
मासूम से हैवानियत पर आरोप तय,पुलिस छावनी बना अदालत परिसर
ग्वालियर। मासूम बालिका से दुष्कृत्य कर उसकी हत्या करने वाले दरिंदे के खिलाफ मंगलवार को १३वें दिन अदालत ने आरोप तय कर दिए। आरोपी जीतेन्द्र कुशवाह पर आरोप तय करने के लिए उसे भारी पुलिस बल के साथ सुबह साढ़े दस बजे अदालत में लाया गया और आरोप सुनाते ही ग्यारह बजे उसे पुलिस अदालत से ले गई। वहीं दूसरी ओर पहली बार किसी सत्र प्रकरण की ट्रायल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जाएगी। इसके लिए दोपहर बाद से अदालत में तैयारियां चलती रहीं।
मामले में 38 गवाहों की गवाही होनी है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अर्चना सिंह की कोर्ट में मंगलवार को आरोपी के खिलाफ भादसं की धारा तथा पाक्सो एक्ट की धारा के तहत आरोप तय किए। धारा 368 एबी में आरोप प्रमाणित होने पर मृत्युदंड की सजा तक दी जा सकती है । एडिशनल जिला अभियोजन अधिकारी अनिल कुमार मिश्रा ने उक्त जानकारी देते हुए बताया आरोपी को जब अदालत ने आरोप पढ़कर सुनाए और उससे किए गए अपराध के बारे में पूछा गया तो आरोपी ने अपराध करने से इनकार कर दिया।
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70 जवानों की सुरक्षा में पहुंचा
आरोपी जीतेन्द्र को जब न्यायालय में लाया गया उससे पहले ही अदालत परिसर को फिर से छावनी बना दिया गया था। दो एसडीओपी और कई थाना प्रभारी इस दौरान मौजूद रहे, उसे 70 पुलिस कर्मियों के घेरे में अदालत तक ले जाया गया। वे ही उसे लेकर वापस लौटे।
वकील दिया गया
आरोपी जीतेन्द्र कुशवाह को विधिक सहायका के जरिए एडवोकेट रविन्द्र सिंह गुर्जर की सेवाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की तैयारियां
न्यायालय ने अभियोजन से इस मामले में सीसीटीवी फुटेज प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए हैं। वहीं इस मामले में सुनवाई के दौरान किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए इस मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ट्रायल चलाए जाने के लिए दोपहर बाद से ही अदालत में तैयारियां चल रही थीं। जेल से इसकी ट्रायल भी की गई।
होगी गवाही :
प्रकरण को जल्दी से जल्दी सुनवाई कर आरोपी को दंडित करने के लिए अभियोजन द्वारा 38 गवाहों की सूची तैयार की है। ट्रायल प्रोग्राम प्रस्तुत होते ही न्यायालय द्वारा गवाहों को गवाही के लिए बुलाया जाएगा।
सीसीटीवी फुटेज की सीडी मांगी
पुलिस द्वारा चालान में आरोपी की शिनाख्त के लिए जिस सीसीटीवी फुटेज का हवाला दिया है, उस संबंध में आरोपी के अधिवक्ता ने आवेदन देकर उसकी कॉपी उन्हें उपलब्ध कराए जाने का निवेदन किया है। इस मामले में पुलिस द्वारा मेडिकल रिपोर्ट सहित अन्य रिपोर्ट तो पेश कर दी है लेकिन अभी डीएनए रिपोर्ट पेश नहीं हो सकी है।
इसी साल जारी किए थे निर्देश
उच्च न्यायालय ने जिला न्यायालयों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रारंभ करने के लिए इस साल के प्रारंभ में ही दिशा निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों में कहा गया है विज्ञान की उन्नति का लाभ न्यायिक क्षेत्र को भी मिलना चाहिए। उन्नत तकनीकी का उपयोग करने से इस व्यवस्था को और बेहतर किया जा सकता है। इसके उपयोग से न्यायदान में और गति मिलेगी।
पुलिस पर आरोपियों को लाने ले जाने का अनावश्यक दबाव कम होगा और पुलिस का अन्य कामों में उपयोग हो सकेगा। ग्वालियर में पूर्व प्रशासनिक न्यायमूर्ति एनके दुबे ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था का शुभारंभ करते हुए सभी जजेज को कहा था कि वे आने वाले समय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली ट्रायल के लिए तैयार रहें। अभी तक आरोपियों के पुलिस रिमांड, ज्युडिशियल रिमांड तथा जमानतों के मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था चल रही है। अब उसमें नये आयाम जुड़ेंगे।
Updated on:
04 Jul 2018 05:18 pm
Published on:
04 Jul 2018 11:45 am
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