
गांव के पांव- बाढ़ से कई बार बर्बादी की कगार पहुंच चुके हंडिया में बह रही विकास की गंगा
अवधेश तिवारी/हंडिया. नर्मदा नदी नाभि कुंड के किनारे बसा हंडिया गांव कई बार बाढ़ की चपेट में आने से पूरी तरह से बर्बादी की कगार पर पहुंच चुका है। लेकिन यहां के रहवासियों की मेहनत एवं शासन की मदद से अब विकास की गंगा बह रही है। नर्मदा में 1924, १९26, १९39 १९61 एवं १९73 में आई बाढ़ के कारण यहां से बड़ी संख्या में लोग पलायन कर अन्य शहरों में जाकर बस गए। ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण गांव करीब ३० साल पहले १९80 में एक बार फिर बाढ़ के कारण डूब गया था। इसके बाद सरकारों ने यहां की प्राकृतिक संपदा व विकास की ओर ध्यान दिया। इसके परिणाम स्वरूप लगभग 18 साल पहले हंडिया को तहसील का दर्जा मिला। इसके साथ ही यहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में परिवर्तित कर सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं। गांव की कच्ची सड़कों को पक्का किया। बेहतर पेयजल व्यवस्था के साथ ही गांव में स्ट्रीट लाइट सहित अन्य सुविधाएं लोगों को मुहैया कराई गई। इसके चलते पलायन कर गए कई लोग वापस गांव में लौट आए। इसके अलावा बाहर से भी कोई लोग यहां पर आकर बस गए।
5 करोड़ की लागत से बनाया हाइवे ट्रीट-
गांव के जिस बस स्टैंड पर 20 साल पहले दो दुकानें हुआ करती थी आज उस बस स्टैंड पर 200 से अधिक दुकानें हैं। जिन पर हंडिया के साथ ही आसपास के करीब एक दर्जन गांव को लोगों को रोजगार मिल रहा है। नर्मदा नदी का नाभि स्थल होने से यहां सैकड़ों श्रद्धालु रोजाना स्नान करने पहुंचते है। पर्यटन विकास विभाग की ओर से यहां करीब पांच करोड़ रुपए की लागत से हाइवे ट्रीट का निर्माण किया गया है। इसके बाद आए दिन बड़े अधिकारियों व मंत्रियों के यहां पर दौरे होने से तेजी से विकास हो रहा है। क्षेत्र के निवासियों को व्यापार के साथ उन्नतशील खेती का भी लाभ मिल रहा है। गर्मी के दिनों में नर्मदा नदी से मूंग की फसल में सिंचाई कर हंडिया सहित आसपास के करीब 20 गांव के किसान भरपूर पैदावार भी ले रहे है। इससे यहां के किसानों की माली हालत सुधरी है। गांव के युवाओं की टीम एकजुट होकर धार्मिक त्योहारों पर बड़े आयोजन करती है।
गांव की कमजोरी
-15 साल से कृषि उपज मंडी बंद
- नर्मदा की बाढ़ से गांव का 40 प्रतिशत हिस्सा डूब जाता है।
- सीबीएसइ स्कूल व कॉलेज की कमी
गांव की मजबूती
-व्यापार के साथ उन्नतशील खेती
- बड़े-बड़े आश्रमों का निर्माण
- संप्रदायिक सौहार्द का बेमिसाल माहौल
- गलियों में बनी पक्की सड़कें
Published on:
15 Oct 2020 08:03 am
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