
ऑनलाइन शिविर में बच्चे जान रहे संस्कार और संस्कृति
हरदा। आचार्य सच्चिदानंद लालासर साथरी के संयोजकत्व में जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर द्वारा बच्चों के लिए ऑनलाइन जाम्भाणी संस्कार शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इसमें शहर तथा आसपास के गांवों में रहने वाले विश्नोई समाज के बच्चे भी शामिल हो रहे हैं। शिविर के तीसरे दिन अकादमी के बाड़मेर (राजस्थान) के जिला संयोजक डॉ. बंशीलाल ढाका ने गुरु जाम्भोजी के महाप्रयाण के बारे में बताते हुए कहा कि अवतार इस धरती पर किसी विशेष प्रयोजन से आते हैं और प्रयोजन पूरा होने पर वापस अपने धाम चले जाते हैं। उनके बाद उनकी शिक्षाओं तथा उनके बताए मार्ग पर दुनिया सदियों तक चलती है। अकादमी के सचिव डॉ. मनमोहन लटियाल ने गुरु जाम्भोजी की सबदवाणी के मूल संदेश का विवेचन किया। व्योवृद्ध जाम्भाणी संगीत विशेषज्ञ बीरबल लटियाल ने विभिन्न राग, रागिनियों, गायन शैली के बारे में विस्तार से बताया। योग शिक्षक इंद्राज बिश्नोई सिरसा ने योग की महत्ता बताई। डॉ. नेहा बिश्नोई हिसार ने बच्चों को तनाव प्रबंधन की जानकारी दी। त्रिशा, शीतल, रवि, प्रदीप, मुकेश, गौतम, यशराज आदि बच्चों ने गायन प्रतियोगिता में भाग लिया। अकादमी की आईटी समिति के संयोजक डॉ. लालचंद बिश्नोई ने कार्यक्रम का तकनीकी प्रबंधन संभाला। अकादमी के सदस्य पूनमचंद पंवार ने बताया कि राष्ट्रीय जाम्भाणी संस्कार शिविर के सांस्कृतिक कार्यक्रम में नीमगांव की त्रिशा पंवार ने भी साखी का गायन किया।
Published on:
14 Jun 2020 08:03 am
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