
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी। फोटो: पत्रिका
हनुमानगढ़। सम्पत्ति विवाद में दोस्त सहित उसके परिवार के चार लोगों की हत्या के मामले में कोर्ट ने मुख्य आरोपी को दोषी करार दिया। एडीजे प्रथम हनुमानगढ़ दीपक पारासर ने दोषी रमेश स्वामी निवासी मल्लड़खेड़ा, टिब्बी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
सह आरोपी रामलाल पुत्र भीखराम नायक निवासी मल्लड़खेड़ा को दोष मुक्त कर दिया गया। राज्य की ओर से विशिष्ट लोक अभियोजक प्रथम सुमन झोरड़ ने पैरवी की। दोष सिद्ध होने के बाद कोर्ट से जाते समय दोषी ने मृतक की माता के पैर छूकर आशीर्वाद लेने का प्रयास किया।
आरोपी रमेश स्वामी व विनोद कुमार में कभी गहरी दोस्ती थी। मृतक विनोद कुमार संगरिया के निजी स्कूल में लेखाकार था। जबकि आरोपी रमेश स्वामी भी पहले वहां क्लर्क था।
बाद में वह टिब्बी तहसील की कुलचंद्र ग्राम पंचायत में पंचायत सहायक लग गया। सुनीता भाटी सीकर से अपने घर हनुमानगढ़ आने के लिए कार में सवार हुई थी। वह जाते समय कार में नहीं थी।
पुलिस जांच के अनुसार वारदात के दिन व उससे पहले मुख्य आरोपी रमेश स्वामी तथा सह आरोपी रामलाल नायक के बीच मोबाइल फोन पर खूब बातें हुई। इससे पुलिस का संदेह बढ़ा था।
सजा सुनने के बाद कोर्ट रूम से निकलते समय हत्या के दोषी रमेश स्वामी का सामना मृतक विनोद कुमार की माता से हो गया। दोषी ने मृतक की माता के पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहा। मगर बहू, बेटे और पोती के हत्यारे को सामने देखकर वृद्धा जड़वत सी हो गई। दर्द से कटता कलेजा लिए जिंदगी गुजार रही वृद्धा के हाथ ना तो आशीर्वाद देने के लिए उठे और ना ही दोषी को देखने के लिए आंखें उठ सकी।
पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी रमेश स्वामी का मृतक विनोद कुमार से भूमि विक्रय को लेकर विवाद था जिसके एवज में उसने 15 लाख रुपए लिए थे। बाद में आरोपी ने भूमि विक्रय करने तथा 15 लाख रुपए लौटाने से मना कर दिया जिसके चलते दोनों में विवाद हुआ था। इसी रंजिश में रमेश कुमार ने विनोद की हत्या की प्लानिंग करनी शुरू कर दी।
आठ फरवरी 2021 को विनोद कुमार को अपनी पुत्री दीया को अध्ययन के लिए सीकर छोड़ने जाना था। रमेश स्वामी को पता लगा तो उसने साजिश के तहत कार चालक के रूप में साथ चलने की बात कही। सीकर से वापसी के समय पूर्व योजना के तहत रमेश कुमार ने अपने काश्तकार रामलाल को लखूवाली हैड बुला लिया। फिर हैड पर नहर किनारे कार को लघु शंका के बहाने रोका। वहां मौजूद रामलाल के साथ मिलकर रमेश ने कार को धक्का देकर नहर में गिरा दिया।
मृतका रेणु के भाई रमेश सिडाना निवासी श्रीविजयनगर ने रमेश स्वामी के खिलाफ घटना के सात दिन बाद टाउन थाने में गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कराया था। इसकी जांच के दौरान ही आरोपी ने उच्च न्यायालय में रिट पिटिशन दायर कर दी थी। कोर्ट के निर्णय की पालना में पुलिस ने मुख्य आरोपी को नोटिस दिया। बाद में पुलिस जांच में गैर इरादतन हत्या की बजाय मामला हत्या का निकला।
प्रकरण के अनुसार इंदिरा गांधी नहर में नौ फरवरी 2021 की रात कार गिर गई थी। उसमें संगरिया के वार्ड 33 निवासी विनोद अरोड़ा (45) पुत्र प्रेमराज अरोड़ा, उसकी पत्नी रेणु (42) एवं बेटी रश्तिा (15) तथा गांव फतेहगढ़ निवासी सुनीता भाटी (40) पत्नी संदीप भाटी सवार थे। चारों के शव दस फरवरी को नहर से निकाले गए। वे सीकर में विनोद कुमार की बेटी का कॉलेज में दाखिला करवाकर लौट रहे थे। कार को आरोपी रमेश स्वामी चला रहा था। उसने पुलिस को बताया कि वह नहर के नजदीक लघुशंका करने उतरा था। पहले उसने गाड़ी सड़क पर खड़ी कर दी। लेकिन पीछे से ट्रक आने के कारण उसने गाड़ी को नहर की पटरी पर खड़ा कर दिया तथा हैंड ब्रेक लगाना भूल गया। ढलान पर खड़ी गाड़ी नहर में जा गिरी।
पुलिस ने पांच माह जांच के बाद 10 जुलाई को खुलासा किया कि नहर में कार गिरने का मामला कोई दुर्घटना नहीं थी बल्कि सुनियोजित ढंग से अंजाम दी गई हत्या की साजिश थी। पुलिस ने घटना की परतें खोलते हुए रमेश स्वामी को हत्या का आरोपी माना। उसने अपने काश्तकार रामलाल नायक के साथ मिलकर कार को नहर में डालने की योजना बनाई। पुलिस ने जांच कर दोनों के खिलाफ चालान पेश किया। न्यायालय ने सुनवाई के बाद रामलाल को बरी कर दिया तथा रमेश स्वामी को सजा सुनाई।
Updated on:
25 Sept 2025 11:47 am
Published on:
25 Sept 2025 11:24 am
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