथ पत्र को मुरैना में नोटरी राघवेंद्र शर्मा ने प्रमाणित किया था। जब कोर्ट ने नोटरी से कानूनी आधार पूछा, तो उन्होंने विवाह और तलाक से इसे भिन्न बताते हुए माफी मांगी, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया।

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