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Air Pollution: यूपी के सबसे प्रदूषित शहरों में हापुड़ शामिल, जानें अपने शहर की हवा का हाल

शुष्क मौसम, उड़ती धूल और धुएं से हापुड़ में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गई है। जिसके बाद शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 299 दर्ज किया गया है।

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Air Pollution : दीवाली की आतिशबाजी से पहले ही प्रदेश में प्रदूषण का ग्राफ बढ़ने लगा है। केंद्रीय प्रदूषण एवं नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट में मंगलवार को हापुड़ का नाम देश के 117 शहरों में सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया है। दरअसल, शुष्क मौसम, उड़ती धूल और धुएं से हापुड़ में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गई है। जिसके बाद शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 299 दर्ज किया गया है। वहीं मेरठ और मुजफ्फरनगर देशभर में दूसरे नंबर पर सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल रहे। इन दोनों शहरों का एक्यूआई मंगलवार को 298 दर्ज किया गया है। इनके लिए धूल और धुआं मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। आइए जानते हैं कि प्रदेश के बाकी शहरों का क्या हाल है?

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कानपुर में भी प्रदूषण का असर

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट के मुताबिक https://app.cpcbccr.com/AQI_India/ के मुताबिक, बुधवार, 19 अक्टूबर को प्रदेश में हापुड़, मेरठ और मुजफ्फरनगर के बाद कानपुर सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की लिस्ट में आया है। कानपुर में सुबह आठ बजे तक एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स 211 दर्ज किया गया है। जबकि बरेली में 193, लखनऊ में 181, आगरा में 179, गोरखपुर में 166 और प्रयागराज में 127 एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स दर्ज किया गया है। वहीं सिर्फ मेरठ में मंगलवार को एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स 373 पाया गया है, जिससे जाहिर है कि सबसे खराब स्थिति मेरठ की पाई गई है। मेरठ की हवा में पीएम-10, पीएम-2.5 का स्तर खतरनाक श्रेणी में बना हुआ है।

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नोएडा से ज्यादा असर मेरठ में

वहीं सीपीसीबी की 164 शहरों की रिपोर्ट में मेरठ का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 333 और मुजफ्फरनगर का 314 दर्ज हुआ जो बहुत खराब श्रेणी में है। लंबे समय तक इस स्थिति के संपर्क में रहने पर श्वसन संबंधी परेशानी हो सकती हैं। खास बात यह भी है कि इन दोनों शहरों की हवा दिल्ली और नोएडा जैसे शहरों से ज्यादा खराब रही। दरअसल, पिछले सप्ताह से बारिश बंद होने के चलते मौसम शुष्क हो गया है। यही वजह है कि नमी गायब हो चुकी है और धुल एवं धुएं के कण वातावरण में पहुंच रहे हैं। वहीं हवा शांत होते ही प्रदूषक एक ही स्थान पर बने हुए हैं और आगे नहीं बढ़ पा रहे। जिससे प्रदूषण का ग्राफ बढ़ता जा रहा है।