
ग्वालियर। बेटियों के इलाज को लेकर लोग बे-परवाह नजर आ रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में मेल-फीमेल चाइल्ड के भर्ती आंकड़े इस हकीकत को बयां कर रहे हैं। बाल रोग विशेषज्ञ भी बताते हैं कि सोसायटी में अभी भी फीमेल चाइल्ड के इलाज को लेकर लापरवाही बरती जा रही है।
जयारोग्य अस्पताल के बाल रोग विभाग के वर्ष २०१७-१८ के आंकड़े भी इस बात की पुष्टि करते हैं। एक साल में बाल रोग विभाग में मेल चाइल्ड ८ हजार ६०५ भर्ती हुए। वहीं फीमेल चाइल्ड के भर्ती होने की संख्या महज ५ हजार ९३५ है। प्रदेश भर के सरकार अस्पतालों में वर्ष २०१७-१८ में ४ लाख १९ हजार १३१ मेल चाइल्ड भर्ती हुए। वहीं फीमेल चाइल्ड की संख्या 3 लाख 59 हजार 621 है।
डॉ. विनीत चतुर्वेदी, बाल रोग विशेषज्ञ एवं नोडल अधिकारी, सेंट्रल विंडो जेएएच
सर्वे में भी एेसे तथ्य आए
सर्वे में भी ऐसे तथ्य आए हैं कि फीमेल बच्चों के इलाज को लेकर लोग लापरवाही बरतते हैं। बच्चों का उपचार कराना उनकी पहली प्राथमिकता रहती है।
डॉ.नवीन दुबे, प्रभारी, एमआरडी सेक्शन
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जयारोग्य अस्पताल बनेगा इ-हॉस्पिटल
जयारोग्य अस्पताल में आने वाले मरीजों और अटेंडरों को जल्द इ-ह़ॉस्पिटल की सौगात मिलेगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इ-हॉस्पिटल के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं। इस प्रक्रिया के बाद मरीजों की जांच रिपोर्ट, पैथालाजी रिपोर्ट, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे रिपोर्ट ऑनलाइन होगी। लिहाजा रिपोर्ट के लिए मरीजों और अटेंडरों को भटकना नहीं पड़ेगा। संभागायुक्त बीएम शर्मा ने जेएएच समूह को इ-अस्पताल बनाने की पहल की थी।
नहीं लौटे लैब टेक्नीशियन, जांच के लिए भटक रहे मरीज
ग्वालियर। जयारोग्य अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में मरीजों को जांच के लिए भटकना पड़ रहा है। कारण ब्लड की जांच ट्रॉमा सेंटर में न होना है। चार टेक्नीशियन यहां पदस्थ किए गए हैं। लेकिन ये टेक्नीशियन ट्रॉमा की जगह दूसरी जगह काम कर रहे हैं। एेसे में मरीजों को सीपीएल तक जांच कराने जाना पड़ता है। इस कारण लैब का काम पूरी तरह बंद है। ट्रॉमा सेंटर में मरीजों से प्राइवेट जांच कराने की शिकायत अस्पताल प्रशासन तक पहुंची है, लेकिन इसके बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। अस्पताल अधीक्षक डॉ.जेएस सिकरवार ने टेक्नीशियनों को वापस भेजने की बात कही थी, लेकिन अब तक वे वापस नहीं लौटे हैं।
ओपीडी में जूनियर डॉक्टरों ने देखे मरीज
ग्वालियर। जयारोग्य अस्पताल में गुरुवार को दो घंटे की ओपीडी चली। जिसमें जूनियर डॉक्टरों ने मरीजों को देखा। सर्जरी विभाग में सीनियर डॉक्टर नहीं पहुंचे। ९ से ११ बजे की ओपीडी चलाने के निर्देश अस्पताल अधीक्षक डॉ.जेएस सिकरवार ने दिए थे। दो दिन की लगातार छुट्टी पडऩे पर गुरुवार को नियम के अनुसार ओपीडी का संचालन किया गया। ओपीडी में मरीज इलाज के लिए पहुंचे, लेकिन सीनियर डॉक्टरों के न मिलने के कारण बिना इलाज लौटना पड़ा। मरीज जूनियर डॉक्टर को अपना मर्ज दिखाना नहीं चाहते थे। खासतौर से सर्जरी विभाग में मरीजों को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ा। स्किन, पीडियाट्रिक, गायनिक सहित अन्य विभाग में डॉक्टर बैठे। मुरार निवासी जयदेवी के पैर में चोट लगी थी। डॉक्टर समय से पहले उठने पर उन्होंने कहा कि अगर डॉक्टर को नहीं बैठना था, तो फिर ओपीडी क्यों चालू रखी। बंद ही रखते तो इलाज के लिए आते ही नहीं।
20 एम्बुलेंस का पंजीयन, 10 से अधिक बिना पंजीयन हो रही खड़ी
ग्वालियर। जयारोग्य अस्पताल के प्री-पेड बूथ पर २० एम्बुलेंस को खड़ा रखने की इजाजत दी गई है। बावजूद इसके यहां २५ से ३० एम्बुलेंस खड़ी होती हैं। इतना ही नहीं पंजीकृत २० एम्बुलेंस में से १० एम्बुलेंस संचालक बूथ का किराया चुका रहे हैं। एेसे में १० से अधिक अवैध एम्बुलेंस का किराया चुकाने और पंजीयन कराने के लिए एम्बुलेंस संचालकों को चेतावनी दी जा चुकी है।इस मामले की शिकायत पुलिस को की जा चुकी है, लेकिन अब तक पुलिस ने भी कार्रवाई नहीं की है। एम्बुलेंस चालक मनमाने दाम वसूलकर मरीजों को ले जा रहे हैं। जेएएच के सहायक अधीक्षक के निर्देश पर हाइट्स एजेंसी ने एम्बुलेंस को बाहर करने का प्लान तैयार किया, लेकिन एम्बुलेंस संचालकों ने इसे फेल कर दिया। प्रीपेड बूथ पर एम्बुलेंस खड़ी करने पर जेएएच प्रबंधन प्रतिमाह २५०० रुपए का शुल्क जमा कराता है। इस मामले में जेएएच के सहायक अधीक्षक डॉ. जितेन्द्र नरवरिया का कहना है कि हम अवैध तरीके से खड़ी होने वाली एम्बुलेंसों पर कार्रवाई करने के लिए पुलिस को पत्र लिखकर चुके हैं।
Updated on:
30 Mar 2018 10:02 am
Published on:
30 Mar 2018 09:59 am
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