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हनुमानगढ के संगरिया में अखाड़ा बनने लगा है मीरा शिक्षा समिति चुनाव कार्यक्रम

संगरिया. स्थानीय मीरा शिक्षा समिति के मीरा कन्या महाविद्यालय के सरकारीकरण से गैरसरकारीकरण की प्रक्रिया के बाद

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मीरा शिक्षा समिति चुनाव कार्यक्रम

संगरिया.

स्थानीय मीरा शिक्षा समिति के मीरा कन्या महाविद्यालय के सरकारीकरण से गैरसरकारीकरण की प्रक्रिया के बाद करीब छ: वर्ष बाद होने वाले नई कार्यकारिणी का चुनाव समय बीतने के साथ-साथ युद्ध के मैदान की तरह नजर आने लगा है। मीरा शिक्षा समिति द्वारा 21 जुलाई को बैठक कर पांच सदस्सीय भारी भरकम निर्वाचन मंडल का गठन किया गया जिसमें एआरएम आईटीआई के डायरेक्टर रामलाल बिस्सू, भगवान श्रीकृष्ण गोशाला समिति के कोषाध्यक्ष पूनम चंद गोयल, बार संघ अध्यक्ष गुरलाल मान, पूर्व पार्षद छोटूराम बिश्नोई व किसान नेता ओम जांगू को शामिल किया गया।

निर्वाचन मंडल द्वारा एक से 16 अगस्त तक नये सदस्य बनने के लिए आवेदन, 22 अगस्त को दोपहर तीन बजे अस्थाई मतदाता सूची का प्रकाशन, 27 अगस्त दोपहर तीन बजे तक अस्थाई मतदाता सूची पर आपत्तियां स्वीकार करने की प्रक्रिया, 29 अगस्त को सुबह 11 बजे से आपत्तियों की सुनवाई व 3 सितम्बर को अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन किया जाना प्रस्तावित किया। प्रबंध समिति व निर्वाचन अधिकारियों के मध्य खींचतान के चलते अस्थाई मतदाता सूची अपने निर्धारित समय पर जारी नहीं हो सकी व 26 अगस्त को राजस्थान पत्रिका में 'तीन दिन बाद भी सूची जारी नहीं शीर्षक से प्रकाशित समाचार के बाद निर्वाचन मंडल व प्रबंध समिति ने तंद्रा तोड़ते हुए 26 अगस्त शाम को ही त्वरित गति से मतदाता सूची जारी कर दी।

सूची में 780 सदस्य शामिल होने बताए गए। जिसमें 772 की सूची प्रबंध समिति द्वारा व 8 सदस्यों द्वारा 11-11हजार की राशि जमा करवाकर वोट जुड़वाए गए। निर्धारित कार्यक्रम में परिवर्तन करते हुए इसमें आपत्ति का समय 31 अगस्त, सुनवाई एक सितम्बर व मतदाता सूची जारी करने की तिथि तीन सितंबर निर्धारित की गई है। वर्तमान सिस्टम को देखकर ऐसा लग रहा है की जब मतदाता सूची को लेकर ही इतना घमासान जारी है तो आने वाले दिनों में चुनाव कार्यक्रम में भी अच्छा खासा सियासी ड्रामा देखने को मिलने की संभावना है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने किया व्यापारियों के वोट का विरोध:

नगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजेश डोडा ने निर्वाचन मंडल को पत्र लिखकर मतदाता सूची पर प्रश्न चिन्ह खड़े किए। उन्होने लिखा की 2011 में 625 मतदाता थे व उसमें 36 का स्वर्गवास हो चुका है तथा 8 नए सदस्य जोड़े गए है इस प्रकार सदस्यों की संख्या मात्र 597 ही होनी चाहिए थी। उन्होने व्यापार मंडल लागा के तहत बने व्यापारियों के 90 वोटों को जोड़े जाने का विरोध जताया। उन्होने व्यापार मंडल शिक्षा समिति के माध्यम से जोड़े गए सहयोगकर्ताओं के 94 वोटों का भी विरोध किया।

भाजपा व व्यापारी सूची के पक्ष में:

भाजपा की ओर से नगर मंडल अध्यक्ष श्याम मित्तल, व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष हनुमान गोयल, जयपाल सोनी व रोबिन मित्तल ने व्यापारियों का पक्ष लेते हुए उनके वोटों को जोड़े जाने का समर्थन करने का पत्र निर्वाचन मंडल को सौंपा। उन्होने कहा की व्यापार मंडल के लागा वोट जोड़े जाने का प्रस्ताव पूर्व में लिया जा चुका है व अनेक सदस्य इसके माध्यम से मताधिकार का उपयोग भी कर चुके है। उन्होने व्यापार मंडल शिक्षा समिति के माध्यम से सहयोग करने वालों को संस्था के सदस्य बनने का सच्चा अधिकारी बताया जिन्होने संस्था की बुरे वक्त में मदद की थी। उन्होने कांग्रेस के भ्रामक विरोध को निरस्त करने की मांग भी की।
अस्थाई मत बनाने की मांग:

सदस्य बनाने की समय सीमा में दो-दो हजार के डीडी बनाकर जमा करवाने वाले विजय सिंह बेनीवाल, विनोद धारणियां, सुरेद्र सुच एडवोकेट, कुलदीप भाकर व डॉ.आईजी पूनियां ने निर्वाचन मंडल व मीरा शिक्षा समिति के सचिव को पत्र लिखकर उन्हे नियमानुसार समिति का अस्थाई सदस्य बनाने की मांग की। उन्होने इसके लिए निर्धारित कानून का हवाला देते उनके वोट काटे जाने को निर्वाचन विभाग की अलोकतांत्रिक व तानाशाही प्रवृति करार देते हुए इसे संविधान के विरुद्ध बताया।