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हर घर तिरंगा: ‘साहेब घर ही नहीं कहां फहराएंगे तिरंगा’, गरीबी से आजाद करा दो बस

Har Ghar Tiranga Compaign: हर घर तिरंग अभियान के तहत देशभर में घर घर जाकर तिरंगा लगाया जा रहा। ऐसे में एक शख्स ने अधिकारियों से पूछा साहेब! घर ही नहीं कहा लगाए तिरंगा।

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 Har Ghar Tiranga Compaign people asked for home for hosting flag

Har Ghar Tiranga Compaign people asked for home for hosting flag

आज जब सरकारें ''हर घर झंडा'' अभियान को लेकर कीर्तिमान बनाने की जुगत में हैं। वहीं जिला मुख्यालय के दो परिवार ऐसे भी हैं जो सड़क पर जीवन बिता रहे है उनके रहने को ना तो चारदीवारी है और ना सिर ढकने को छत ऐसे में बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि ये परिवार कहां झंडा फहराएंगे, सरकारें तो हर पांच साल में बदल गईं पर इनकी मुफलिसी आज भी ''नए भारत'' पर एक बदनुमा दाग बन कर रह गई है। आजादी के अमृत महोत्सव पर शासन प्रशासन हर झंडा को लेकर कमर कसे हुए है ऐसे में इन दो बेघर परिवारों की कहानी निश्चित ही देशप्रेम से इतर बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर रही है।

खुद्दार राजेन्द्र सालों से लड़ रहा हक़ की लड़ाई

सरीला के पास एक गांव के रहने वाले राजेन्द्र विश्वकर्मा के भाई की सालों पहले जमीन के विवाद में हत्या हो गई थी। जिसके बाद वो अपने परिवार और तीन बच्चों को लेकर मुख्यालय न्याय की आस में आया हर अधिकारी की चौखट पर नाक रगड़ रगड़ कर थकने के बाद उसने जमीन के पट्टे और एक अदद आवास के लिए दो मर्तबा कलेक्ट्रेट में धरना भी दिया पर प्रशासन के कान में जूं भी नही रेंगी। तब थक हारकर पुलिस लाइन के सामने एक लकड़ी की झोपड़ी बना देवी प्रतिमाओं को बनाने का काम शुरू किया और उसकी पत्नी ने घरों पर बर्तन धोने का काम ताकि खुद और तीन अबोध बच्चों का पेट पाल सके। जुलाई के पहले हफ्ते में किसी कारण से उसकी लकड़ी की झोपड़ी में आग लग गई आज राजेन्द्र रास्ते पर बिना किसी छत के गुजर बसर करने को मजबूर है। झंडा फहराने के सवाल पर बस इतना ही कह सकता है कि साहेब छत ही नही झण्डा कहाँ फहराएं।

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पॉलीथिन की छत तले गुजार दिए तीन साल

पुलिस अधीक्षक कार्यालय के पास पॉलीथिन की छत बनाए खालेपूरा निवासी माया देवी पत्नी प्रवीण कुमार लगभग तीन सालों से रह रही है। जीवन यापन करने के लिए गुटका बेचकर किसी तरह परिवार का पेट पाल रहा ये परिवार आज तक हर सरकारी योजना से वंचित है। उस पर 18 मई को कुछ लोगों ने जानलेवा हमला भी किया। जिसके आरोपी आज तक पकड़े भी नही जा सके। कलेक्ट्रेट परिसर में प्रधानमन्त्री शहरी आवास योजना का कार्यालय है उसके पास तिरपाल के आशियाने में रह रही माया सरकारी व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगा रही है। उसका यह भी कहना है कि तीन साल से पुलिस उसे न्याय नही दिला पा रही है।

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