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हनुमानगढ़

घग्घर के राजस्थान भाग में पानी प्रवाहित, संभावित बाढ़ के खतरे से निपटने को सतर्क हुआ प्रशासन

https://www.patrika.com/hanumangarh-news/ हनुमानगढ़. शिवालिक की पहाडिय़ों में अच्छी बारिश के बाद राजस्थान में घग्घर नदी के नाली बेड में पानी प्रवाहित कर दिया गया। ग्यारह जुलाई 2023 को तीन हजार क्यूसेक पानी नाली बेड में प्रवाहित किया गया।  

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घग्घर के राजस्थान भाग में पानी प्रवाहित, संभावित बाढ़ के खतरे से निपटने को सतर्क हुआ प्रशासन
-नदी क्षेत्र में जिले के सर्वाधिक 29 प्वाइंट्स की निगरानी की जरूरत
-जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता व कलक्टर ने घग्घर क्षेत्र का निरीक्षण कर लिया व्यवस्थाओं का जायजा

हनुमानगढ़. शिवालिक की पहाडिय़ों में अच्छी बारिश के बाद राजस्थान में घग्घर नदी के नाली बेड में पानी प्रवाहित कर दिया गया। ग्यारह जुलाई 2023 को तीन हजार क्यूसेक पानी नाली बेड में प्रवाहित किया गया। शाम करीब चार बजे पानी हनुमानगढ़ के भद्रकाली मंदिर को क्रॉस कर गया। धीरे-धीरे पानी की रफ्तार जोर पकड़ रही है। नदी में पानी छोडऩे के साथ ही किसानों को बंधे मजबूत करने को लेकर सतर्क कर दिया गया है। निचले इलाके में निवास करने वाले लोगों को भी सतर्क रहने के लिए कहा गया है। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की मानें तो अभी इतना पानी राजस्थान क्षेत्र में प्रवाहित नहीं किया गया है जिससे खतरा हो।
मगर शिवालिक की पहाडिय़ों में आगे बरसात जारी रहने पर स्थिति बदल सकती है। अभी बीस से पच्चीस हजार क्यूसेक पानी का प्रबंधन करने में राजस्थान सक्षम है। इसमें करीब बीस हजार क्यूसेक जीडीसी यानी सेमनाला तथा पांच हजार क्यूसेक नाली बेड में प्रवाहित किया जा सकता है। जल संसाधन विभाग खंड द्वितीय के एक्सईएन सहीराम यादव के अनुसार मंगलवार को गुल्लाचिक्का हैड पर 61730 क्यूसेक पानी चल रहा था। इसी तरह खनौरी हैड पर 13400, चांदपुर हैड पर 9600, ओटू हैड पर 700, घग्घर साइफन में 4250, नाली बेड में 3000, आरडी 42 जीडीसी में 1150 क्यूसेक पानी प्रवाहित हो रहा था। वर्तमान में जितना पानी चल रहा है, उसे रेग्यूलेशन के अनुसार चला रहे हैं। वहीं घग्घर नदी में पानी की आवक से धान उत्पादक किसानों के चेहरे पर खुशी साफ देखी जा सकती है। श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले में करीब पचास हजार हैक्टैयर में धान की खेती होती है। नदी में पानी की आवक होने से नदी के आसपास के इलाके का भूजल स्तर भी बढ़ेगा।
घग्घर नदी के राजस्थान क्षेत्र के नाली बेड में वर्ष 2019 में 5000 क्यूसेक पानी चलाया गया था। जबकि 2020 में 3000, वर्ष 2021 में 5000 व वर्ष 2022 में 5000 क्यूसेक पानी प्रवाहित किया गया। वर्तमान में इससे अधिक पानी चलाने में खतरा रहता है। इस वजह से घग्घर के नाली बेड में पांच हजार क्यूसेक से अधिक पानी नहीं चलाया जा रहा है। वर्ष 1995 में हनुमानगढ़ शहर बाढ़ के खतरे को भी देख चुका है। कलक्टर रुकमणि रियार ने संभावित बाढ़ के खतरे से निपटने के लिए जिला स्तरीय अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में कहा कि घग्घर नाली बेड की क्षमता पांच हजार क्यूसेक पानी बहाव की है, इसके ऊपर बहाव में बाढ़ की स्थित बनती है। इस बार जिस तरह से घग्घर नदी के इलाकों में अत्यधिक बारिश हो रही है, ज्यादा पानी के बहाव की संभावना है। अत्यधिक बहाव की संभावना के मद्देनजर नदी के आसपास निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थलों पर ले जाने का प्लान बनाने का निर्देश दिया है। मुख्य अभियंता अमरजीत सिंह मेहरड़ा ने बताया गुल्लाचिक्का हैड पर इस बार खूब पानी की आवक हो रही है। इससे राजस्थान क्षेत्र में गत बरसों की तुलना में काफी अधिक पानी आने की संभावना है। इसे देखते हुए हरियाणा में ओटू हैड पर पानी खाली करवा दिया गया है। ताकि पीछे से पानी की आवक बढऩे पर बेहतर प्रबंधन किया जा सके।

पाकिस्तान सीमा तक पहुंचता पानी
हिमाचल, पंजाब व हरियाणा के आसपास शिवालिक की पहाडिय़ों से घग्घर नदी में पानी का प्रवाह होता है। काफी मात्रा में हरियाणा के ओटू हैड पर पानी का भंडारण कर लिया जाता है। इसके बाद राजस्थान में पानी छोड़ा जाता है। अनूपगढ़ के रास्ते घग्घर का पानी पाकिस्तान जाता है। अनूपगढ़ के रास्ते ही पानी पाक सीमा स्थित भेड़ताल पर पहुंचता है। घग्घर का आगमन हिमाचल प्रदेश के शिमला के पास शिवालिक पहाडिय़ों के पास से माना जाता है।