
Dispute between teachers and clerks increased, dispute over division of work
हनुमानगढ़. शिक्षकों और मंत्रालयिक कर्मचारियों में इन दिनों कार्य विभाजन को लेकर रार छिड़ी हुई है। कामकाज में वरीयता को लेकर विवाद निदेशालय स्तर तक पहुंच चुका है। हालांकि अब तक निदेशालय ने इस संबंध में कोई स्पष्ट निर्णय लेकर दिशा निर्देश जारी नहीं किए हैं। इस संबंध में जल्दी ही फैसला कर आदेश जारी करने की बात जरूर कही जा रही है।
शिक्षक संगठनों की माने तो मंत्रालयिक कर्मचारियों को शिक्षा अधिकारियों व शिक्षकों की तुलना में वरीयता देने के खिलाफ यह लड़ाई है। शिक्षा विभाग के सभी कार्यालयों में कार्य विभाजन को तार्किक एवं न्यायसंगत बनाने की मांग की जा रही है। वहीं मंत्रालयिक संवर्ग के कर्मचारियों का कहना है कि उनके अधिकारों को वापस छीनने का प्रयास हो रहा है। इसे सफल नहीं होने दिया जाएगा।
जानकारी के अनुसार मंत्रालयिक कर्मचारियों को प्राचार्य के समकक्ष ग्रेड पे 6600 देने और अब उनको एडीईओ के समकक्ष कार्य दे दिए गए हैं। इसमें विद्यालयों व शिक्षकों के कामकाज की मॉनीटरिंग, डीईओ की गैर हाजिरी में उनके हस्ताक्षर करना आदि। यह सब शिक्षकों को पसंद नहीं आ रहा है।
शिक्षक संगठनों का कहना है कि मंत्रालयिक कर्मचारियों की योग्यता बारहवीं पास है। शिक्षा अधिकारियों की स्नातकोत्तर व बीएड योग्यता है। संस्थापन व प्रशासनिक अधिकारी के राज्य में करीब 1350 पद हो चुके हैं। जबकि जिले 41 हैं। इतने पदों की जरूरत नहीं है। एलडीसी व यूडीसी ही अधिक होने चाहिए। वहीं मंत्रालयिक कर्मचारियों के तर्क हैं कि पंचायतराज तथा राजस्व विभाग में दसवीं-बारहवीं योग्यताधारी भी नायब तहसीलदार, तहसीलदार, बीडीओ आदि की जिम्मेदारी संभालते रहे हैं। वे भी प्राचार्य व शिक्षकों की बैठक लेते हैं तो हम उनके कार्यों की मॉनीटरिंग क्यों नहीं कर सकते।
राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ रेस्टा के प्रदेश प्रवक्ता बसंत कुमार ज्याणी कहते हैं कि वर्षों से सुस्थापित समन्वित व्यवस्था के साथ छेड़छाड़ अनुचित है। मंत्रालयिक संवर्ग में उच्च पदों की अत्यधिक वृद्धि के कारण उनकी इतनी संख्या में उच्चतर पदानुक्रम में नियुक्ति संभव नहीं है। राजस्थान शिक्षा सेवा, जो कि राज्य सेवा का संवर्ग है, के स्थानापन्न या उच्चतर अधीनस्थ अथवा मंत्रालयिक संवर्ग को नियुक्त करना स्वीकार्य नहीं है।
राज्य सरकार ने जो व्यवस्था बनाई थी, वो सोच-समझ कर ही बनाई होगी। अब दबाव डालकर उस व्यवस्था को निरस्त करवाना उचित नहीं है। शैक्षणिक कामकाज डीईओ व एडीईओ ही देखते हैं। प्रशासनिक कार्य तो मंत्रालयिक संवर्ग के जरिए ही किया जाए। इस मामले में दबाव की राजनीति करना ठीक नहीं है। - इंद्रजीत शर्मा, जिलाध्यक्ष, राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ, हनुमानगढ़।
राजकीय सेवा नियमों में स्पष्ट उल्लेख है कि शैक्षिक पद पहले हैं और मंत्रालयिक संवर्ग बाद में है। सिर्फ ग्रेड पे को आधार बनाकर शिक्षा अधिकारियों के अधिकार मांगना सही नहीं है। नायब तहसीलदार या तहसीलदार कई बार अपने मातहत डबल एओ से कम ग्रेड पे के हो सकते हैं। मगर रिपोर्टिंग अधिकारी तो तहसीलदार व नायब ही होंगे। - जयपाल सिंह, जिलाध्यक्ष रेसा पी।
Published on:
06 Jul 2025 10:14 am
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