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Sports अथॉरिटी ऑफ इंडिया की मिशन ओलम्पिक सेल ने किया अजीत का सिलेक्शन

sports authority of india select lnipe student ajeet singh in cell : इवेंट में चौथे स्थान पर आए, लेकिन हौसला नंबर 1 पर रहा। अब नजरें थीं बीजिंग-2019 वल्र्ड पैरा एथलेटिक्स ग्रैंड प्री पर। अजीत ने मई में हुई इस चैंपियनशिप में जैवलिन थ्रो की एफ-46 कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीतकर देश का का परचम फहराया

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sports authority of india select lnipe student ajeet singh in cell

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ग्वालियर. हौसले का दूसरा नाम है अजीत सिंह। दोस्त को बचाते हुए ट्रेन के नीचे आकर एक हाथ गवां बैठे। चोटें इतनी गंभीर थी कि डॉक्टरों ने बचने की उम्मीद कम बताई। पैरों में लकवा मारने का खतरा भी था। फिर भी इलाज शुरू हुआ तो डॉक्टरों ने दो माह में अजीत को पैरों पर खड़ा कर दिया। इसके एक माह बाद ही अजीत निकल पड़े नेशनल गेम्स खेलने।

इवेंट में चौथे स्थान पर आए, लेकिन हौसला नंबर 1 पर रहा। अब नजरें थीं बीजिंग-2019 वल्र्ड पैरा एथलेटिक्स ग्रैंड प्री पर। अजीत ने मई में हुई इस चैंपियनशिप में जैवलिन थ्रो की एफ-46 कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीतकर देश का का परचम फहराया। यह उपलब्धि हासिल करने वाले वे मध्यप्रदेश के पहले खिलाड़ी बने। हाल ही में अजीत का सिलेक्शन स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया की मिशन ओलम्पिक सेल ने टारगेट ओलम्पिक पोडियम स्कीम के लिए किया हैं। अजीत एलएनआइपीई के छात्र हैं।

पीएचडी के साथ मेडल की तैयारी
इटावा के पास बरथना गांव के मूल निवासी अजीत ने एलएनआईपीई से बीपीएड एवं एमपीएड की पढ़ाई की है। अभी यहीं से पीएचडी कर रहे हैं। साथ ही डॉ. वीके डबास और संतोश दीक्षित के अंडर में प्रैक्टिस में भी जुटे हैं। पिता किसान हैं और बड़े भाई पैरा मिलिट्री में हैं।

डॉक्टरों ने भी खो दी थी उम्मीद
अजीत का एक्सीडेंट लापरवाही से नहीं बल्कि दोस्त को बचाने में हुआ था। 4 दिसंबर 2017 को वे दोस्तों के साथ ट्रेन से ग्वालियर लौट रहे थे। मैहर स्टेशन पर दोस्त पानी लेने उतरा। इतने में गाड़ी चल दी अजीत ने हाथ बढ़ाया और दोनों नीचे गिर गए। अजीत ट्रेन के नीचे आ गए। उन्हें मैहर के अस्पताल ले गए वहां से पहले सतना फिर जबलपुर रेफर किया। सही इलाज मिलने में 12 घंटे लग गए। ब्लीडिंग देख डॉक्टर भी उम्मीद छोड़ चुके थे। इलाज में उनका हाथ काटना पड़ा। दो माह तक इलाज चला और अजीत ग्वालियर आ गए।

लक्ष्य- वल्र्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप जीतना
अब अजीत का लक्ष्य दुबई में नवंबर-2019 में होने वाली वल्र्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप एवं पैरालिम्पिक गेम्स-2020 टोक्यो जापान में मेडल जीतना है। इसके लिए दिन में 4 से 6 घंटे समय दे रहे हैं। उनके शरीर के घाव आज भी पूरी तरह नहीं भरे हैं। दर्द लगातार बना रहता है, लेकिन उन्हें परेशान नहीं कर पता। अजीत का उद्देश्य देश के लिए अच्छा करना और ऐसे लोगों के लिए प्रेरणा बनना जो किसी भी घटना के बाद जिंदगी से हार मान जाते हैं।

LNIPE student
Ajeet Singh
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