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सरकारें बदली मगर नहीं बदली इस परियोजना की सूरत

पुरुषोत्तम झा. हनुमानगढ़. सरकारें आई और चली गई मगर नोहर-सिद्धमुख परियोजना की सूरत अब तक नहीं बदली। स्थिति यह है कि करीब डेढ़ दशक से इस परियोजना में चकबंदी और मुरब्बाबंदी का कार्य अटका हुआ है।

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सरकारें बदली मगर नहीं बदली इस परियोजना की सूरत

सरकारें बदली मगर नहीं बदली इस परियोजना की सूरत

-डेढ़ दशक से अधर में लटका हुआ है सिद्धमुख नोहर प्रणाली में चकबंदी व मुरब्बाबंदी का कार्य
-नोहर तहसील के 48 गांवों में तथा भादरा के 53 गांवों में काम अधर में लटकने की वजह से किसानों में समानुपात रूप से पानी का नहीं हो पा रहा वितरण

पुरुषोत्तम झा. हनुमानगढ़. सरकारें आई और चली गई मगर नोहर-सिद्धमुख परियोजना की सूरत अब तक नहीं बदली। स्थिति यह है कि करीब डेढ़ दशक से इस परियोजना में चकबंदी और मुरब्बाबंदी का कार्य अटका हुआ है। लेटलतीफी की वजह से हजारों किसानों को समानुपात रूप से पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में पानी के लिए यहां झगड़े आम बात हो गए हैं। परंतु फिर भी सरकारी तंत्र इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। जिले की नोहर व भादरा क्षेत्र में चकबंदी व मुरब्बाबंदी का कार्य लटकने से इन क्षेत्रों की नहरों में बाराबंदी सिस्टम लागू नहीं हो पा रहा। यह कार्य पूर्ण होने पर ही इंदिरागांधी व भाखड़ा नहरों की तर्ज पर सिद्धमुख नोहर प्रणाली की नहरों में बारी सिस्टम लागू हो सकेगा। वर्तमान में यहां काम चलाऊ के तौर पर भाईचारा सिस्टम से नहरों की बारी निर्धारित की गई है। जबकि चकबंदी व मुरब्बाबंदी कार्य पूर्ण होने पर बारी सिस्टम लागू करना संभव होगा और किसानों को समानुपात रूप में हक का पानी मिल सकेगा। वर्तमान में नोहर, भादरा और राजगढ़ के सिद्धमुख इलाके में मुरब्बाबंदी और चकबंदी कार्य वेपकोस कंपनी की ओर से किया जा रहा है। परचा खतोनी, नक्शे का सुधार, फील्ड में कब्जा सौंपने के दौरान आने वाली समस्याओं, खाला रास्ता संबंधी तथ्यों को लेकर विस्तृत चर्चा जिला प्रशासन स्तर पर की गई थी। ताकि जल्द इस कार्य को पूर्ण किया जा सके। जानकारी के अनुसार नोहर तहसील के 48 गांवों में तथा भादरा के 53 गांवों में चकबंदी का कार्य पूर्ण होना है। जिला प्रशासन के अनुसार चकों में अपडेशन के बाद अंतिम रूप से धरातल पर लागू करने को लेकर काम शुरू किया गया। परंतु वेपकोस की ओर से किए गए कार्य में बड़ी मात्रा में अशुद्धियां मिलने पर मौके पर इन्हें रोक दिया गया। अब कमियों को दूर करके इसे लागू करने की दिशा में प्रशासनिक अधिकारी कदम बढ़ा रहे हैं।

इतना बड़ा क्षेत्र सिंचित
नोहर-सिद्धुख नहर प्रणाली से करीब पचास हजार किसान जुड़े हैं। इस नहर से एक लाख 11 हजार 458 हेक्टैयर क्षेत्र सिंचित हो रहा है। जल संसाधन विभाग ने पत्थरगढ़ी के हिसाब से बारियां निर्धारित की है। चकबंदी व मुरब्बाबंदी कार्य पूर्ण हो जाए तो किसानों की बारियां विभागीय नियमानुसार निर्धारित करने की प्रक्रिया पूर्ण हो। लेकिन इस कार्य के अधूरा रहने की वजह से विभाग स्तर पर अभी बाराबंदी सिस्टम लागू नहीं किया जा रहा है। वर्तमान में भाईचारा सिस्टम ही लागू है। इस स्थिति में पानी को लेकर विवाद की स्थिति लगातार बनी रहती है।

…..फैक्ट फाइल…..
-सिद्धमुख-नोहर प्रणाली की नहरों में चकबंदी का कार्य करीब करीब डेढ़ दशक से चल रहा। अब तक पूर्ण नहीं हुआ।
-इस नहर से एक लाख 11 हजार 458 हेक्टैयर क्षेत्र हो रहा सिंचित।
-नोहर के 45 गांव में नक्शे पूर्णतया बनकर तैयार, इन गांवों के 106 चकों की पर्चा खतौनी तैयार, 13 चकों में अपडेशन के बाद अंतिम रूप से धरातल पर होगा लागू।

कमियां दुरुस्त करवा रहे
वेपकोस कंपनी को यह कार्य दिया गया है। उसने जो रिपोर्ट दी, उसे जमीन पर लागू करने का कार्य शुरू किया गया तो उसमें कुछ कमियां मिली। इसे दुरुस्त करने के लिए सेटलमेंट डिपार्टमेंट तथा वेपकोस की ज्वाइंट टीम बनाई गई है। जल्द कमियां दूर होने के बाद पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर रिपोर्ट को लागू करने का प्रयास रहेगा।
-कानाराम, जिला कलक्टर, हनुमानगढ़