
हनी हब के लिए हनुमानगढ़ का वातावरण अनुकूल
-मधुमक्खी पालन जागरुकता महोत्सव में किसानों ने दिखाया उत्साह
हनुमानगढ़. मधुमक्खी पालन के प्रति जिले के किसानों का रुझान लगातार बढ़ रहा है। इसे और प्रोत्साहित करने के लिए सरकार स्तर पर प्रयास जारी हैं। इसी क्रम में जिला मुख्यालय के नजदीक एक शिक्षण संस्थान में मधुमक्खी पालन जागरुकता महोत्सव का आयोजन किया गया। भारतीय मधुमक्खी पालक किसान यूनियन की ओर से आयोजित इस महोत्सव में राजस्थान राज्य सहित देश के विभिन्न अन्य राज्यों से आए सैकड़ों किसानों ने भाग लिया। मुख्य अतिथि पूर्व जल संसाधन मंत्री डॉ. रामप्रताप थे। जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में किसान नेता रेशम सिंह, पूर्व उप प्रधान अमर सिंह सिहाग, जगतार सिंह बराड़, कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. रमेश बराला, बीएमयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश कुमार जांगू, राष्ट्रीय सलाहकार प्रमुख अजीत कुमार उपस्थित रहे। इस मौके पर श्री गुरु गोबिंद सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष बाबूलाल जुनेजा ने मधुमक्खी पालक किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम किसानों को मधुमक्खी पालन के बारे में नवीनतम तकनीकों और बाजार की जानकारी सांझा करते हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में शहद की बढ़ती मांग के कारण वर्तमान में मधुमक्खी पालन अधिक लोकप्रिय हो रहा है। यह ऐसा व्यवसाय है जो ग्रामीण क्षेत्रों में, विशेषकर युवाओं, महिलाओं और भूमिहीन किसानों के लिए स्वरोजगार के अवसर प्रदान करता है। पूर्व जल संसाधन मंत्री डॉ. रामप्रताप ने शहद उत्पादक किसानों को पुरानी खेती तकनीक और नवीनतम वैज्ञानिक खेती के सामंजस्य को देशी भाषा में उदाहरण देते हुए बताया कि जहां कृषि अधिकारी अपनी कार्यशैली में लापरवाहियां बरत रहे हैं वहीं किसानों में भी जागरूकता का अभाव देखने को मिल रहा है। बीज नकली,डीएपी नकली, कीटनाशक नकली और फसलों का उचित भाव नहीं मिल रहा। किसान वर्ग को चौतरफ़ा मार झेलनी पड़ रही है। आवाज उठाने पर उसको लाठियां मिलती हैं। उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालकों को भी एकजुट होना पड़ेगा तभी शहद को बाजार में उचित भाव मिलेंगे। किसानों को इंगित करते हुए कहा कि आप शहद बेचान के समय कच्ची पर्ची क्यों लेते हो ? हनुमानगढ़ का वातावरण शहद उत्पादन के लिए बहुत उपयोगी है और इसे हनी हब बनाना चाहिए। डॉ. रामप्रताप ने कहा कि मधुमक्खियां हमारे पारिस्थितिकी तंत्र की रीढ़ है। यह न केवल शहद देती है बल्कि परागण के जरिये हमारी खेती को समृद्ध करती है और पर्यावरण का सरंक्षण करती है।
कृषि विभाग समय पर दे रहा अनुदान
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. रमेश बराला ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान में मधुमक्खी पालकों की सबसे बड़ी समस्या वाजिब रेट नहीं मिलना है। मधुमक्खी पालन में कोई दिक्कत नहीं आ रही है। शहद उत्पादन के साथ-साथ यह मित्र कीट भी है जिससे फसलों में परागण बढ़ता है। विभाग द्वारा किसानों को समय पर अनुदान दिया जा रहा है। बीएमयू के राष्ट्रीय प्रमुख सलाहकार अजीत कुमार और हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष नरेश सैनी ने भी मधुमक्खी पालक किसानों के लिए भावंतर योजना को देश भर में लागू करने की मांग उठाई।
भावंतर योजना हो लागू
बीएमयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश कुमार जांगू ने कहा कि हरियाणा सरकार ने राज्य में मधुमक्खी पालक किसानों को लाभान्वित करने के लिए भावंतर योजना लागू की है। हमारी मांग है कि इस योजना को राजस्थान सहित अन्य राज्यों में भी लागू किया जाए। बॉक्स, मशीन आदि उपकरणों सहित शहद से निर्मित आइसक्रीम, मिठाई, केक आदि पर भी सरकार द्वारा अनुदान दिया जाए। शहद की खपत बढे इसलिए इसे आंगनबाढ़ी केन्द्रों और सेना डाइट में शामिल किया जाए।
Published on:
26 Oct 2025 11:43 am
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