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Video: हत्यारोपी पकड़ से बाहर, पुलिस कह रही है – आप पकड़वाओ…

पुलिस जांच से असंतुष्ट परिवार ने कार्रवाई की लगाई गुहार, बताया जान-माल का खतरा

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crime in sangria

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संगरिया. जमीनी विवाद में हुए रिश्तों के खून में पुलिस कार्रवाई पर असंतोष जताते हुए परिजनों ने जांच बदलवाकर उच्च स्तरीय जांच करवाने की गुहार लगाई है। ढाबां निवासी मृतक के पुत्र लीलूराम व परिजनों ने परिवार की जान-माल को खतरा बताया है। आईजी बीकानेर , मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, प्रधानमंत्री व मानवाधिकार आयोग को भेजे ज्ञापन में आरोप है कि कथित तौर पर राजनीतिक दवाब व सुविधा शुल्क के चलते अनुसंधान सही नहीं हो रहा। हत्यारे पुलिस की आंखों के सामने होने पर भी पकड़ से बाहर हैं, जबकि साबित हो चुका है कि सबने मिलकर हत्या की है।

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आरोपितों के पास बंदूक है और वे परिवार को मारने की फिराक में है। परिवार भयाक्रान्त है। वे इधर-उधर छिपकर अपनी जान बचा रहे हैं। आरोप लगाया कि पुलिस उन्हें ही आरोपितों की जानकारी देकर पकड़वाने का दबाब बना रही है। परिवार थाना प्रभारी की कार्रवाई से पूर्णतया असंतुष्ट हैं। बताया कि 1 व 15 सितंबर को एसपी हनुमानगढ से मामले में निष्पक्ष कार्रवाई करने की गुहार लगाई पर अभी तक कुछ नहीं हुआ है। ऐसा ही रहा तो उन्हें थाने के समक्ष मजबूरन धरना-प्रदर्शन करना पड़ेगा।

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मामले के अनुसार जमीन विवाद के चलते ९ अगस्त की रात गांव ढाबां निवासी लीलूराम बावरी को खेत से घर आते वक्त उसके भाई-भतीजों ने रास्ते में रोककर गंडासियों, कुल्हाड़ी, लाठियों के वार से मारपीट कर मौत के घाट उतार दिया। लाश को खुर्द-बुर्द करने के लिए मोटरसाइकिल सहित नहर में फेंक दिया। जो दो दिन बाद मालारामपुरा के पास नहर से बरामद हुई। पुलिस ने सुंदरपाल की रिपोर्ट पर मृतक के भतीजों महावीर, ताराचंद, पौत्र शिवदत्त, बड़़े भाई भादरराम, भाभी कैलाशदेवी व जंवाई रामकुमार को हत्यारोपी के रुप में नामजद किया।

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जिनमें से महावीर एवं ताराचंद को गिरफ्तार कर लिया गया। उनसे हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी व गंडासी, खून से सने कपड़े भी बरामद कर लिए गए। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने दोनों भाईयों को न्यायिक अभिरक्षा में हनुमानगढ़ जेल भेज दिया जबकि शेष नामजद आरोपित पकड़ से बाहर हैं। अनुसंधान अधिकारीे मोहरसिंह पूनियां का कहना है कि वे निष्पक्ष जांच कर रहे हैं। आरोपितों को पकडऩे के लिए जानकारी मिलने पर दबिश दी गई। यदि फिर भी परिवादी जांच से असंतुष्ट हैं तो किसी अन्य से अनुसंधान करवा सकते हैं। आरोप बेबुनियाद हैं।

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