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नई शिक्षा नीति से छात्र बनेंगे संस्कारवान, टेक्नोलॉजी के साथ कला और संस्कृति से भी जुड़ सकेंगे

राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय का 16वां स्थापना दिवस

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नई शिक्षा नीति से छात्र बनेंगे संस्कारवान, टेक्नोलॉजी के साथ कला और संस्कृति से भी जुड़ सकेंगे

नई शिक्षा नीति से छात्र बनेंगे संस्कारवान, टेक्नोलॉजी के साथ कला और संस्कृति से भी जुड़ सकेंगे

ग्वालियर.

समारोह को राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने किया वर्चुअली संबोधित

नई शिक्षा नीति में हम अपने गौरवशाली इतिहास और संस्कृति को पढेंगे, जिससे आने वाली पीढ़ी हमारे महान क्रांतिकारियों के बारे में जान सके। नई शिक्षा नीति में साइंस और टेक्नोलॉजी के साथ-साथ गौरवशाली इतिहास, संस्कृति, कला और संगीत को समाहित किया गया है। यह बात संस्कृति व पर्यटन मंत्री ऊषा ठाकुर ने राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के 16वें स्थापना दिवस पर कही। प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने वर्चुअल रूप से संबोधित किया। विशिष्ट अतिथि विवेक नारायण शेजवलकर उपस्थित रहे। अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. साहित्य कुमार नाहर ने की। कार्यक्रम का संचालन नाट्य एवं रंगमंच विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने किया।

महान कलाकारों की धरती है मप्र
वर्चुअल संदेश में राज्यपाल ने कहा कि अपना प्रदेश महान कलाकारों की धरती है। इस धरती ने ऐसे महान कलाकार दिए हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय पटल पर देश का नाम रोशन किया है। आने वाली पीढ़ी को भारतीय परंपरा और संस्कृति के बारे में बार-बार बताते रहें, ताकि नई पीढ़ी हमारी गौरवशाली परंपरा से परिचित होकर योग्य नागरिक बन सके।

कला मनुष्य को संवेदनशील बनाती है
संस्कृति मंत्री ने कहा कि कला मनुष्य को संवेदनशील बनाती है। साथ ही हमारे सर्वांगीण विकास में योगदान देती है। हमारे देश में संगीत के माध्यम से ईश्वर की आराधना की जाती है, वहीं इसे नाट्यशास्त्र को पांचवा वेद कहा गया है। उन्होंने कहा कि अनुकूल परिस्थितियों में तो सभी कार्य करते हैं, लेकिन व्यक्ति की असली पहचान तब होती है, जब वह विपरीत परिस्थितियों में कार्य करता है।
उन्होंने कहा कि जल्द ही अधोसंरचनागत कार्य और पदों की स्वीकृति सहित विश्वविद्यालय की सभी मांगें पूरी की जाएंगी। इनकी स्वीकृति की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।

सरकार ने एक दिन में दो विश्वविद्यालयों की सौगातें दी थीं
सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने कहा कि मप्र सरकार ने वर्ष 2008 में ग्वालियर को राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय और राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय की सौगात दी थी। इस तरह ग्वालियर ऐसा शहर है जिसे एक दिन में दो विश्वविद्यालयों की सौगात मिली थी।

बच्चों को संगीत की शिक्षा देकर सुसंस्कृत बनाएं
कुलपति प्रो. साहित्य कुमार नाहर ने कहा कि संगीत और कला हमारे जीवन का अहम हिस्सा है। बच्चों को शुरुआत से ही संगीत और कला की शिक्षा देनी चाहिए, ताकि जब पौधा बड़ा होकर वृक्ष बने तो उसमे हमारी संस्कृति की झलक दिख सके। इस दौरान उन्होंने स्वरचित रचना की मंच से कही, जिसके बोल थे आओ नमन करें...। अतिरिक्त संचालक डॉ. के रत्नम ने कहा कि वैश्विक पटल पर भारत ही ऐसा देश है जिसके शास्त्रों में संगीत का वर्णन है। किसी भी घटना के संबंध में टाइम फैक्टर बहुत महत्वपूर्ण है।

छात्रों ने प्रदर्शनी के जरिए दिखाई अपनी प्रतिभा
विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. राकेश सिंह कुशवाह ने प्रतिवेदन पढ़ा। इसके बाद 14 अगस्त से स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया। साथ ही विश्वविद्यालय के उत्कृष्ट कर्मचारियों को भी सम्मानित किया गया। इस दौरान चित्रकला व मूर्तिकला विभाग के छात्रों ने आकर्षक प्रदर्शनी भी लगाई।

पं. जोशी के बांसुरी वादन में लयकारियों का अद्भुत समावेश
समारोह के दूसरे चरण में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बांसुरी वादक पं. चेतन जोशी के बांसुरी वादन ने समा बांध दिया। राष्ट्रपति द्वारा केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित पं जोशी ने कहा कि संगीत को समझने की नहीं वरन उसे अनुभव करने की जरूरत है। उन्होंने अपने बांसुरी वादन का प्रारंभ राग मधु मल्हार में आलाप जोड़ तथा झाला से किया। इसमें उन्होंने अति मंद्र सप्तक बजाने का भी अद्वितीय प्रयोग किया, जिसके लिए उनका नाम कई शोध प्रबंधो में भी आया है। इसके बाद उन्होने विलंबित रूपक ताल में एक गत सुनाई, जिसमें विभिन्न प्रकार की लयकारियों का अद्भुत समावेश सुनने को मिला। मध्य लय की बंदिश प्रणव घन छाए... बजाने से पहले उन्होने उसे गाकर भी सुनाया। श्रोताओं की फरमाइश पर अंत में पं जोशी ने एक परंपरागत कजरी कचैड़ी गली सून कइले... की भी प्रस्तुति दी। उनके साथ तबले पर डॉ. मनीष करवड़े रहे।

ये रहे उपस्थित
समारोह में उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक डॉ के. रत्नम, साधारण परिषद के सदस्य अतुल अधोलिया, चंद्रप्रताप सिकरवार और अनीता करकरे मौजूद रहे। विवि की ओर से वित्त नियंत्रक दिनेश पाठक प्रो. रंजना टोणपे मौजूद रहे।