
Sanskarit Akhar Shala running in the brick kilns and deprived areas of Hanumangarh and Rawatsar
अदरीस खान @ हनुमानगढ़. पीढिय़ों से मजदूर और मजबूर आदमी के लिए जहां सारा संघर्ष ही दो वक्त की रोटी के लिए हो, वहां शिक्षा का दीया जलाना आसान नहीं। संघर्षों से जूझते ऐसे ही अभावग्रस्त परिवारों के बच्चों के जीवन में तालीम का चिराग जलाने में जुटी है अनौपचारिक संस्कारित पाठशाला।
खासकर ईंट भट्टों व अभावग्रस्त क्षेत्र में यह पाठशालाएं चलाई जा रही है। जिले में तीन जगहों पर इन अनौपचारिक शिक्षा केन्द्रों के जरिए बच्चों को आखर ज्ञान कराया जा रहा है। उनको पाठ्य सामग्री भी दी जा रही, ताकि खर्च के डर से मजदूर अभिभावक बच्चों को पाठशाला भेजने से ही इनकार ना कर दे। गत चार वर्षों के दौरान इस मुहिम के माध्यम से 1500 बच्चों को शिक्षा दी जा चुकी है। 125 को अनौपचारिक शिक्षा देकर सरकारी विद्यालयों में नामांकन भी कराया गया है।
जिला बाल कल्याण समिति अध्यक्ष जितेन्द्र गोयल की प्रेरणा से वर्ष 2021 में संस्कारित पाठशाला की शुरुआत की गई। रावतसर के निकट ईंट भट्टों के निकट कोई विद्यालय नहीं था। ऐसे में उनके बच्चों के लिए ईंट भट्टे पर कक्षा लगाई गई। मजदूरों के बच्चे भट्टे पर उनके साथ ही रहते। बरसात में भट्टे बंद होने पर मजदूर लौट जाते हैं। ऐसे में बच्चे पढ़ नहीं पाते हैं। इसलिए भट्टे पर ही पाठशाला शुरू की। ईंट भट्टा संचालकों ने कक्ष उपलब्ध कराया। कई युवाओं ने समय-समय पर कक्षाएं लगाकर बच्चों को पढ़ाया।
गोयल बताते हैं कि ईंट भट्टों पर प्रवासी मजदूरों के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा के साथ पाठ्य व खेल सामग्री, जूते, स्वेटर आदि भी वितरित किए। बच्चों को स्वच्छता किट भेंट की जाती है, जिसमें नेलकटर,पेस्ट, टूथ ब्रश आदि सामग्री होती है। इससे उनके अभिभावक भी बच्चों को पढ़ाने के प्रति प्रोत्साहित हुए। इस नवाचार से बाल श्रम रोकने में भी मदद मिली है। ईंट भट्टा क्षेत्र के आसपास जो शिक्षित व समाजसेवा का इच्छुक युवा होता है, उसको पाठशाला में पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। इच्छुक युवाओं का मानदेय सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष एवं ईंट भट्टा संचालक वहन करते हैं।
हनुमानगढ़ के स्लम एरिया सुरेशिया, रावतसर क्षेत्र में ईंट भट्टे व झुग्गी झोंपड़ी इलाके में संस्कारित पाठशाला का संचालन।
Published on:
08 Sept 2025 11:38 am
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