
Center will treat 38 diseases
हरदा. महानगरों की तरह अब जिला अस्पताल में भी कमजोर नवजात बच्चों को एक ही छत के नीचे इलाज मिलेगा। इसके लिए जिला अस्पताल परिसर में लाखों रुपए की लागत से शासन द्वारा डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेशन सेंटर (डीईआईसी) का निर्माण करवाया जा रहा है। इसके बाद कमजोर और बीमार बच्चों को इंदौर, भोपाल रैफर करने की नौबत नहीं आएगी। संभवत: तीन महीने बाद जिले के बच्चों को इसका लाभ मिलने लगेगा। जानकारी के अनुसार नेशनल हेल्थ मिशन के तहत जिला अस्पताल परिसर में सीएमएचओ कार्यालय के पास लगभग ७० लाख रुपए की लागत से डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेशन सेंटर बनाया जा रहा है। इसके नीचे और उपरी तल में 4-4 कमरे और हॉल का निर्माण होगा। केंद्र के लिए अलग से चिकित्सक व अन्य स्टॉफ रहेगा। गर्भ में ही बीमारियों की चपेट में आने वाले बच्चों की देखभाल और समय से उन्हें इलाज इस केंद्र के जरिए ही मिलेगा।
डॉक्टरों के नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर
अभी तक राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के चिकित्सकों की टीमें स्कूलों में भ्रमण कर बीमार बच्चों का चिन्हांकन करने के बाद जो बच्चे गंभीर बीमारियों से पीडि़त मिलते थे, उन्हें उपचार के लिए जिला अस्पताल लाना पड़ता है। आरबीएसके टीम द्वारा लाए गए बच्चों को अलग-अलग डाक्टरों के चक्कर लगाने पड़ते थे। इस अहम समस्या को देखते आरबीएसके टीमों द्वारा चयनित गंभीर बीमार बच्चों को एक ही छत के नीचे सभी विशेषज्ञ चिकित्सकों से उपचार सुविधा मिलेगी। इसके लिए अर्ली इंटरवेंशन सेंटर खोला जा रहा है। जिसमें सभी रोगों के विशेषज्ञ, चिकित्सकों की तैनाती राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत की जाएगी।
केंद्र में मिलेंगी ये सुविधाएं
डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर में नवजात बच्चों में होने वाली गंभीर बीमारियों जैसे पैरों टेढा होना, मानसिक कमजोरी, बच्चों का देर से रोना, जन्म से कमजोर होना व जिनका पता काफी बाद में चलता है, उनकी जांच करके उपचार किया जाएगा। अभी तक सरकारी अस्पताल में इसकी सुविधा नहीं है, जिसके कारण मरीजों को निजी अस्पतालों पर ही निर्भर रहना होता है या फिर इंदौर, भोपाल अथवा महानगरों के अस्पतालों में जाना पड़ता है। इंटरवेंशन सेंटर बनने के बाद इस तरह की बीमारियों का उपचार यहीं हो सकेगा। इसके लिए सेंटर में विशेषज्ञों की टीम नियुक्त की जाएगी। साथ ही सेंटर में नर्सरी की भी व्यवस्था की जाएगी। जिस प्रीमैच्योर बच्चों की देखरेख की जा सके। सेंटर में में फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी, दृष्टि, दोष, दंत उपचार, दिल में सुराख, मानसिक रोग सहित 38 बीमारियों का इलाज किया जाएगा। वहीं जिन मरीजों का यहां इलाज संभव नहीं होगा, उन्हें सरकारी और निजी क्षेत्र के उच्च चिकित्सा संस्थानों में भेजा जाएगा। ऐसे मरीजों के इलाज का खर्च एनएचएम की ओर से उठाया जाएगा।
फरवरी से शुरूहोगा नए एसएनसीयू भवन काम
स्वास्थ्य संचालनालय भोपाल द्वारा जिला अस्पताल के पुराने वार्ड में स्थित प्रसूति वार्ड की जगह पर 1 करोड़ रुपए की लागत से एसएनसीयू भवन बनाया जाएगा। पुराने भवन को तोड़कर साफ कर दिया गया है। आगामी फरवरी माह से इसका भी काम शुरूहो जाएगा। नए भवन में 20 नवजात बच्चों को भर्ती रखने के लिए बेहतर व्यवस्था रहेगी। वहीं डॉक्टर एवं नर्सों के लिए भी अलग-अलग कक्ष रहेंगे। एसएनसीयू में भर्ती होने वाले बच्चों को उनकी माताएं दूध पिलाने के लिए पहुंच सकें। वर्तमान में प्रसूति वार्ड से एसएनसीयू की दूरी काफी है, जिससे महिलाओं को दिन अथवा रात्रि में आने-जाने में परेशनियां होती हैं। इसलिए अब भवन के नीचे वाले भाग में नवजात भर्ती रहेंगे, वहीं उपरी तल पर मदर वार्ड में उनकी माताओं का रखा जाएगा।
इनका कहना है
जिला अस्पताल परिसर में वैक्सीन स्टोर रूम के बाजू से डीईआईसी का निर्माण चल रहा है। इसमें विभिन्न रोगों से ग्रसित बच्चों को इलाज मिलेगा। आरबीएसके के तहत इसका संचालन होगा। संभवत: इस साल अपै्रल माह तक सेंटर शुरू हो जाएगा।
डॉ. किशोर कुमार, सीएमएचओ, जिला अस्पताल, हरदा
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नेशनल हेल्थ मिशन के द्वारा लगभग ७० लाख रुपए की लागत से जिला अस्पताल परिसर में डीईआईसी बनाया जा रहा। इसमें कम दिन व कमजोर नवजात बच्चों को इलाज मिलेगा। यहां पर हॉल सहित 8 कमरों का निर्माण किया जा रहा है। तीन महीने बाद अपै्रल में सेंटर चालू हो जाएगा। नए एसएनसीयू भवन का काम भी फरवरी से प्रारंभ होगा
दिनेश कुमार सूर्यवंशी, इंजीनियर, जिला अस्पताल, हरदा
Published on:
16 Jan 2019 07:00 am
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