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World Tourism Day: सात करोड़ से संवरेंगे ककनमठ के मंदिर, पर्यटकों की संख्या में होगा इजाफा

वर्ष 2022 में शुरू होगा काम, साइंटिफिक एग्जामिनेशन जल्द होगा......

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World Tourism Day

ग्वालियर। ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने और पर्यटकों को जोड़ने की दिशा में पर्यटन विभाग काम कर रहा है। इसी क्रम में 7 करोड़ की लागत से ककनमठ के मंदिरों को संवारने की रूपरेखा तैयार की गई है। इसका इस्टीमेट बनाकर हेडक्वार्टर भेजा जा चुका है। इसका मौखिक अप्रूवल भी मिल गई है। उम्मीद है कि 2022 की शुरूआत में इस पर काम शुरू हो जाएगा। वहीं दिसंबर तक टेम्पल का साइंटिफिक एग्जामिनेशन किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि ककनमठ अपनी सुंदरता और विशेषता के लिए देश-दुनिया में पहचान रखता है।

पर्यटकों को रहता है गिरने का भय

ककनमठ मंदिर के निर्माण में कहीं भी चूने, गारे का प्रयोग नहीं किया गया। पत्थरों को संतुलित रखकर मंदिर बनाया गया। पर्यटकों को हमेशा भय रहता है कि कहीं कोई पत्थर गिर न जाए। इसलिए यहां अधिक संख्या में पर्यटक नहीं पहुंचते। इस भय को अब पर्यटन विभाग खत्म करेगा। इसकी रूपरेखा तैयार कर ली गई है।

गिरने के भय से संरक्षण कार्य से बना ली थी दूरी

ककनमठ मंदिर की देखरेख अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है। अफसरों को भय था कि यदि मंदिर को छेड़ा गया तो गिर सकता है। क्योंकि इसके पत्थर एक के ऊपर एक रखे हैं। इस कारण उन्होंने इसके संरक्षण कार्य से दूरी बना ली, लेकिन अब टेम्पल का जीर्णोद्धार संभव हो सकेगा।

मौसम की मार से नष्ट हो गए छोटे-छोटे मंदिर

ककनमठ मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में कछवाहा वंश कच्छप घात के राजा कीर्ति राज ने कराया था। उनकी रानी ककनावती भगवान शिव की अनन्य भक्त थी। उन्हीं कहने पर इसका नाम ककनमठ रखा गया। यह मंदिर उत्तर भारतीय शैली में बना है। इतने लंबे समय से यह मंदिर कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता आ रहा है। मौसम की मार से यहां बने छोटे-छोटे मंदिर नष्ट हो गए हैं।

किवदंती-भूतों ने एक रात में बनाया था मंदिर

मंदिर को लेकर एक किंवदंती यह भी है कि इसे भूतों ने एक रात में बनाया था। इसे बनाते-बनाते सुबह हो गई और भूतों को काम अधूरा छोडक़र जाना पड़ा। आज भी इस मंदिर को देखने पर यही लगता है कि इसका निर्माण अधूरा रह गया।

डॉ. पीयूष भट्ट, अधीक्षण पुरातत्वविद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का कहना है कि ककनमठ को संवारने की रूपरेखा तैयार कर ली है। 2022 में इस पर काम शुरू होगा। टेम्पल को संवारने का काम बहुत संवेदनशील है। इसलिए पहले साइंटिफिक एग्जामिनेशन होगा। 2022 से 7 करोड़ की लागत से मंदिर को संवारा जाएगा।


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