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ग्वालियर

ग्वालियर से खरीदे हथियारों ने धोखा दिया तो गोवा से लाए

सशस्त्र क्रांति की ओर ध्यान…जांघ पर बांधकर चार रिवाल्वर लाते समय क्रांतिकारी स्टीफन को बंबई में किया था गिरफ्तार
आजादी के अमृत महोत्सव पर अमर बलिदानियों को याद किया जा रहा है। हम भी ग्वालियर के आजादी के मतवालों की गाथाएं लेकर आए हैं…

ग्वालियरAug 12, 2022 / 02:15 am

prashant sharma

ग्वालियर से खरीदे हथियारों ने धोखा दिया तो गोवा से लाए

ग्वालियर से खरीदे हथियारों ने धोखा दिया तो गोवा से लाए

ग्वालियर (राहुल आदित्य राय) हर कीमत पर आजादी हासिल करने के लिए तत्पर युवा 1921 के असहयोग आंदोलन की विफलता से चिंतित हो उठे। उनका ध्यान सशस्त्र क्रांति की ओर गया। ग्वालियर में भी क्रांतिकारी दल का गठन किया गया, जिसे हथियारों की आवश्यकता थी। लेकिन ग्वालियर से खरीदे गए हथियार धोखा देने लगे, तब क्रांतिकारी गोवा से हथियार खरीदकर लाते थे। जिन्हें यहां सप्लाई किया जाता था। बंगाल में क्रांतिकारियों के संगठन अनुशीलन समिति की ओर से दासगुप्ता बाबू को ग्वालियर भेजा गया। उन्होंने यहां मिल में काम किया और क्रांतिकारी दल का गठन किया। जो बाद में ग्वालियर-गोवा कांसप्रेसी ग्रुप के नाम से जाना गया। इसमें मुख्य रूप से गिरधारी सिंह, रामचंद्र सरवटे, बालकृष्ण शर्मा तथा स्टीफन जोजफ फर्नांडीस थे। यह सभी ब्रिटिश सरकार की जड़े हिलाने के लिए सशस्त्र संघर्ष में छूट गए।
बंगाल के ग्रुप से हथियारों की जिम्मेदारी ग्वालियर के ग्रुप को दी गई। लेकिन यहां से खरीदे गए हथियार चलाने के दौरान फिस्स हो जाते थे, तब किसी अन्य स्थान से हथियारों की व्यवस्था करने पर विचार किया गया। तय किया गया कि गोवा से हथियार खरीदे जाएं।
सरवटे के नाम मिला पत्र
जोजफ स्टीफन मूलत: गोवा के रहने वाले थे। उनके पिता पिंटू मास्टर को ग्वालियर रियासत के तत्कालीन महाराज माधवराव सिंधिया यहां गाडिय़ों पर रंग रोगन करने के लिए ले आए थे, जिन्हें इंजीनियरिंग वर्कशॉप में नियुक्त कर दिया गया था। वे यहीं बस गए थे। कच्ची उम्र में ही स्टीफन क्रांतिकारियों के संपर्क में आ गए। गोवा से हथियार खरीदने के लिए स्टीफन और बालकृष्ण शर्मा को गोवा भेजा गया। लंबे समय तक वहां रहने के बाद पुर्तगाली सिपाहियों से रिवाल्वर व कारतूस लेने में सफल हो गए। इन हथियारों को यह लोग ग्वालियर भेजते और रामचंद्र सरवटे तथा गिरधारी सिंह इन्हें अन्य क्रांतिकारियों को सप्लाई करते थे।
यह काम बहुत जोखिम का था, लेकिन आजादी के जुनून में कांतिकारी हर जोखिम उठाने को तैयार थे। स्टीफन बहुत हिम्मती थे। एक बार वे चार रिवाल्वर अपनी जांघों पर बांधकर गोवा से चले, लेकिन पुलिस को इसकी खबर हो गई। पंजिम से एक अधिकारी उनका पीछा कर रहा था। उसने बंबई (अब मुंबई) में उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्हें बड़ी कठोर यातनाएं दी गईं। उनकी तलाशी के दौरान रामचंद्र सरवटे के नाम एक पत्र पुलिस को मिल गया, जिसके आधार पर दिल्ली में गिरधारी सिंह तथा सरवटे और ग्वालियर में बालकृष्ण शर्मा, बालमुकुंद शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया। इन पर मुंबई की अदालत में मुकदमा चलाया गया, जो ग्वालियर-गोवा और बंबई षड्यंत्र केस के नाम से जाना गया। सभी को जेल में कठोर यातनाएं दी गईं।
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